महा मास कृष्ण पक्ष से फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष पूनम तक ?
महा मास कृष्ण पक्ष से फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष पूनम तक ?
महा / फाल्गुन को आनंद और उल्लास का महीना कहा जाता है।
सनातन धर्म में फाल्गुन माह को विशेष स्थान प्राप्त है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष का अंतिम एवं बारहवां महीना होता है महा / फाल्गुन जो कि बेहद शुभ माना जाता है, विशेष रूप से शादी-विवाह, गृह प्रवेश और मुंडन आदि कार्यों के लिए।
इस समय धरती दुल्हन की तरह सजी - धजी रहती है क्योंकि महा / फाल्गुन और वसंत मिलकर प्रकृति को सुंदर बनाते हैं। ज्योतिषी पंडारामा प्रभु राज्यगुरु के इस ख़ास ब्लॉग में हम महा / फाल्गुन माह से जुड़े रोमांचक तथ्यों के बारे में विस्तार से बात करेंगे जैसे कि इस दौरान कौन - कौन से व्रत - त्योहार मनाए जाएंगे?
इस माह में किन उपायों को करना चाहिए? क्या है इस माह का धार्मिक महत्व?
इस मास में आपको क्या करना चाहिए और क्या करने से बचना चाहिए?
ऐसी ही कई महत्वपूर्ण जानकारियों आपको इस लेख में मिलेगी, इसलिए अंत तक पढ़ना जारी रखें।
आपको बता दें कि महा / फाल्गुन माह को धार्मिक, वैज्ञानिक और प्राकृतिक रूप से एक विशेष दर्जा प्राप्त है।
इस मास में वैसे तो अनेक व्रत एवं पर्व मनाए जाते हैं, लेकिन होली, महाशिवरात्रि जैसे त्योहार महा / फाल्गुन के महत्व को बढ़ा देते हैं।
आइए अब बिना देर किये आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि 2025 में महा / फाल्गुन माह कब से शुरू होगा, इस महीने की विशेषता और इस माह के बारे में सब कुछ।
महा / फाल्गुन मास 2025 में कब से शुरू हो रहा है ?
महा / फाल्गुन मास का महत्व :
धार्मिक रूप से महा / फाल्गुन मास को विशेष माना गया है क्योंकि इस दौरान कई बड़े पर्वों को मनाया जाता है।
बात करें महा / फाल्गुन माह के नाम की, तो इस मास का नाम महा / फाल्गुन होने के पीछे कारण यह है कि इस महीने की पूर्णिमा तिथि यानी कि फाल्गुन पूर्णिमा को चंद्रमा फाल्गुनी नक्षत्र में होता है इस लिए इसे महा / फाल्गुन माह कहा जाता है।
इस मास में भगवान शिव, विष्णु जी और श्रीकृष्ण की पूजा करना फलदायी होता है।
एक तरफ, जहाँ महा / फाल्गुन में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है।
वहीं, इस माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु को समर्पित आमलकी एकादशी का व्रत करने का विधान है।
इस प्रकार, हम कह सकते हैं कि महा / फाल्गुन माह में विधि - विधान से उपासना करने से भक्तजनों को भगवान शिव और विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है।
सनातन धर्म में दान का विशेष महत्व होता है फिर चाहे वह माघ मास में हो या फाल्गुन मास में, इस बारे में भी हम विस्तार से बात करेंगे, लेकिन इससे पहले नज़र डालते हैं महा / फाल्गुन माह के व्रत - त्योहारों पर।
महा / फाल्गुन मास 2025 कब से शुरू हो रहा है ?
