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Monday, February 22, 2021

।। श्री यजुर्वेद और श्री गर्गसंहिता अनुसार कुंडली मिलान का विचार कैसे कर रहे है ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। श्री यजुर्वेद और श्री गर्गसंहिता अनुसार कुंडली मिलान का विचार कैसे कर रहे है ।।


हमारे ग्रथों के अंदर जातक के लग्न जीवन का कुंडली मिलान विचार कैसे करें.....

पति - पत्नी की प्रकृति,  विचार,  स्वभाव,  गुणधर्म,  रुचियां,  आवश्यकताएं,  पसंद आदि समान हो तो दांपत्य जीवन सुखी होता है ।

और यदि पति - पत्नी की सोच,  गुणधर्म,  स्वभाव आदि नहीं मिलते हो तो दांपत्य जीवन कष्टप्रद और पारिवारिक जीवन क्लेश युक्त हो जाता है ।


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अतः पति - पत्नी का जीवन सुखमय व्यतीत हो ।

संतान सुख,  धनसुख,  सामाजिक प्रतिष्ठा,  ख्याति- प्रसिद्धि,  मान-सम्मान, ऐश्वर्य,  संपत्ति,  भूमि,  भवन, वाहन सुख जैसे अनेकों सुखों की प्राप्ति विवाह के पश्चात हो तो ग्रहों का मिलान शुभ है ।

अन्यथा यदि विवाह पश्चात अनेकों पारिवारिक,  आर्थिक,  शारीरिक,   मानसिक,  परेशानियों से जातक घिरा  हो तो ग्रह गुण सही तरीके से मिले नहीं है. कुछ कमी रही है ।

अतः पति - पत्नी का दांपत्य जीवन सभी प्रकार से सुखी रहे ।

किसी प्रकार की अनहोनी नहीं घटे।

इसी लिए विवाह पूर्व कुंडलियों का मिलान किया जाता है ।

कुंडली मिलान में सिर्फ गुणों का मिलान ही महत्वपूर्ण नहीं है ।

बल्कि ग्रहों का मिलान अधिक जरूरी है ।

मैंने ऐसी अनेकों कुंडलियां देखी है ।

जिनके कम गुण मिलने पर भी गृहस्थि  सफल रही है ।

और ऐसी भी अनेकों कुंडलियां देखी है जिनके अधिक गुण मिलने पर भी विवाह सफल नहीं रहे हैं।

अतः गुण के साथ - साथ लग्न कुंडली एवं नवमांश कुंडली का अध्ययन स्त्री,  पुरुष दोनों की कुंडलियों में करना चाहिए.

.. कुंडलियां मिलान करते समय रखे विशेष सावधानी....

कुंडलियां मिलान करते समय विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है ।

सिर्फ गुण मिलाकर ही इतिश्री नहीं करना चाहिए ।

किंतु लड़के लड़की दोनों के ग्रहों की शत्रु मैत्री भाव तथा दोनों की कुंडली में संतान,  धन, आयु आदि आवश्यक रूप से देखें।

क्योंकि विवाह के पश्चात संतान न हो तो गृहस्थ जीवन अधूरा है।

यदि धन ना हो तो दांपत्य जीवन संघर्ष में हो जाता है ।

अतः संतान धन की स्थिति कैसी रहेगी ।

दोनों का जीवन एक साथ होने पर और एक मुख्य बात  आयु भी है।

किसी एक की आयु नहीं हो तो दांपत्य जीवन पूर्णता नष्ट हो जाता है ।

अतः सुख  तभी प्राप्त होगा ।

जब आयु होगी. ।


.. कुंडली मिलान करते समय इनका भी रखें ध्यान..

