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Tuesday, January 28, 2025

श्री वैदिक ज्योतिष शास्त्र अनुसार मौनी अमावस्या महात्म ।

श्री वैदिक ज्योतिष शास्त्र अनुसार मौनी अमावस्या महात्म ।

|| मौनी अमावस्या व्रत कथा ||

मौनी अमावस्या की कथा को लेकर जो प्रचलित कथा है उसके अनुसार, प्राचीन काल में एक ब्राह्मण परिवार कांचीपुरी में रहता था। 

पति पत्नी दोनों ही धर्मात्मा थे और धर्म पूर्वक अपनी गृहस्थी चलाते थे। 

इनका नाम देवस्वामी था और इनकी पत्नी का नाम धनवती था। 



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इन के सात सात पुत्र और एकमात्र पुत्री थी जिसका नाम गुणवती था। 

जब गणुवती सयानी हुई और तो देवस्वामी से धनवती ने कहा कि पुत्री के विवाह के लिए अब वर देखना चाहिए। 

ब्रह्मण ने अपने छोटे पुत्र को बहन गुणवती की कुंडली दी और कहा कि ज्योतिषी से इनकी कुंडली दिखवा लाओ जिससे गुणवती के विवाह की बात आगे चले। 

ज्योतिषी को कन्या की कुण्डली दिखाई, उसने बताया कि विवाह होते ही कन्या विधवा हो जाएगी। 

ज्योतिषी की यह बात जब ब्राह्मण परिवार को मालूम हुआ तो वह बहुत दुखी हो गया और इसका उपाय पूछा।

ज्योतिषी ने बताया कि, हे ब्राह्मण सिंहल द्वीप में एक पतिव्रता महिला रहती है जिसका नाम सोमा धोबिन है, यदि कन्या की शादी से पहले सोमा आपके घर आकर पूजन करे और अपना आशीर्वाद दे तो यह दोष दूर हो जाएगा। 

ब्राह्मण ने अपनी पुत्री गुणवती को अपने सबसे छोटे पुत्र के साथ सिंहलद्वीप भेज दिया। 

दोनों भाई बहन सागर किनारे पहुंचकर उसे पार करने के बारे में विचार करने लगे। 

जब समुद्र को पार करने का कोई रास्ता नहीं मिला तो दोनों भूखे प्यासे एक पीपल वृक्ष के नीचे आराम करने लगे। 

पेड़ पर घोसले में एक गिद्ध का परिवार रहता था। 

उस समय घोसले में सिर्फ गिद्ध के बच्चे थे, वे सुबह से भाई बहन की बातों और क्रियाकलापों को देख रहे थे।

शाम के समय जब गिद्ध की माता बच्चों के लिए भोजन लेकर घोसले में आई तो बच्चों ने पेड़ के नीचे लेटे भाई बहन की कहानी माता को बताई। 

उनकी बातें सुनकर गिद्ध की माता को दोनों भाई बहनों दया आई और बच्चों के कहने से उसने कहा कि तुम लोग अब चिंता मत करो मैं इन्हें सागर पार करवा दूंगी। 

बच्चों ने माता की बातों को सुनकर खुशी खुशी भोजन ग्रहण किया। 

गिद्ध की माता बच्चों को भोजन करवाकर दोनों भाई बहनों के पास आई और बोली कि मैंने आपकी समस्याओं को जान लिया है। 

आप चिंता मत कीजिए आपकी समस्या का निदान मैं कर दूंगी और आपको सोमा धोबन के पास पहुंचा दूंगी। 

गिद्ध की बातों को सुनकर दोनों भाई बहनों का मन आनंदित हो गया और उन्होने वन में मौजूद कंद मूल को खाकर रात काट ली। 

सुबह होते ही गिद्ध ने दोनों भाई बहनों को समुद्र पार करवा दिया और सिंहलद्वीप में सोमा धोबिन के घर के पास पहुंचा दिया।

गुणवती सोमा धोबन के घर के पास छुपकर रहने लगी। 

हर दिन सुबह होने से पहले गुणवती सोमा का घर लीप दिया करती थी। 

एक दिन सोमा ने अपनी बहुओं से पूछा कि प्रतिदिन सुबह हमारा घर कौन लीपता है।

बहुओं ने प्रशंसा के लोभ से कहा कि हमारे अलावा यह काम और कौन करेगा। 

लेकिन सोमा को बहुओं की बातों पर भरोसा नहीं हुआ और वह यह जानने के लिए पूरी रात जागती रही कि कौन है जो हर दिन सूर्योदय से पहले घर लीप जाता है। 

सोमा ने देखा कि, एक कन्या उसके आंगन में आई और आंगन लीपने लगी। 

सोमा गुणवती के पास आई और उससे पूछने लगी कि तुम कौन हो और क्यों हर सुबह मेरे आंगन को लीपकर चली जाती हो। 

गुणवती ने तब अपना सारा हाल सोमा से कह डाला। 

गुणवती के बातों को सुनकर सोमा ने कहा कि, तुम्हारे सुहाग के लिए मैं तुम्हारे साथ चलूंगी।




सोमा ने ब्राह्मण के घर आकर पूजा किया, लेकिन विधि का विधान कौन टाल सकता है। 

गुणवती का विवाह होते ही उसके पति की मृत्यु हो गई। तब सोमा ने अपने सभी पुण्य गुणवती को दान कर दिया। 

सोमा के पुण्य से गुणवती का पति जीवित हो गया। 

लेकिन पुण्यों की कमी से सोमा के पति और बेटे की मृत्यु हो गई। 

लेकिन सोमा ने अपना घर छोड़ने से पहले बहुओं से कह दिया था कि मेरे लौटने से पहले अगर मेरे पति और बेटों को कुछ होता है तो उनके शरीर को संभलकर रखना। 

बहुओं ने सास की आज्ञा को मानकर सभी के शरीर को संभलकर रखा। 

उधर सोमा ने सिंहलद्वीप लौटते हुए रास्ते में पीपल के वृक्ष की छाया में विष्णुजी की पूजा कर 108 बार पीपल की परिक्रमा की। 

इसके पुण्य के प्रभाव से सोमा के घर लौटते ही उसके पति और बेटे फिर से जीवित हो गए।

इस लिए मौनी अमावस्या के व्रत करने वाले व्रतियों को यह कथा सुनकर पीपल की 108 बार परिक्रमा करनी चाहिए। 

और भगवान विष्णु सहित शिवजी की पूजा भी करनी चाहिए।

मौनी अमावस्या व्रत के लाभ

माघ मास में तिल, ऊनी वस्त्र, घी का दिन बहुत ही पुण्यदायी होता है। 

इस लिए मौनी अमावस्या पर इन वस्तुओं का दान जरूर करना चाहिए। 

यह जरूरी नहीं कि आप बहुत दान करें लेकिन अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार थोड़ा दान भी आप कर सकते हैं। 

इस से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति मृत्यु पश्चात उत्तम लोक में स्थान पाता है। 

व्यक्ति मुनि पद को प्राप्त करता है। 

एक मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन मनुष्यों के धरती पर लाने वाले प्रथम मनुष्य मनु ऋषि का जन्म हुआ था। 

मनु ऋषि के नाम से भी इस व्रत का नाम मौनी अमावस्या है।

 || महर्षि मनु सतरूपाजी की जय हो ||

पंडारामा प्रभु राज्यगुरू 

( द्रविड़ ब्राह्मण )

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