जैसे कि हम आपको बता चुके हैं कि हिंदू कैलेंडर का अंतिम माह महा / फाल्गुन अपने साथ प्रकृति में सुंदरता लेकर आता है।
बात करें वर्ष 2025 में महा / फाल्गुन मास की, तो इस साल महा / फाल्गुन माह का आरंभ 13 फरवरी 2025 को होगा और इसका समापन 14 मार्च 2025 को हो जाएगा।
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, यह महीना फरवरी या मार्च में आता है।
महा / फाल्गुन को ऊर्जा और यौवन का महीना भी कहते हैं और ऐसी मान्यता है कि इस माह में वातावरण खुशनुमा हो जाता है और हर जगह नई उमंग छा जाती है।
महा / फाल्गुन मास में चंद्र पूजा से दूर होगा चंद्र दोष :
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्र देव का जन्म महा / फाल्गुन मास में हुआ था इस लिए इस माह में चंद्रमा की पूजा - अर्चना करना शुभ माना जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि महा / फाल्गुन के महीने में चंद्र देव की आराधना से मानसिक समस्याओं का अंत होता हैं और इंद्रियों को नियंत्रित करने की शक्ति में भी बढ़ोतरी होती है।
इस के अलावा, जिन जातकों की कुंडली में चंद्र दोष होता है, उनके द्वारा महा / फाल्गुन माह में चंद्रमा की उपासना करने से चंद्र दोष का निवारण हो जाता हैं।
दिनांक एवं दिन नक्षत्र तिथि मुहूर्त का समय :
13 फरवरी 2025, गुरुवार मघा प्रतिपदा सुबह 07 बजकर 03 मिनट से सुबह 07 बजकर 31 मिनट तक
14 फरवरी 2025, शुक्रवार उत्तरा फाल्गुनी तृतीया रात 11 बजकर 09 मिनट से सुबह 07 बजकर 03 मिनट तक
15 फरवरी 2025, शनिवार उत्तरा फाल्गुनी व हस्त चतुर्थी रात 11 बजकर 51 मिनट से सुबह 07 बजकर 02 मिनट तक
16 फरवरी 2025, रविवार हस्त चतुर्थी सुबह 07 बजे से सुबह 08 बजकर 06 मिनट तक
18 फरवरी 2025, मंगलवार स्वाति षष्ठी सुबह 09 बजकर 52 मिनट से अगली सुबह 07 बजे तक
19 फरवरी 2025, बुधवार स्वाति सप्तमी, षष्ठी सुबह 06 बजकर 58 मिनट से सुबह 07 बजकर 32 मिनट तक
21 फरवरी 2025, शुक्रवार अनुराधा नवमी सुबह 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 03 बजकर 54 मिनट तक
23 फरवरी 2025, रविवार मूल एकादशी दोपहर 01 बजकर 55 मिनट से शाम 06 बजकर 42 मिनट तक
25 फरवरी 2025, मंगलवार उत्तराषाढ़ा द्वादशी, त्रयोदशी सुबह 08 बजकर 15 मिनट से शाम 06 बजकर 30 मिनट तक
01 मार्च 2025, शनिवार उत्तराभाद्रपद द्वितीया, तृतीया सुबह 11 बजकर 22 मिनट से अगली सुबह 07 बजकर 51 मिनट तक
02 मार्च 2025, रविवार उत्तराभाद्रपद, रेवती तृतीया, चतुर्थी सुबह 06 बजकर 51 मिनट से रात 01 बजकर 13 मिनट तक
05 मार्च 2025, बुधवार रोहिणी सप्तमी रात 01 बजकर 08 मिनट से सुबह 06 बजकर 47 मिनट तक
06 मार्च 2025, गुरुवार रोहिणी सप्तमी सुबह 06 बजकर 47 मिनट से सुबह 10 बजकर 50 मिनट तक
06 मार्च 2025, गुरुवार रोहिणी, मृगशीर्ष अष्टमी रात 10 बजे से सुबह 06 बजकर 46 मिनट तक
7 मार्च 2025, शुक्रवार मृगशीर्ष अष्टमी, नवमी सुबह 06 बजकर 46 मिनट से रात 11 बजकर 31 मिनट तक
12 मार्च 2025, बुधवार माघ चतुर्दशी सुबह 08 बजकर 42 मिनट से अगली सुबह 04 बजकर 05 मिनट तक
श्रीकृष्ण की पूजा महा / फाल्गुन में क्यों की जाती है ?
सिर्फ इतना ही नहीं, महा / फाल्गुन के महीने में प्रेम और खुशियों का पर्व होली भी मनाया जाता है।
इसी माह में भगवान श्रीकृष्ण के तीन स्वरूप की पूजा का विधान है जो कि इस प्रकार हैं: बाल रूप, युवा रूप और गुरु कृष्ण के रूप में।
ऐसी मान्यता है कि महा / फाल्गुन के महीने में जो जातक श्रीकृष्ण की पूजा सच्चे मन और भक्तिभाव से करता है, उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।
जो दंपति संतान सुख प्राप्त करना चाहते हैं, उनके लिए बाल गोपाल की विधि - विधान से पूजा करना शुभ रहता है।
सुखी वैवाहिक जीवन के इच्छुक लोगों के लिए कृष्ण जी के युवा स्वरूप की पूजा करना फलदायी रहता है।
वहीं, जो लोग गुरु के रूप में श्रीकृष्ण की विधिवत पूजा करते हैं, उनके लिए मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
महा / फाल्गुन माह में दान का महत्व :
सनातन धर्म में दान - पुण्य को कितना अधिक महत्व दिया जाता है, इस बात को हम सभी जानते हैं।
हिंदू वर्ष के प्रत्येक माह में अलग - अलग चीज़ों का दान करने से असीम पुण्य की प्राप्ति होती है।
ठीक इसी तरह, महा / फागुन में कुछ विशेष वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है।
शास्त्रों में वर्णन किया गया है कि महा / फाल्गुन माह के दौरान आप अपने सामर्थ्य के अनुसार वस्त्र, सरसों का तेल, शुद्ध घी, अनाज, मौसमी फल आदि का जरूरतमंदों को दान करना चाहिए क्योंकि ऐसा करना बेहद कल्याणकारी माना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि महा / फाल्गुन माह में इन चीज़ों का दान करने से जातक को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और पुण्य कर्मों में वृद्धि होती है।
साथ ही, यह माह पितरों के निमित्त तर्पण करने के लिए भी श्रेष्ठ होता है।
महा / फाल्गुन मास में कब से होलाष्टक शुरू हो रहा है ?