स्वास्थ्य एवं स्वभाव. भौतिक सुख तथा परिवार. जातक जातिका के गुणधर्म,  चाल चरित्र आदि सामाजिक स्थिति,  भवन, वाहन आदि विद्या,  संगति,  संतान होगी कि नहीं।

व्यापार ,  नौकरी ,  आजीविका के साधन  क्या क्या है ।

विवाह योग,  प्रेम विवाह योग भी,   तलाक योग आदि।

बीमारियों की स्थिति,  दुर्घटनाएं,  धर्म - कर्म रुचि ।

भाग्योदय कब होगा ।

 राज्य,  नौकरी, व्यापार,  पित्र,  धन,  पदोन्नति होगी कि नहीं।


आय  की स्थिति,  पैर की स्थिति आदि।

 जेल यात्रा,  हानि,  ऋण,  हत्या,  आत्महत्या आदि योगों का भी सूक्ष्म अध्ययन कर लेना चाहिए ।

अतः कुंडलियों का मिलान  हमेशा किसी विद्वान ज्योतिषी से ही करवाना चाहिए।
 जय माताजी...!


         !!!!! शुभमस्तु !!!

🙏हर हर महादेव हर...!!
जय माँ अंबे ...!!!🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर: -
श्री सरस्वति ज्योतिष कार्यालय
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-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Satvara vidhyarthi bhuvn,
" Shri Aalbai Niwas "
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JAM KHAMBHALIYA - 361305 (GUJRAT )
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जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

Friday, February 12, 2021

।। श्री यजुर्वेद के अनुसार आपकी जन्मकुंडली आपका बैंक लॉकर के फल ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

। श्री यजुर्वेद के अनुसार आपकी जन्मकुंडली आपका बैंक लॉकर के फल ।।


हमारे यजुर्वेद के अनुसार आपकी जन्म - कुण्डली -  आपका बैंक लॉकर ही है ।

•• आपकी जन्म-कुण्डली आपका बैंक लॉकर है - जो आपके जन्म से आपके नाम है । 

इसमे आपके पूर्व-जन्मों की कर्म-सम्पति है - जो समय-समय पर आपको मिलती रहती है । 

•• आपकी कुण्डली के योग आपके लॉकर की कर्म-संपति का ब्याज है । 


अशुभ योगों के कारण ये ब्याज आपकी कर्म संपति से काट लिया जाता है और शुभ योगों के कारण ये ब्याज आपकी कर्म - सम्पति में जोड़ दिया जाता है । 

•• महा - दशायें और अन्तर्दशायें आपकी कर्म -      सम्पति की FD, Fix - Deposit है । 

महादशायें बड़ी FD है और अन्तर्दशायें छोटी FD है । 

अशुभ और निर्बल ग्रहों की दशायें आपकी FD को Matured परिपक्व नहीं होने देती ऐसे ही शुभ और बलवान ग्रहों की दशायें आपकी FD को परिपक्व कर देती है ।

•• गोचर के ग्रह - आपकी कर्म - सम्पति के लिये शुभ - अशुभ सन्देश लेकर आते हैं । 

जैसे - किसी बैंक के लिये सरकारी नियम - कभी अच्छे और कभी बुरे । 

ये कभी आपके लाकर पर अच्छा - बुरा प्रभाव डालते हैं । 

कभी आपके ब्याज को कम ज्यादा कर देते हैं और कभी आपकी FD को प्रभावित करते हैं । 

ये सब इनके सन्देश पर निर्भर करता है कि - वो किस पर प्रभाव डालेंगे ।

सूर्य का धनु राशि में प्रवेशमकर संक्रांति तक सूर्य रहेगा धनु राशि में, जानिए सभी 12 राशियों पर कैसा रहेगा सूर्य का असर :


सूर्य वृश्चिक से धनु राशि में आ गया है। 

धनु संक्रांति की तारीख को लेकर पंचांग भेद हैं, 

कुछ पंचांग में इस संक्रांति की तारीख 15 दिसंबर और कुछ में 16 दिसंबर बताई गई है। 

धनु राशि का स्वामी बृहस्पति है। 

बृहस्पति सभी देवताओं के गुरु हैं। 

धनु राशि में जब सूर्य आता है तो माना जाता है कि इस समय सूर्य अपने गुरु बृहस्पति की सेवा करते हैं। 

