google-site-verification: google5cf1125c7e3f924f.html pina_AIA2RFAWACV3EAAAGAAFWDICOQVKPGQBAAAAALGD7ZSIHZR3SASLLWPCF6DKBWYFXGDEB37S2TICKKG6OVVIF3AHPRY7Q5IA { "event_id": "eventId0001" } { "event_id": "eventId0001" } https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec Astrologer: वरद तिलकुंद चतुर्थी /भौतिक विद्याएं :

Saturday, February 1, 2025

वरद तिलकुंद चतुर्थी /भौतिक विद्याएं :

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........

जय द्वारकाधीश


वरद तिलकुंद चतुर्थी 


वरद तिलकुंद चतुर्थी कल :


माघ महीने की शुरुआत हो चुकी है। 

इस माह का विशेष महत्व है और इस खास महीने में कई त्योहार पड़ते हैं इसी में वरद तिल चतुर्थी भी है। 

माघ महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को तिल कुंद चतुर्थी या वरद तिल चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। 








Caristo Lord Ganesh Idol | Ganesha Sitting Idol | Ganpati Vinayaka Idol (ID-130) Antique Gold Metal Statue for Home Décor | Car Dashboard | Mandir Pooja Murti | Temple Puja | Office Table Showpiece

https://amzn.to/41OJ9pG



वरद तिल चतुर्थी व्रत भगवान गणेश को समर्पित है। 

इस दिन गणेश जी की पूजा तिल और कुंद के फूलों से किए जाने का विधान है। 

वरद तिल चतुर्थी 1 

फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। 

तिल और कुंद के फूल श्रीगणेश को अतिप्रिय है। 

कुछ लोग इस दिन गणेश जी को भोग के रूप में लड्डू भी अर्पित करते हैं।








वरद तिल चतुर्थी तिथि :

माघ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि आरंभ: 01 फरवरी 2025, प्रातः11:38 से ।

माघ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि समाप्त: 02 फरवरी 2025,प्रातः 09:14 पर ।

वरद तिल चतुर्थी का पूजा मुहूर्त :

01 फरवरी 2025, प्रातः 11:38 से दोपहर 01:40 तक...!

इस तरह वरद तिल चतुर्थी का व्रत 1...! 

फरवरी को रखा जाएगा। 

शास्त्र विहित मत मानें तो जिस दिन चतुर्थी तिथि लगी है चतुर्थी का व्रत भी उसी दिन से शुरू होगा। 

वरद तिल चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा का महत्व :

माघ तिलकुंद चतुर्थी पर भगवान गणेश और चंद्र देव की पूजा से मन को शांति और सुख मिलता है। 

इस दिन व्रत रखने से गणेश जी अपने भक्तों के सभी कष्ट दूर करते हैं और धन, विद्या, बुद्धि और ऐश्वर्य का आशीर्वाद देते हैं। 

रिद्धि - सिद्धि की भी प्राप्ति होती है और जीवन के सभी संकट दूर होते हैं।

गणेश जी की पूजा से होती है हर मनोकामना पूरी :

पंडित पंडारामा प्रभु राज्यगुरु के मुताबिक संकष्टी चतुर्थी निकल चुकी है। 

संकष्टी चतुर्थी को भगवान श्री गणेश का प्राकट्य दिवस माना जाता है। 

इसके बाद आने वाली वरद तिल कुंड चतुर्थी भी अपना विशेष महत्व रखती है। 

आगामी शुक्रवार को भगवान श्री गणेश की पूजा का विशेष महत्व रहेगा। 

इस दिन पूजा करने से भक्तों की मनोकामना पूरी होगी।

ये भी रहेगा विशेष :

माघ मास में शुक्ल पक्ष की गुप्त नवरात्रि चल रही है। 

वर्तमान समय गुप्त नवरात्रि के साथ वरद तिल कुंड चतुर्थी का योग बनने से एक अद्भुत संयोग उत्पन्न हुआ है। 

इस दौरान गुप्त साधक श्री गणेश के मंत्रों के साथ - साथ आदि शक्ति के मंत्रों से संपुटिक अनुष्ठान करते हैं। 

अर्थात एक मंत्र भगवान श्री गणेश का उच्चारण किया जाता है। 

इसके बाद एक मंत्र माता जी का पढ़ा जाता है। 

इस प्रकार संपूटिक अनुष्ठान संपन्न होता है। 

वरद तिल चतुर्थी की पूजा विधि :

