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Tuesday, December 27, 2011

ब्रह्मचार्य ओर जन्मकुंडली ? / बालक और बालिका के जन्म का कष्ट योग के बारे मे

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश.

ब्रह्मचार्य ओर जन्मकुंडली ? / बालक और बालिका के जन्म का कष्ट योग के बारे मे


ब्रह्मचार्य ओर जन्मकुंडली ?....


ब्रह्मचार्य का यौगिक अर्थ है ब्रह्म की प्राप्तिके लिये वेदोंका अध्ययन करना । 




        प्राचीन काल मे छात्रगण ब्रह्मकी प्राप्ति के लिये गुरु के पास रहकर सावधानी के साथ वीर्य की रक्षा करते हुवे वेदाध्ययन करते थे ।


        इस लिये धीरे - धीरे ' ब्रह्मचार्य ' शब्द वीर्यरक्षाके अर्थमे रूढ़ हो गया । 


        आज हमे इस वीर्यरक्षाके सबंध में कुछ विचार करना है । 


        वीर्यरक्षा ही जीवन है और वीर्य का नाश ही मृत्यु है । 


        वीर्यरक्षाके प्रभाव से ही प्राचीनकाल के लोग दीर्धजीवी, निरोगी , हष्ट - पुष्ट , बलवान, बुद्धिमान, तेजस्वी, शूरवीर, ओर दृढ़संकल्प होते थे ।


        वीर्यरक्षाके कारण ही वे शीत , आतप, वर्षा आदिको सहकर नाना प्रकार के तप करने में समर्थ होते थे । 


        ब्रह्मचार्य के बल से ही प्राणवायु को रोककर शरीर और मन की शुद्धि के द्वारा नाना प्रकार के योग साधनों में सफलता प्राप्त करते थे ।


        ब्रह्मचार्य के बल से ही नाना प्रकार की विधाओं शिखकर अपने ज्ञानं को अपना ओर जगत का लौकिक एवं पारमार्थिक दोनो प्रकार का कल्याण कर लेते है । 


::: दाखला तरीके :::


स्वामी विवेकानंद 


जन्म तारीख : 12/01/1863

जन्म समय : 06/30 सुबह

जन्म स्थान कोलकत्ता

लग्न : 10

सूर्य ; 09

चन्द्र : 06 

मंगल : 01

बुध : 10

गुरु : 07

शुक्र :10

शनि 06

राहु :08

केतु :02


        इस जन्मकुंडली के आधारित स्वामी विवेकानंद पूर्ण तरह से ब्रह्मचार्य जीवन गर्म उग्र स्वभाव के साथ विदेशों की यात्रा करने के बाद भी जन्म भूमि जन्म देश के देश तरह ज्यादा आकर्षण धार्मिक आध्यात्मिक  ब्रह्मचार्य जीवन ही गुजार रहा था ।



श्री नरेन्द्र मोदी ( भारत के प्रधानमंत्री )


जन्म तारीख : 17/09/1950

जन्म समय : 10/ 15 सुबह

जन्म स्थान : वड़नगर ( गुजरात )


लग्न : 07

सूर्य : 06

चन्द्र : 08

मंगल : 08

बुध : 06

गुरु : 11

शुक्र : 05

शनि : 05

राहु : 12

केतु : 06


        इस कुंडली मे उग्र स्वभाव ब्रह्मचार्य जीवन जिस बात का जिद पकड़ ले वही बात को पूर्ण करके ही रहे । 


        सामने वालो को झुकाव में लाने की पूर्ण टक्कर देने की ताकत भी रख शकता है।


        गीता में कहा गया है कि मनुष्य अपने पूर्वजन्म के कर्मों से वर्तमान जीवन को पाता है और अलग - अलग क्षेत्रों से जुड़कर सफलता प्राप्त करता है।


       कुछ लोग आध्यात्मिक जगत से जुड़कर भी महान और प्रसिद्ध हो जाते हैं ।


        रामकृष्ण परमहंस, श्री श्री रविशंकर भी ऐसे ही लोगों में से हैं। 


        दरअसल इन सब के पीछे उनकी जन्मपत्री में मौजूद ग्रहों की खास स्थिति होती है ।


        जो ब्रह्मचार्य  संन्यास योग बनाकर मनुष्य को आध्यात्मिक जगत में महान और सफल बना देता है । 


        अगर आपकी जन्मपत्री में भी ऐसे योग हैं ।


        तो समझ लीजिए आप भी भौतिक जगत से अलग आध्यात्म की दुनिया में अपनी पहचान बनाने में सफल होंगे ।