सूर्य करीब एक महीने तक धनु राशि में रहेगा। 

14 जनवरी को मकर संक्रांति पर ये ग्रह मकर राशि में प्रवेश करेगा। 

इस एक महीने को खरमास और मलमास कहा जाता है।

मेष

इस राशि के लोगों के जीवन में सुख, शांति बनी रहेगी। 

कोई नुकसान होने की संभावना नहीं है, लेकिन इन लोगों को लापरवाही से बचना होगा।

वृषभ

सूर्य की वजह से इन लोगों को लाभ हो सकता है। 

अचानक कोई बड़ा काम मिल सकता है। 

संतान की वजह से सुखद समय बना रहेगा।

मिथुन

धनु राशि का सूर्य आपको शक्तिशाली बनाएगा, 

आप शत्रुओं को पराजित करेंगे। 

बेरोजगारों लोगों को रोजगार मिलेगा।

कर्क

इन लोगों को जमीन से जुड़े कामों में लाभ हो सकता है। 

कोर्ट से जुड़े मामलों में सतर्क रहना होगा, 

सावधानी से काम करेंगे तो कुछ समय बाद मामला पक्ष में आ सकता है।

सिंह

इन लोगों के लिए धनु राशि का सूर्य सामान्य फल देने वाला रहेगा। 

मनोरंजन और आनंद में समय व्यतीत होगा। 

इन लोगों को मेहनत के अनुसार फल मिलेगा।

कन्या

आप लोग अपने काम ठीक से कर पाएंगे। 

शत्रुओं को पराजित करेंगे और सफलता हासिल करेंगे।

तुला

नए काम करने का मन होगा, 

नई योजनाएं बनाएंगे। 

संयम के साथ काम करेंगे तो लाभ हो सकता है।

वृश्चिक

आपके लिए सतर्क रहने का समय रहेगा। 

अति उत्साह से बचें, वर्ना हानि हो सकती है। 

निवेश करने से पहले किसी से सलाह जरूर लें।

धनु

अब सूर्य इसी राशि में रहेगा। 

इस कारण अनावश्यक चिंता रह सकती है। 

अटके कार्यों में सफलता मिलेगी।

मकर

आपके कार्यों में सुधार आएगा। 

नई योजनाओं पर विचार करेंगे। 

सोच - समझकर काम करेंगे तो सफलता मिल सकती है।

कुंभ

इन लोगों को सूर्य की वजह सुख मिल सकता है, 

लेकिन पैसों के लेन - देन में सावधानी रखनी होगी, 

वर्ना नुकसान हो सकता है।

मीन

अपने सामर्थ्य के अनुसार काम नहीं कर पाएंगे, 

अनजाना डर बना रहेगा। 

शांति से काम करेंगे तो बेहतर रहेगा।

धनु संक्रांति से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए...

खरमास - अपने गुरु की सेवा में रहेंगे भगवान सूर्य; विवाह, मुंडन, जनेऊ जैसे शुभ कामों के लिए मकर संक्रांति तक नहीं रहेंगे मुहूर्त


         !!!!! शुभमस्तु !!!

🙏हर हर महादेव हर...!!
जय माँ अंबे ...!!!🙏🙏

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Tuesday, February 9, 2021

।। श्री यजुर्वेद के अनुसार ज्योतिष विद्या के अंदर बताए गए है कि कौन सा ग्रह और नक्षत्र राजकीय सेवा ( सरकारी नौकरी ) के फल ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। श्री यजुर्वेद  के अनुसारज्योतिष विद्या के  अंदर बताए गए है कि कौनसा ग्रह और नक्षत्र राजकीय सेवा (  सरकारी नौकरी ) के फल ।।


