google-site-verification: google5cf1125c7e3f924f.html pina_AIA2RFAWACV3EAAAGAAFWDICOQVKPGQBAAAAALGD7ZSIHZR3SASLLWPCF6DKBWYFXGDEB37S2TICKKG6OVVIF3AHPRY7Q5IA { "event_id": "eventId0001" } { "event_id": "eventId0001" } https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec Astrologer: राजयोग देते हैं सर्वसुख और जीवन के प्रशिक्षक हैं ये तीनों :

Tuesday, July 22, 2025

राजयोग देते हैं सर्वसुख और जीवन के प्रशिक्षक हैं ये तीनों :

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

राजयोग देते हैं सर्वसुख और जीवन के प्रशिक्षक हैं ये तीनों :


जन्मपत्री में बलवान ग्रह और मजबूत भाव बनाते हैं राजयोग और देते हैं सर्वसुख...!




Pirámide Laxmi de cristal original probada en laboratorio para el hogar, oficina, Rudraksha | Shree Yantra | Kauri y Ratti para Vastu Money Good Wealth Good Luck and Prosperity - 4

https://amzn.to/45gwq12

श्री वैदिक ज्योतिष शास्त्र अनुसार  किसी की भी जन्मपत्री में ग्रह बलवान हों और भाग्य आदि भाव मजबूत हो, तो व्यक्ति को जीवन का सब सुख स्वतः ही प्राप्त हो जाता है। 


श्री वैदिक ज्योतिष शास्त्र में ग्रह और भाव की स्थिति का आकलन करने के लिए अनेक नियम हैं !


जिनको ध्यान में रखकर यह पता लगाया जाता है कि जीवन में सुख और दुःख का क्या अनुपात है।


हम सभी जानते हैं, जन्मपत्री में बारह घर होते हैं, जिनको भाव भी कहा जाता है, इन्हीं बारह भाव में जन्म से लेकर मृत्यु तक जीवन की समस्त घटनाऐं छिपी हुई होती हैं !

जिन्हें ज्योतिषी ग्रहों की चाल एवं ज्योतिष के अनेक नियमों एवं सिद्धान्तों द्वारा फलादेश के रूप में उजागर करते हैं।

एक मजबूत ग्रह और भाव दे सकते हैं अच्छे परिणाम-  

श्री वैदिक ज्योतिष शास्त्र में कुछ बुनियादी नियम हैं, जिनसे किसी भी ग्रह की ताकत या मजबूती के बारे में निश्चित रूप से जाना जा सकता है। 


जन्मकुंडली में एक सशक्त भाव व्यक्ति को जीवन में सुरक्षा, स्थिरता और प्रगति की दिशा में सहारा प्रदान करता है। 

जीवन में विकास और विस्तार की संभावनाएं तब बढ़ती हैं जब जन्मकुंडली में घर की स्थिति मजबूत हो। 

किसी भाव की मजबूती देखने के लिए इस प्रकार विचार करना चाहिए। 

कोई भी ग्रह तभी मजबूत होता है, जब वह निम्न शर्ते पूरी करता है। 

किसी भी भाव का स्वामी, केन्द्र या त्रिकोण में स्थित हो अथवा केन्द्र एवं त्रिकोण का स्वामी उसी भाव में स्थित हो। 

यदि कोई ग्रह केन्द्र भावों में या त्रिकोण भावों में स्थित हो अथवा शुभ ग्रहों के बीच में स्थित हो तो ऐसी अवस्था के कारण उस भाव अथवा ग्रह से संबंधित शुभ फल जातक को प्राप्त होते हैं। 

इसी प्रकार ग्रह अपनी उच्च राशि, मूल त्रिकोण या मित्र राशि में स्थित हो।


भाव और उसका स्वामी शुभ ग्रहों के मध्य में स्थित हो।


भाव और उसके स्वामी को शुभ ग्रह की दृष्टि मिलती हो।


लग्न का स्वामी लग्नेश मजबूत हो, दसवें भाव के स्वामी या अन्य शुभ ग्रहों के साथ युति हो।


यदि कोई ग्रह अपने स्वयं के घर में स्थित हो या उस पर पूर्ण दृष्टि रखता हो।


ग्रह या तो शुभ ग्रह के साथ किसी भाव में स्थित हो या उसे उसकी शुभ दृष्टि प्राप्त हो रही है।

यदि कोई ग्रह नवमांश कुंडली में वर्गोत्तम स्थिति में हो, तो ऐसी स्थिति में उस ग्रह एवं भाव से संबंधित शुभ फल व्यक्ति को उस ग्रह की महादशा, अन्तर्दशा, प्रत्यन्तर्दशा, गोचर आदि के कार्यकाल में मिलती है। 


इसी को समझकर ज्योतिर्विद फलादेश करते हैं।


जीवन के प्रशिक्षक हैं ये तीनों : 

शनि की मेहनत, राहु की चतुराई और केतु का वैराग्य, जीवन के प्रशिक्षक हैं ये तीनों !