        चन्द्रमा यदि शनि या मंगल के द्रेष्काण में होकर मात्र शनि से दृष्ट हो तो भी जातक संन्यासी हो सकता है। 


        यदि चन्द्रमा शनि या मंगल के नवांश में हो कर शनि से दृष्ट हो तब भी संन्यास योग बनता है।


        यह योग स्वामी रामकृष्ण परमहंस की कुंडली में बन रहा था।


        स्वामी प्रभुपाद जी की कुंडली थी ऐसी ही है ।


        सूर्य और गुरु की युति धार्मिक स्थानों में सेवा करने या पूजा स्थलों के निर्माण का एक अति महत्वपूर्ण ज्योतिषीय योग है। 


        यह योग मकर लग्न की स्वामी प्रभुपाद जी की कुंडली में था जिन्होंने पिछली सदी में अनेक राधा - कृष्ण मंदिरों का विश्वभर में निर्माण करवाया ।


        धर्म त्रिकोण ले जाता है ब्रह्मचार्य  आधात्मिक उन्नति की ओर 


        कुंडली में धर्म त्रिकोण ( लग्न , पंचम और नवम ) तथा मोक्ष त्रिकोण ( चतुर्थ , अष्टम और द्वादश ) की स्वामियों का सम्बन्ध जातक को जीवन में आधात्मिक उन्नति की ओर ले कर जाता है। 


        यह योग जन्म लग्न और चंद्र लग्न दोनों से देखा जाना चाहिए।


        शरीर मे सार वस्तु ही वीर्य ही है । 


        इसके नास से आज हमारा देश रसतलको पहुच गया है ब्रह्मचार्य नाश के ही कारण आज भी हम लोग छोटी - छोटी बीमारियों का शिकार बन गए है । 


        जीवन की थोडीक ही अवस्था काल के गले मे जा रहे है । 


        इसके कारण आज हमलोग अपने बल, तेज , वीरता ओर आत्मसन्मान को खो कर पराधीनता की बेड़ियों में जकड़ चुके है । 


        ओर जो हमारा देश किसिब्सम्य विश्व का सिरमौर ओर सभ्यताका उद्गमस्थान बना हुआ था ।


        वही आज हम दुशरो के द्वारा लांछित ओर परदलित हो रहा है । 


        आज हम विद्या - बुद्धि - बल - वीर्य , कला - कौशल - सब मे हम पिछड़े हुए है ।


        इसी के कारण ही आज हम चरित्र में भी गिर गए है । 


सारांश यह है कि ! 


        किसी भी बात को लेकर आज हम संसार के सामने अपना मस्तक ऊंचा नही कर शकते । 


        वीर्य का नाश ही हमारी इस गिरी हुई दशा का प्रधान मुख्य कारण  ही मालूम होता है । 


        आज के समय का चलचित्रों भी वीर्यरक्षाके के लिये बनाया ही नही जाता कैसे वीर्य का नाश हो सब लोग का बुद्धि नास हो । 


        भाई - भाई के बीच, मा बेटियों के बीच , बहु सासुओं के बीच  लड़ाई झगड़े होता रहे । 


        किसी का भी स्त्री मा बहन बेटियों का ज्यादा अपमानित ओर आबरू से लांछित  किया जाय ।


        इस में कैसे प्रसकर्मी बने कैसे किसी का अपमानित किया जाय वही चलचित्रों आज के समय मे ज्यादा फैसन बन चुका है ।     


  ( आगे का लेख भाग 2 पर  )



बालक और बालिका के जन्म का कष्ट योग के बारे मे 


        मास शुक्ल पक्ष की या कृष्ण पक्ष तिथि एकम मूल नक्षत्र तिथि पचम भरनी नक्षत्र आठंम कृतिका नक्षत्र तिथि नोम रोहिणी नक्षत्र तिथि दशम आश्लेषा नक्षत्र में 

        जातक के जन्म इस तिथि और नक्षत्र में होते हे 

        तो कौटुम्बिक परिवार में किसी वियक्ति पर जयादा भार रूप होते हे 

     इस की अशर क्या होती हे और जातक को की उम्ररा तक तकलीप कारक होती हे  जय द्वारकाधीश ....., जय श्रीकृष्णा.... , हर हर महादेव ..........,  
पंडित प्रभुलाल पी. वोरिया राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-  
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
SHREE SARSWATI JYOTISH KARYALAY
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Shri Albai Nivas ", Near Mahaprabhuji bethak,
Opp. S.t. bus steson , Bethak Road,
Jamkhambhaliya - 361305 Gujarat – India 
सेल नंबर: .+91- 9898980128 +91- 9427236337,  Skype : astrologer85
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश

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