हमारे वेदों में ज्योतिष विद्या की बहुत सटीक माहिती में बताया गया कि राजकीय सेवा ( नौकरी ) और ग्रह नक्षत्र ।

आज की युवा पीढ़ी पढ़ लिख लेने के बाद उनका यही प्रश्न होता है ।

कि हमारी नौकरी कब लगेगी, सरकारी नौकरी के लिए आज भी अधिकांश लोग प्रयासरत रहते हैं। 

कुछ सफल हो पाते हैं ।



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और कुछ को केवल संघर्ष का सामना करना पड़ता है।

ज्योतिषाचार्य पं. प्रभुलाल वोरिया से जानते हैं कि कौन से ग्रह और ग्रह स्थितियां व्यक्ति के जीवन में सरकारी नौकरी की संभावनाओं को बढ़ाती हैं.. ।

ज्योतिष में सूर्य को सरकार और सरकारी कार्यों का कारक माना गया है ।

अतः सरकारी नौकरी के लिये व्यक्ति की कुंडली में सूर्य की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है। 

इसके अलावा कुंडली का दशम भाव हमारी आजीविका या रोजगार की स्थिति को दिखता है और शनि आजीविका या नौकरी का प्राकृतिक कारक है। 

कुंडली का छठा भाव नौकरी को दर्शाता है। 

इसके अतिरिक्त सरकारी नौकरी के लिए गुरु का बली होना भी अति आवश्यक होता है ।

अतः कुंडली में सूर्य बली होने के साथ  -  साथ सूर्य के साथ ग्रहों का शुभ सम्बन्ध बनने पर सरकारी नौकरी की संभावनाएं होती हैं।

*१:-  सरकारी नौकरी के लिए हमें सूर्य, शनि और गुरु की स्थिति देखनी होती है। 

यदि सूर्य बली होकर दशम भाव में बैठा हो या दशम भाव पर सूर्य की दृष्टि हो तो सरकारी नौकरी का योग बनता है।

*२:-  यदि कुंडली में सूर्य और शनि एक साथ शुभ स्थानों में हो या शनि पर सूर्य की दृष्टि पड़ती हो तो सरकारी नौकरी का योग बनता है।

*३:-  यदि सूर्य बली होकर कुंडली के छठे भाव में हो ।

तो भी सरकारी नौकरी का योग बनता है।

*४:-  सूर्य कुंडली के बारहवें भाव में हो तो भी सरकारी नौकरी की संभावनाएं होती हैं।


*५:-  यदि शनि "सिंह राशि" में हो और सूर्य ठीक स्थिति में हो तो भी सरकारी नौकरी का योग बनता है।

यदि कुंडली में सूर्य स्व - राशि ( सिंह ) या उच्च-राशि ( मेष )  में हो ।

तो भी सरकारी नौकरी या सरकार से जुड़कर कोई कार्य करने का योग होता है।

*६:-  सूर्य और बृहस्पति ( आमने सामने )  का योग भी यदि शुभ भाव में बना हो तो सरकार में कोई उच्च पद दिलाता है। 

सूर्य और बृहस्पति का शुभ भावों में होकर समसप्तक ( आमने सामने )  होना भी सरकारी नौकरी की सम्भावना बनाता है।

*७:-  सूर्य अगर सिंह या मेष राशि में हो और किसी पाप ग्रह जैसे ( सूर्य + राहु  या  सूर्य + केतु )  और ( गुरु + राहु )  से पीड़ित ना हो ।

तो भी सरकारी नौकरी की अच्छी संभावनाएं बनती हैं।

*८:-  सरकारी नौकरी या सरकार से जुड़े कार्यों में सूर्य की स्थिति का ही सबसे ज्यादा महत्व होता है ।

अतः कुंडली में सूर्य का नीच राशि ( तुला ) मे या सूर्य अष्टम भाव में हो ।

यह सूर्य डिग्री में कमजोर हो तो ऐसी स्थिति में राजकीय सेवाओं के योग को कम करता है।