वरद तिल चतुर्थी गणेश जी की पूजा को समर्पित है। 

वरद तिल चतुर्थी की पूजा ब्रह्म मुहूर्त और गोधूलि मुहूर्त में की जाती है।  

वरद तिल चतुर्थी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर साफ - स्वच्छ वस्त्र पहनें। 

इसके बाद आसन पर बैठकर भगवान श्रीगणेश का पूजन करें।

पूजा के दौरान भगवान श्रीगणेश को धूप - दीप दिखाएं।

अब श्री गणेश को फल, फूल, चावल, रौली, मौली चढ़ाएं। 

पंचामृत से स्नान कराने के बाद तिल अथवा तिल - गुड़ से बनी वस्तुओं व लड्डुओं का भोग लगाएं।

जब श्रीगणेश की पूजा करें तो अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें। 

पूजा के बाद 'ॐ श्रीगणेशाय नम:' का जाप 108 बार करें।

शाम के समय कथा सुनें व भगवान की आरती उतारें।

शास्त्रों के अनुसार इस दिन गर्म कपड़े, कंबल, कपड़े व तिल आदि का दान करें।
पंडारामा प्रभु राज्यगुरू 
( द्रविड़ ब्राह्मण )
!!!!! शुभमस्तु !!!

भौतिक विद्याएं :

भौतिक विद्याएं, जैसे खगोल भूगोल विज्ञान गणित चिकित्सा संगीत आदि....! 

ये सब विद्याएं तो सांसारिक लोगों को आकर्षित करती हैं। 

परंतु अध्यात्म विद्या सबको अधिक आकर्षित नहीं करती। 

क्योंकि सब में अध्यात्म विद्या के पूर्व जन्मों के संस्कार अधिक नहीं होते। 

इस कारण से सब लोग अध्यात्म विद्या अर्थात ईश्वर आत्मा कर्म फल पुनर्जन्म बंधन मुक्ति आदि के विषय में जानकारी करने के लिए अधिक लोग अधिक रुचि नहीं रखते।

जो लोग पूर्व जन्मों में अध्यात्म विद्या को पढ़कर कुछ तपस्या कर चुके हैं....! 

उनके आध्यात्मिक संस्कार अधिक होने से उनको अध्यात्म विद्या आकर्षित करती है। 

और वे शीघ्र ही थोड़े से पुरुषार्थ से भी आध्यात्मिक उन्नति कर लेते हैं। 

क्योंकि उनके मन में आध्यात्मिक विचारों की फसल उत्पन्न होने की भूमिका पूर्व जन्मों की तपस्या के कारण तैयार हो चुकी होती है।

जिनके पूर्व जन्मों के आध्यात्मिक संस्कार इतने अधिक नहीं हैं....! 

तो कोई बात नहीं। 

यदि इस जन्म में वे लोग पुरुषार्थ करें, तो उनकी कुछ न कुछ उन्नति इस जन्म में भी होगी, और अगले जन्मों में भी। 

आध्यात्मिक उन्नति करना इस लिए अधिक महत्वपूर्ण है....! 

क्योंकि इसी से मन की शांति प्राप्त होती है। 

मन की शांति के बिना आज का मनुष्य डिप्रेशन में जा रहा है। 

उससे बचना बहुत आवश्यक है।

मन की शांति प्राप्त करने....! 

अपने मन बुद्धि शरीर इंद्रियों आदि को स्वस्थ रखने....! 

जीवन में आनंद प्राप्त करने....! 

तथा तनाव मुक्त जीवन जीने आदि के लिए अध्यात्म विद्या के बिना दूसरा कोई उपाय नहीं है। 

इस लिए अध्यात्म विद्या की प्राप्ति के लिए अवश्य ही पुरुषार्थ करें।

🙏हर हर महादेव हर...!!
जय माँ अंबे ...!!!🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर: -
श्री सरस्वति ज्योतिष कार्यालय
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Satvara vidhyarthi bhuvn,
" Shri Aalbai Niwas "
Shri Maha Prabhuji bethak Road,
JAM KHAMBHALIYA - 361305 (GUJRAT )
सेल नंबर: . + 91- 9427236337 / + 91- 9426633096  ( GUJARAT )
Vist us at: www.sarswatijyotish.com
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
Email: astrologer.voriya@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

No comments:

Post a Comment

नाम से कुंडली मिलान कैसे करते हैं ?

नाम से कुंडली मिलान कैसे करते हैं?   नाम से कुंडली मिलान करने के दो मुख्य तरीके प्रचलित हैं: # १. वैदिक ज्योतिष के अनुसार (अष्टकूट मिलान ) ज...