ज्योतिष शास्त्र में जिन नौ ग्रहों का वर्णन किया गया है, उनमें छाया ग्रह राहु - केतु का भी 
विशेष महत्व है। 


जहां शनि देव व्यक्ति को परिश्रम कराते हैं, राहु चतुराई देता है, वहीं केतु वैराग्य और मोक्ष 
दिलाता है। 


शनि, राहु और केतु को आमतौर पर दुख और कष्ट का कारक माना जाता है, लेकिन यदि 
ये जन्मकुंडली में मजबूत हों तो राजयोग के समान फल देते हैं।


+++

+++


  1. शनि कराता है मेहनत
  2. राहु देता है चतुराई
  3. केतु वैराग्य की ओर ले जाकर दिलाता है मोक्ष

शनि के साथ अक्सर राहु - केतु का नाम आता है। 

आमतौर पर शनि, राहु, केतु इन तीनों को दुःख एवं कष्ट का कारक समझा जाता है, जब कि 

ये तीनों जन्मकुंडली में बलवान हों, तो राजयोग के समान फल देते हैं। 

जिस प्रकार राहु और शनि के बीच ज्यादा समानताएं होती हैं, उसी प्रकार केतु और मंगल के 

बीच में भी एक विशिष्ट संबंध ज्योतिर्विदों ने माना है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी ग्रह कर्मों के आधार पर ही फल देते हैं। 

नवग्रहों में शनिदेव को दंडनायक का पद प्राप्त है, जो व्यक्ति को उसके पूर्व जन्म के कर्मों के 
अनुसार पुरस्कार - दण्ड दोनों देते हैं। 

छाया ग्रह राहु - केतु का फल भी पूर्वजन्म के अनुसार व्यक्ति को मिलता है। 

राहु व्यक्ति के पूर्व जन्म के गुणों एवं विशेषताओं के आधार पर शुभाशुभ फल देता है। 

आमतौर पर एक आदमी सोचता है कि शनि, राहु, केतु ये तीनों दुःख, कष्ट, रोग एवं आर्थिक परेशानी देने वाले होते हैं पर ऐसा सबकी जन्मकुंडली में नहीं होता। 

यदि जन्मकुंडली में ये तीनों शुभ स्थिति में हैं तो जातक को लाभ में कमी नहीं होती। 

ये तीनों व्यक्ति को बौद्धिक एवं तकनीकी तौर पर कुशल बना सकते हैं, जिससे इन्हें जीवन में सफलताएं मिलती हैं।

जहां शनि एक पिंड के रूप में मौजूद है, वहीं राहु - केतु छाया ग्रह हैं। 

राहु - केतु की अपनी कोई राशि भी नहीं है इस लिए ये जिस राशि पर बैठते हैं उस पर अपना अधिकार कर लेते हैं। 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु वृष राशि में उच्च का होता है और वृश्चिक राशि में नीच का। 

राहु - केतु के बारे में ज्योतिषियों में मतांतर है, कुछ ज्योतिषी राहु को मिथुन राशि में उच्च और धनु राशि में नीच का मानते हैं, केतु को धनु में उच्च का मिथुन में नीच का मानते हैं।

ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि चूंकि शनि देव की गति धीमी है, इसलिए इसका शुभाशुभ फल जातक को धीरे - धीरे मिलता है। 

राहु - केतु अचानक फल देते हैं, अगर राहु एक पल में जातक को ऊंचाइयों पर पहुंचा सकता है तो अगले ही पल उसे कंगाल बनाने की क्षमता भी रखता है। 

जबकि शनि देव जातक को परिश्रम एवं लगन तथा ईमानदारी से आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। 

शनि उन्हीं जातकों का साथ देते हैं, जो जीवन में सच बोलते हैं, पर राहु चतुराई और आसान तरीकों से सफलता पाने का विचार उत्पन्न कराता है।

🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂

संतान के रूप में कौन आता है.......!! 

