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Wednesday, June 20, 2012

चंडाल योग और जन्म कुंडली ..............?

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........

जय द्वारकाधीश



चंडाल योग और जन्म कुंडली ..............?


ये पृथ्वी पर तरह तरह मानवी का निवास स्थान होता है



अनेक भीन भीन प्रकार का और अलग अलग विचार सारणी वाला मानवी होता है

बहुज  कम मानवीऔ अती बुध्धिशाली, महत्त्वकाक्षी, कावादावा , होशियार और पोतानी इन्छा और शक्तिऔ की किसी की भोगे अंजाम देता है

जिसको मिलता हमको एषा भाष होता है, या विचार भी आता है

आ मानवीऔ केसा नशीब लेकर जन्म धारण किया है,  अथवा इस की जन्म कुंडली मे केशा ग्रह योग होता है, इस को सब मंझिल तक पहोचाड़ता  





आम अकेलो राहू ग्रह अथवा अन्य दुश्ररा ग्रह की अशर राहू ग्रह पर प्रभाव के कारण जातक के नसीब को पूर्ण पीठबल मिलता है, ये बात निविवादित होती है,

राहू की राशि मे गुरु एटले मिथुन अथवा कन्या के गुरु जन्म कुंडली मे हो एशि स्थिति मे चांडाल योग का निर्माण होता है,

गुरु पोते सव्तिक ग्रह है, वाही जातक को सार, बुध्धि, सदविचार, सफलता, मान, मोभो, आबरू, पद, सब प्रदान करता है

और देने मे मदद रूप भी बनता है, गुरु धन और मीन राशि मे स्वग्रही होता है

एसा स्वतिक ग्रह के साथ जब राहू जेशा कुटिल ग्रह का सयोजन होता है, तब सर्जता है,

चांडाल योग, होता है, इस योग धरावनार जातक बहुत होशियार, चालाक, सुखी, संपन होता है
तो भी जीवन मे थाप खा जाता है, जब वाही सर्वस्व गुमाँवी  देता,                      

ये कहेनेका तात्पर्य ये भी राहू + गुरु का चांडाल योग चमक - दमक मात्र आकासी बादल जेशा होता है 

वाही बारिश के बाद कोरु धाकन होता है

सूर्य का तलका उसको भरख भी लेता है

एटले आ योग चांडाल योग वाही जातक को सुख का मालिक होता है तो भी दुखी होता है

इस योग मे जन्म लेने वाला प्रतियेक जातक सफलता लेते है वाही मानिलेना जरुरी नही है,  

इस लिए राहू - गुरु का स्थान राशि बने ग्रह के बिच में तफावत जन्म के समय दोनों राशी का नक्षत्रो और चरणों चालित कुंडली मे दोनों की स्थिति और नवमास कुंडली मे दोनों की स्थिति की देखना जरुरी होता है,  

सामान्य रीते इस योग धरावनार जातक को जब राहू की महादशा चलती है

तब और गुरु की महादशा चलती है

तब या जब जब अंतर दशा मे गुरु राहू का भर्मन चलता है

अथवा राहू का गुरु मे भर्मन चलता है

तब जे स्थान मे जे राशी मे अन्य बाबते अथवा इस की किसी भी अवस्था मे कमजोर होती है, इस समय जातक को पछ्ड़ता है,                          
PANDIT PRABHULAL P. VORIYA RAJPUT JADEJA KULL GURU :-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
SHREE SARSWATI JYOTISH KARYALAY
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Shri Albai Nivas ", Near Mahaprabhuji bethak,
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नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश..
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