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Sunday, February 7, 2021

।। श्री ऋग्वेद के अनुसार दाम्पत्य जीवन और ज्योतिष विद्या शास्त्र में बताए फल ।।

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।। श्री ऋग्वेद के अनुसार दाम्पत्य जीवन और ज्योतिष विद्या शास्त्र में बताए फल ।।

हमारे हिन्दू धर्म के वेदों में ही ऋग्वेद के अनुसार दाम्पत्य जीवन और ज्योतिष शास्त्र फलकथन ।

सूर्य, शनि, राहु अलगाववादी स्वभाव वाले ग्रह हैं ।

वहीं मंगल व केतु मारणात्मक स्वभाव वाले ग्रह है ।

ज्योतिषाचार्य पं. प्रभुलाल वोरिया ने बताया कि ये सभी दाम्पत्य - सुख के लिए हानिकारक होते हैं। 

जैसे : -

१.- यदि सप्तम भाव पर राहु, शनि व सूर्य की दृष्टि हो एवं सप्तमेश अशुभ स्थानों में हो ।

एवं शुक्र पीड़ित व निर्बल हो तो व्यक्ति को दाम्पत्य - सुख नहीं मिलता। 

२.- यदि सूर्य - शुक्र की युति हो ।

और व सप्तमेश निर्बल व पीड़ित हो ।

एवं सप्तम भाव पर पाप ग्रहों का प्रभाव हो ।

तो व्यक्ति को दाम्पत्य सुख प्राप्त नहीं होता है। 

३.- यदि लग्न में शनि स्थित हो और सप्तमेश अस्त, निर्बल या अशुभ स्थानों में हो ।

तो जातक का विवाह विलम्ब से होता है ।

और व जीवनसाथी से उसका मतभेद रहता है। 


४.- यदि सप्तम भाव में राहु स्थित हो ।


और सप्तमेश पाप ग्रहों के साथ छ्ठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो तो जातक के तलाक की संभावना होती है। 

५.- यदि लग्न में मंगल हो व सप्तमेश अशुभ भावों में स्थित हो ।

 और व द्वितीयेश पर मारणात्मक ग्रहों का प्रभाव हो ।

तो पत्नी की मृत्यु के कारण व्यक्ति को दाम्पत्य - सुख से वंचित होना पड़ता है। 

६.- यदि किसी स्त्री की जन्मपत्रिका में गुरु पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो ।

सप्तमेश पाप ग्रहों से युत हो एवं सप्तम भाव पर सूर्य, शनि व राहु की दृष्टि हो ।

तो ऐसी स्त्री को दाम्पत्य सुख प्राप्त नहीं होता.!!


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Saturday, February 6, 2021

।। श्री सामवेद के अनुसार आपकी जन्मतिथि और उसके देवता ।।

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।। श्री सामवेद  के अनुसार आपकी जन्मतिथि और उसके देवता ।।

हमारा सनातन वेदों के अंदर बहुत छोटी छोटी बातों का भी उलेख दिया हुवा ही है कि आपकी जन्मतिथि और उसके देवता ।


जन्मतिथि सबसे महत्वपूर्ण दिन, जिस दिन आपका जन्म हुआ।

आप जन्मदिन मनाते भी है बहुत धूमधाम से अपने परिजनों के मध्य परन्तु आजकल यह जन्मदिन आप मनाते है ।

अंग्रेजी महीनों कि तारीख से ना की हिन्दू कैलेंडर की तिथियों से जो कि आपका वास्तविक जन्मदिन है। 

मजेदार बात यह है कि हम श्राद्ध कर्म तिथि अनुसार करते है ।

और तो और मुहूर्त भी तिथि अनुसार करते परन्तु जीवन के सबसे महत्वपूर्ण दिन को तिथि अनुसार नहीं मनाते। 

कई व्यक्तियों को तो जन्मतिथि और जन्म तारीख का अंतर भी ज्ञात नहीं है ।

तो कई व्यक्तियों की अपनी जन्मतिथि याद नहीं है।

इन्हीं सब बातों ने इस लेख को लिखने की प्रेरणा दी है। 

क्यूं महत्वपूर्ण है जन्म तिथि ?