यह हम आपको बता चुके हैं कि महा / फाल्गुन में होली का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
लेकिन, शायद आप नहीं जानते होंगे कि इस माह में कुछ ऐसे दिन होते हैं जब किसी भी शुभ एवं मांगलिक कार्य को करना वर्जित होता है।
यहां हम बात कर रहे हैं होलाष्टक के बारे में जिस की शुरुआत होली से ठीक 8 दिन पहले हो जाती है।
बता दें कि होलाष्टक के आठ दिनों में सभी तरह के शुभ कार्यों जैसे कि सगाई, विवाह, मुंडन आदि को नहीं किया जाता है।
मान्यता है कि इस अवधि में दिया गया आशीर्वाद भी व्यर्थ हो जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल होलाष्टक का आरंभ शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होता है और इसका समापन होलिका दहन के साथ हो जाता है।
वर्ष 2025 में होलाष्टक का आरंभ 07 मार्च 2025, शुक्रवार से होगा और इसका अंत 13 मार्च 2025, गुरुवार के दिन होगा।
बता दें कि होलाष्टक के दौरान सभी आठ ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं इस लिए यह अवधि शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं मानी जाती है।
इस दौरान किए गए कार्यों में शुभ फलों की प्राप्ति नहीं होती है या फिर वह असफल हो जाते हैं।
महा / फाल्गुन 2025 में जरूर करें ये उपाय :
अगर आपके वैवाहिक जीवन में प्रेम की कमी होने लगी है या प्यार खत्म होता जा रहा है और पति - पत्नी के बीच आपसी सामंजस्य भी नहीं है, तो आप महा / फाल्गुन माह में भगवान श्रीकृष्ण को मोरपंख अर्पित करें।
ऐसा करने से रिश्ते में मधुरता आने लगेगी।
महा / फाल्गुन माह में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करना शुभ होता है।
इस दौरान आप अबीर और गुलाल रंगों से कृष्णजी की पूजा करें।
ऐसा करने से आपके स्वभाव से चिड़चिड़ापन दूर होता है और क्रोध को आप नियंत्रित करने में सक्षम होते हैं।
साथ ही, श्रीकृष्ण के आशीर्वाद से मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।
श्री वैदिक ज्योतिष के अनुसार, धन लाभ की प्राप्ति के लिए महा / फाल्गुन माह में आपको सुगंधित परफ्यूम का उपयोग करना चाहिए और अपने आसपास चंदन का इत्र या रंग - बिरंगे फूल रखें।
ऐसा करने से शुक्र देव प्रसन्न होते हैं और धन लाभ के रास्ते खुलते हैं।
मान्यताओं के अनुसार महा / फाल्गुन माह में चंद्र देव का जन्म हुआ था इस लिए इस माह में इनकी पूजा - अर्चना करें।
साथ ही, चंद्र देव से जुड़ी वस्तुओं जैसे दूध, मोती, चावल, दही और चीनी आदि का दान करें।
इस उपाय को करने से चंद्र दोष दूर होता है।
चलिए अब जानते हैं महा / फाल्गुन 2025 में आप किन कार्यों को कर सकते हैं और किन कामों को करने से आपको बचना चाहिए।
महा / फाल्गुन मास के दौरान क्या करें ?
महा / फाल्गुन 2025 के दौरान आप ज़्यादा से ज़्यादा फलों का सेवन करें।
इस माह में ठंडे या साधारण पानी से नहाने की कोशिश करें।
संभव हो, तो रंग - बिरंगे और सुंदर कपड़े धारण करें।
भोजन में कम से कम अनाज का सेवन करने का प्रयास करें।
परफ्यूम/इत्र का इस्तेमाल करें। यदि चंदन की ख़ुशबू का इस्तेमाल करते हैं, तो शुभ फल प्राप्त होंगे।
महा / फाल्गुन माह में रोज़ाना भगवान श्रीकृष्ण की उपासन करें और उन्हें फूल चढ़ाएं।
महा / फाल्गुन 2025 के दौरान क्या न करें ?
महा / फाल्गुन माह के दौरान नशीले पदार्थों एवं मांस - मदिरा का सेवन बिल्कुल न करें।
इस महीने जब होलाष्टक लग जाए, उस समय किसी भी शुभ कार्य का आयोजन न करें।
आयुर्वेद के अनुसार, इस माह में अनाज का सेवन ज्यादा नहीं करना चाहिए।
इस दौरान महिलाओं और बुजुर्गों का अपमान न करें।
महा / फागुन माह में किसी के प्रति मन में गलत विचार लेकर आने से बचें।
ज्योतिषी पंडारामा प्रभु राज्यगुरु
ऑन लाइन / ऑफ लाइन ज्योतिषी का जय श्री कृष्णा