सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
।। श्री सामवेद के अनुसार आपकी जन्मतिथि और उसके देवता ।।
हमारा सनातन वेदों के अंदर बहुत छोटी छोटी बातों का भी उलेख दिया हुवा ही है कि आपकी जन्मतिथि और उसके देवता ।
जन्मतिथि सबसे महत्वपूर्ण दिन, जिस दिन आपका जन्म हुआ।
आप जन्मदिन मनाते भी है बहुत धूमधाम से अपने परिजनों के मध्य परन्तु आजकल यह जन्मदिन आप मनाते है ।
अंग्रेजी महीनों कि तारीख से ना की हिन्दू कैलेंडर की तिथियों से जो कि आपका वास्तविक जन्मदिन है।
मजेदार बात यह है कि हम श्राद्ध कर्म तिथि अनुसार करते है ।
और तो और मुहूर्त भी तिथि अनुसार करते परन्तु जीवन के सबसे महत्वपूर्ण दिन को तिथि अनुसार नहीं मनाते।
कई व्यक्तियों को तो जन्मतिथि और जन्म तारीख का अंतर भी ज्ञात नहीं है ।
तो कई व्यक्तियों की अपनी जन्मतिथि याद नहीं है।
इन्हीं सब बातों ने इस लेख को लिखने की प्रेरणा दी है।
क्यूं महत्वपूर्ण है जन्म तिथि ?
प्रत्येक जन्म तिथि के निश्चित देवता होते है और इसलिए यह तिथि महत्वपूर्ण हो जाती हैं।
हमे अपनी जन्म तिथि के अनुसार जन्मदिन मनाना चाहिए और महीने में आने वाली उन तिथियों पर उस तिथि विशेष देवता भगवान की आराधना , उपासना करनी चाहिए।
इससे आपको समृद्धि मिलती है।
पूजा, उपासना या आराधना करने का अर्थ कोई विशेष विधि, अनुष्ठान नहीं होता ।
मात्र कुछ क्षण श्रद्धा से किया हुआ प्रणाम, नमन और मन के आनंद रूपी प्रकाश का दिया ही काफी हैं।
हिन्दू पंचांग 5 तत्थयों से बना है और इन्हीं पांचों के आधार पर ही हिन्दू कैलेंडर निर्मित हुआ है।
ये 5 बातें हैं इस प्रकार से है : -
-1. तिथि,
2. वार,
3. नक्षत्र,
4. योग ,
5. करण।
लेख में सिर्फ तिथि की ही जानकारी दी जा रही है।
तिथि क्या है:-
तिथि को तारीख या दिनांक कहते हैं।
अन्य अंग्रेजी तारीख और तिथि में फर्क यह है ।
कि अंग्रेजी तारीख रात्रि 12 बजे के बाद बदलती है ।
अर्थात रात्रि 12 बजे के बाद दूसरी तारीख या दिनांक आ जाती हैं।
हिन्दू कैलेंडर में दिनों की गणना तारीख या दिनांक से नहीं वरन् तिथि से की जाती है।
यह तिथि दिन या रात में कभी भी शुरू हो सकती है।
इसका संबंध चन्द्र के नक्षत्र में भ्रमण से होता है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार माह के 30 दिन को चन्द्र कला के आधार पर 15 - 15 दिन के 2 पक्षों में बांटा गया है।
शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष।
शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा कहते हैं और कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन को अमावस्या।
इस प्रकार से एक माह में दो पक्ष होते हैं।
एक पक्ष में पंद्रह तिथियां होती है। पहली तिथि को प्रतिपदा कहा जाता है।
कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली प्रतिपदा को कृष्ण प्रतिपदा कहा जाता है तो शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को शुक्ल प्रतिपदा।
कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या होती है तो शुक्ल पक्ष का समापन पूर्णिमा को होता है।
आप यदि आपको अपनी जन्म तिथि ज्ञात करना है ।
वही तो आपको हिन्दू कैलेंडर से देखना होगा कि अंग्रेजी तारीख ( क्यूंकि अधिकतर व्यक्ति अपनी जन्म दिनांक अंग्रेज़ी में हीं जानते हैं ) के दिन हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कौन सी तिथि है ।
वहीं आपकी जन्म तिथि होगी।
तिथि के देवता-
अमावस्या तिथि -
इस तिथि के देवता हैं अर्यमा जो पितरों के प्रमुख हैं।
अमावास्या में पितृगणों की पूजा करना चाहिए।
प्रतिपदा तिथि -
इस तिथि के देवता हैं अग्निदेव ।
द्वितीया तिथि -
इस तिथि के देवता हैं ब्रह्मा जी।
तृतीया -
इस तिथि के देवता हैं यक्षराज कुबेर।
चतुर्थी -
इस तिथि के देवता हैं श्री गणेश।
पंचमी -
इस तिथि के देवता हैं नागदेवता नागराज।
षष्ठी -
इस तिथि के देवता हैं कार्तिकेय भगवान।
सप्तमी -
इस तिथि के देवता हैं चित्रभानु जो कि सूर्य
नारायण ही है।
अष्टमी -
इस तिथि के देवता हैं रुद्र ।
नवमी -
इस तिथि की देवी हैं दुर्गा।
दशमी -
इस तिथि के देवता हैं यमराज।
एकादशी -
इस तिथि के देवता हैं विश्वेदेवगण विष्णु।
द्वादशी -
इस तिथि के देवता हैं विष्णु जी।
त्रयोदशी -
इस तिथि के देवता है शिव जी।
चतुर्दशी -
इस तिथि के देवता हैं शंकर।
पूर्णिमा -
इस तिथि के देवता हैं चंद्रमा।
जन्मतिथि के अनुसार जन्मदिन मनाएं तो बहुत बेहतर है ।
यदि ऐसा ना कर सके तो उस दिन अपने तिथि देवता का पूजन अवश्य करें।
पुनः ,पूजा, उपासना या आराधना करने का अर्थ कोई विशेष विधि, अनुष्ठान नहीं होता ।
मात्र कुछ क्षण श्रद्धा से किया हुआ प्रणाम, नमन और मन के आनंद रूपी प्रकाश का दिया ही काफी हैं।
शुभ सोच!! शुभ परिणाम ।।
!!!!! शुभमस्तु !!!
🙏हर हर महादेव हर...!!
जय माँ अंबे ...!!!🙏🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर: -
श्री सरस्वति ज्योतिष कार्यालय
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
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नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