प्रत्येक जन्म तिथि के निश्चित देवता होते है और इसलिए यह तिथि महत्वपूर्ण हो जाती हैं। 

हमे अपनी जन्म तिथि के अनुसार जन्मदिन मनाना चाहिए और महीने में आने वाली उन तिथियों पर उस तिथि विशेष देवता भगवान की आराधना , उपासना करनी चाहिए। 

इससे आपको समृद्धि मिलती है। 



पूजा, उपासना या आराधना करने का अर्थ कोई विशेष विधि, अनुष्ठान नहीं होता ।

मात्र कुछ क्षण श्रद्धा से किया हुआ प्रणाम, नमन और मन के आनंद रूपी प्रकाश का दिया ही काफी हैं।

हिन्दू पंचांग 5 तत्थयों से बना है और इन्हीं पांचों के आधार पर ही हिन्दू कैलेंडर निर्मित हुआ है।

ये 5 बातें हैं इस प्रकार से है : -

-1. तिथि, 

2. वार, 

3. नक्षत्र, 

4. योग ,

5. करण।

लेख में सिर्फ तिथि की ही जानकारी दी जा रही है।

तिथि क्या है:- 

तिथि को तारीख या दिनांक कहते हैं। 

अन्य  अंग्रेजी तारीख और तिथि में फर्क यह है ।

कि अंग्रेजी तारीख रात्रि 12 बजे के बाद बदलती है ।

अर्थात रात्रि 12 बजे के बाद दूसरी तारीख या दिनांक आ जाती हैं। 

हिन्दू कैलेंडर में दिनों की गणना तारीख या दिनांक से नहीं वरन् तिथि से की जाती है। 

यह तिथि दिन या रात में कभी भी शुरू हो सकती है। 

इसका संबंध चन्द्र के नक्षत्र में भ्रमण से होता है। 

हिन्दू पंचांग के अनुसार माह के 30 दिन को चन्द्र कला के आधार पर 15 - 15 दिन के 2 पक्षों में बांटा गया है। 

शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। 

शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा कहते हैं और कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन को अमावस्या।

इस प्रकार से एक माह में दो पक्ष होते हैं। 

एक पक्ष में पंद्रह तिथियां होती है। पहली तिथि को प्रतिपदा कहा जाता है। 

कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली प्रतिपदा को कृष्ण प्रतिपदा कहा जाता है तो शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को शुक्ल प्रतिपदा। 

कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या होती है तो शुक्ल पक्ष का समापन पूर्णिमा को होता है।

आप यदि आपको अपनी जन्म तिथि ज्ञात करना है ।

वही तो आपको हिन्दू कैलेंडर से देखना होगा कि अंग्रेजी तारीख ( क्यूंकि अधिकतर व्यक्ति अपनी जन्म दिनांक अंग्रेज़ी में हीं जानते हैं ) के दिन हिन्दू कैलेंडर के अनुसार  कौन सी तिथि है ।