पूर्व जन्म के कर्मों से ही हमें इस जन्म मे माता - पिता, भाई बहिन, पति - पत्नी, प्रेमिका...!

मित्र - शत्रु, सगे - सम्बंधी इत्यादि संसार के जितने भी रिश्ते नाते है, सब मिलते है ।

इन सबको हमें या तो कुछ देना होता है, या इनसे कुछ लेना होता है ।

वैसे ही संतान के रूप में हमारा कोई पूर्वजन्म का ‘सम्बन्धी’ ही आकर जन्म लेता है,

जिसे शास्त्रों में चार प्रकार का बताया गया है।

+++
+++

ऋणानुबन्ध :-

पूर्व जन्म का कोई ऐसा जीव जिससे आपने ऋण लिया हो या उसका किसी भी प्रकार से धननष्ट किया हो...! 

तो वो आपके घर में संतान बनकर जन्म लेगा और आपका धन बीमारी में या व्यर्थ के कार्यों में तब तक नष्ट करेगा जब तक उसका हिसाब पूरा ना हो।

शत्रु पुत्र :-

पूर्व जन्म का कोई दुश्मन आपसे बदला लेने के लिये आपके घर में संतान बनकर आयेगा और बड़ा होने पर माता - पिता से मारपीट, झगड़ा या उन्हें सारी जिन्दगी किसी भी प्रकार से सताता ही रहेगा । 

हमेशा कड़वा बोल कर उनकी बेइज्जती करेगा व उन्हें दुःखी रख कर खुश होगा ।

उदासीन पुत्र :-

इस प्रकार की ‘सन्तान’, ना तो माता - पिता की सेवा करती है, और ना ही कोई सुख देता है और उनको उनके हाल पर मरने के लिए छोड़ देती है । 

विवाह होने पर यह माता - पिता से अलग हो जाते हैं ।

सेवक पुत्र :-

पूर्व जन्म में यदि आपने किसी की खूब सेवा की है...! 

तो वह अपनी की हुई सेवा का ऋण उतारने के लिये...! 

आपकी सेवा करने के लिये पुत्र बन कर आता है ।

जो बोया है, वही तो काटोगे, अपने माँ-बाप की सेवा की है...! 

तो ही आपकी औलाद बुढ़ापे में आपकी सेवा करेगी । 

वरना कोई पानी पिलाने वाला भी पास ना होगा ।

आप यह ना समझें कि यह सब बातें केवल मनुष्य पर ही लागू होती है ।

इन चार प्रकार में कोई सा भी जीव आ सकता है ।

जैसे आपने किसी गाय कि निःस्वार्थ भाव से सेवा की है तो वह भी पुत्र या पुत्री बनकर आ सकती है ।

यदि आपने गाय को स्वार्थ वश पालकर उसको दूध देना बन्द करने के पश्चात घर से निकाल दिया हो तो वह ऋणानुबन्ध पुत्र या पुत्री बनकर जन्म लेगी ।

यदि आपने किसी निरपराध जीव को सताया है तो वह आपके जीवन में शत्रु बनकर आयेगा ।

इसलिये जीवन में कभी किसी का बुरा नहीं करें ।”

क्योंकि प्रकृति का नियम है कि आप जो भी करोगे, उसे वह आपको इस जन्म या अगले जन्म में, सौ गुना करके देगी ।

!!!!! शुभमस्तु !!!

🙏हर हर महादेव हर...!!
जय माँ अंबे ...!!!🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर: -
श्री सरस्वति ज्योतिष कार्यालय
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science
" Opp. Shri Satvara vidhyarthi bhuvn,
" Shri Aalbai Niwas "
Shri Maha Prabhuji bethak Road,
JAM KHAMBHALIYA - 361305 (GUJRAT )
सेल नंबर: . + 91- 9427236337 / + 91- 9426633096  ( GUJARAT )
Vist us at: www.sarswatijyotish.com
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
Email: astrologer.voriya@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏


No comments:

Post a Comment

नाम से कुंडली मिलान कैसे करते हैं ?

नाम से कुंडली मिलान कैसे करते हैं?   नाम से कुंडली मिलान करने के दो मुख्य तरीके प्रचलित हैं: # १. वैदिक ज्योतिष के अनुसार (अष्टकूट मिलान ) ज...