https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec Astrologer: सूर्य देव , शनि की साढ़े साती :

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Monday, July 7, 2025

सूर्य देव , शनि की साढ़े साती :

शनि की साढ़े साती  : 

🪐ज्योतिष- ग्रह- नक्षत्र 🪐 

सूर्य देव :  

 रविवार विशेष - सूर्य देव 


समस्त ब्रह्मांड को प्रकाशित करने वाले भगवान भास्कर न सिर्फ सम्पूर्ण संसार के कर्ताधर्ता है बल्कि नवग्रहों के अधिपति भी माने जाते हैं। 




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सूर्य देव एक ऐसे देव हैं जिनके दर्शन के बिना किसी के भी दिन का आरंभ नहीं होता है। 

रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित है। 

भगवान सूर्य का दिन होने के कारण रविवार को भगवान सूर्य का उपासना बेहद ही पुण्यकारक माना जाता है। 


सूर्यदेव को हिरण्यगर्भ भी कहा जाता है। 

हिरण्यगर्भ यानी जिसके गर्भ में ही सुनहरे रंग की आभा है। 

इनकी कृपा दृष्टि प्राप्त करने के लिए रविवार के दिन सूर्य भगवान का विधिवत पूजा पाठ करके जल चढ़ाना चाहिए।

ऐसा करने से भगवान सूर्य की कृपा हमारे परिवार पर बनी रहती है। 


🔆सूर्य- पिता, स्वास्थ्य, यश सम्मान, प्रशासनिक नौकरियां व व्यापार के कारक ग्रह है। 

कुंडली में इनके शुभ होने से इन सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है।


🔆उदयगामी सूर्य को प्रणाम करना प्रगति की निशानी है। 

इसी लिए सुबह- सुबह स्नान करके उगते सूर्य को देखना चाहिए, उन्हें प्रणाम करना चाहिए। 

इससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। 


🔆सूर्यदेव की पूजा के लिए सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें। 

इसके पश्चात् उगते हुए सूर्य का दर्शन करते हुए उन्हें "ॐ घृणि सूर्याय नम:" या फिर "ॐ सूर्याय नमः" कहते हुए जल अर्पित करें। 


🔆सूर्य को दिए जाने वाले जल में केवल लाल, पीले पुष्प मिला सकते हैं, लेकिन इसके अलावा और किसी प्रकार की सामग्री जल में नहीं मिलानी चाहिए क्योंकि इससे जल की पवित्रता भंग होती है।


🔆अर्घ्य समर्पित करते समय नजरें लोटे के जल की धारा की ओर रखें। 

जल की धारा में सूर्य का प्रतिबिम्ब एक बिन्दु के रूप में जल की धारा में दिखाई देगा।


🔆सूर्य को अर्घ्य समर्पित करते समय दोनों भुजाओं को इतना ऊपर उठाएं कि जल की धारा में सूर्य का प्रतिबिंब दिखाई दे। 


🔆सूर्य देव की सात प्रदक्षिणा करें व हाथ जोड़कर प्रणाम करते हुए सूर्यनारायण के समक्ष आप इन मंत्रों का जाप भी कर सकते है-:


1- ॐ सूर्याय नम:।


2- ॐ मित्राय नम:।


3- ॐ रवये नम:।


4- ॐ भानवे नम:।


5- ॐ खगाय नम:।


6- ॐ पूष्णे नम:।


7- ॐ हिरण्यगर्भाय नम:।


8- ॐ मारीचाय नम:।


9- ॐ आदित्याय नम:।


10- ॐ सावित्रे नम:।


11- ॐ अर्काय नम:।


12- ॐ भास्कराय नम:।।


शनि की साढ़े साती  :


शनि की साढ़े साती के कुछ लक्षण दुर्गति परिणाम जाने अपने जन्म कुंडली से....!

 

बहुत सारी घटनाएं हमारे और आपके जीवन में हो रही है जो कि वर्तमान में शनि की अधिक प्रभाव और साडेसाती अधिया की असर के कारण हो रहा है जाने खास लक्षण 


हथेली की रेखाओं का रंग बदल जाना या नीला या काला हो जाना सिर की चमक गायब हो जाना और माथे पर काला रंग दिखना 

 

बात-बात पर गुस्सा आना वाणी और विचारों में बदलाव होना अचानक टेंशन बढ़ना और हमेशा सिर में दर्द रहना 

 

हर काम में असफलता मिलना 

शरीर में कुछ न कुछ कष्ट होना 

 

अपनों से धोखा मिलना मन मस्तिष्क बिना कारण के गर्म होना घर में पैसा टिकना न होना 

 

शनि की साढ़े साती तीन हिस्सों में होती है और हर हिस्सा लगभग ढाई साल का होता है. शनि साढ़े साती के दौरान, शनि व्यक्ति को जीवन भर के लिए सिख देने का प्रयास करता है. 


शनि साढ़े साती के दौरान शनिदेव की पूजा करने से शनि के दोषों से मुक्ति मिलती है. 


वर्तमान 2025 में मकर राशि कुंभ राशि पर शनि की साडेसाती अधिया का विशेष प्रभाव है जो की आने वाले समय में कर्ज जेल या अन्य धन का नुकसान तथा गुप्त शत्रुओं से 


अधिक पीड़ा तथा कार्य क्षेत्र व्यवसाय आदि में अधिक नुकसान होगा और वर्तमान में हो रहा है या मनोरोग या मानसिक रोग हो सकते हैं 


आप यथाशीघ्र शनि की साडेसाती अढैया की शांति निवारण करें और लाभ में...!


और अधिक जानकारी रत्न से जुड़ा हुआ परामर्श सलाह या आपको किसी भी तरह के रत्न चाहिए या जन्म कुंडली दिखाना है 


या कुंडली बनवाना है या किसी भी प्रकार की रत्न से जुड़ा हुआ विशेष जानकारी या रत्न चाहिए तो कॉल करें ....!





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यच्च किञ्चित् जगत्सर्वं,दृश्यते श्रूयतेऽपि वा।

अन्तर्बहिश्च तत्सर्वं,व्याप्य नारायण:स्थित:।।


निष्कलाय विमोहाय,शुद्धायाशुद्धवैरिणे।

अद्वितीयाय महते,श्रीकृष्णाय नमो नमः।।


जो कुछ हो चुका है, जो कुछ हो रहा है और होने वाला है...! 

वह दिखाई देने वाला और सुनने में आने वाला सम्पूर्ण जगत भगवान् नारायण ही हैं। 

इसमें भीतर और बाहर सब ओर से भगवान् नारायण ही व्याप्त हुए स्थित हैं।

'जो कला ( अवयव) से रहित हैं...! 

जिनमें मोह का सर्वथा अभाव है, जो स्वरूप से ही परम विशुद्ध हैं...! 

अशुद्ध ( स्वभाव तथा आचरण वाले) असुरों के शत्रु हैं तथा जिनसे बढ़कर या जिनके समान भी दूसरा कोई नहीं है...! 

उन सर्वमहान् परमात्मा श्रीकृष्ण को बारम्बार नमस्कार है।'

       

     || विष्णु भगवान की जय हो ||


संपर्क सूत्र - 7598240825 - 9427236337 ,

पंडारामा प्रभु राज्यगुरु ,

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                    II  Whatsaap 7598240825 II

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