वहीं आपकी जन्म तिथि होगी।

तिथि के देवता- 

अमावस्या तिथि - 

इस तिथि के देवता हैं अर्यमा जो पितरों के प्रमुख हैं। 

अमावास्या में पितृगणों की पूजा करना चाहिए।

 प्रतिपदा तिथि - 

इस तिथि के देवता हैं अग्निदेव ।

द्वितीया तिथि - 

इस तिथि के देवता हैं ब्रह्मा जी।

तृतीया - 

इस तिथि के देवता हैं यक्षराज कुबेर। 

चतुर्थी - 

इस तिथि के देवता हैं श्री गणेश। 

पंचमी  - 

इस तिथि के देवता हैं नागदेवता नागराज। 

षष्ठी - 

इस तिथि के देवता हैं कार्तिकेय भगवान।

सप्तमी - 

इस तिथि के देवता हैं चित्रभानु जो कि सूर्य

नारायण ही है।

अष्टमी - 

इस तिथि के देवता हैं रुद्र ।

 नवमी -  

इस तिथि की देवी हैं दुर्गा। 

 दशमी - 

इस तिथि के देवता हैं यमराज।

एकादशी - 

इस तिथि के देवता हैं विश्वेदेवगण विष्णु। 

द्वादशी - 

इस तिथि के देवता हैं विष्णु जी।

 त्रयोदशी - 

इस तिथि के देवता है शिव जी।

चतुर्दशी - 

इस तिथि के देवता हैं शंकर। 

 पूर्णिमा - 

इस तिथि के देवता हैं चंद्रमा। 


जन्मतिथि के अनुसार जन्मदिन मनाएं तो बहुत बेहतर है ।

यदि ऐसा ना कर सके तो उस दिन अपने तिथि देवता का पूजन अवश्य करें।

पुनः ,पूजा, उपासना या आराधना करने का अर्थ कोई विशेष विधि, अनुष्ठान नहीं होता ।

मात्र कुछ क्षण श्रद्धा से किया हुआ प्रणाम, नमन और मन के आनंद रूपी प्रकाश का दिया ही काफी हैं।

शुभ सोच!! शुभ परिणाम ।।

         !!!!! शुभमस्तु !!!

🙏हर हर महादेव हर...!!

जय माँ अंबे ...!!!🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर: -

श्री सरस्वति ज्योतिष कार्यालय

PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 

-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-

(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 

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JAM KHAMBHALIYA - 361305 (GUJRAT )

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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 

नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....

जय द्वारकाधीश....

जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

।। श्री ऋग्वेद के अनुसार नक्षत्रो के योनि के गुण और स्वभाव के फल ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। श्री ऋग्वेद के अनुसार नक्षत्रो के योनि के गुण और स्वभाव के फल ।।


श्री ऋग्वेद के अनुसार ( जन्म पत्रिका में योनि ) गुण एवं स्वभाव

इस संसार में जीवन धारियों की कुल 84 लाख योनियां हैं। 

मनुष्य योनि को इन सभी योनियों में कर्म प्रधान माना गया है। 

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिस नक्षत्र में हमारा जन्म होता है उस नक्षत्र से संबंधित योनि के अनुसार हमारा स्वभाव, व्यवहार और व्यक्तित्व होता है।

इस संसार में जितने भी जीव हैं वह किसी ना किसी योनि से अवश्य ही संबंध रखते हैं। 

वैदिक ज्योतिष में भी इन योनियों के महत्व पर बल दिया गया है और इनका संबंध नक्षत्रों से जोड़ा गया है। 

योनियों के वर्गीकरण में अभिजीत सहित 28 नक्षत्रों को लिया गया है। 

तो इन 28 नक्षत्रों के हिसाब से ये योनियां चौदह हुईं ।

क्योंकि दो नक्षत्रों को एक योनि के अन्तर्गत रखा जाता है। 

तभी तो दो नक्षत्रों को मिलाकर देखा जाता है कि यह किस प्रकार की योनि बना रहे हैं और यह सुखी वैवाहिक जीवन के लिए सही भी है या नहीं।

कुंडली मिलान में योनि मिलान क्यों?

ऐसा कहा जाता है कि सफल वैवाहिक जीवन के लिए स्त्री और पुरुष दोनों के नक्षत्र की योनि समान होनी चाहिए। 

इससे दोनों के आंतरिक गुण समान होने से आपसी मतभेद होने की संभावना कम रहती है।

यानि कि एक सफल वैवाहिक जीवन इसी योनि के कारण बनता है।




14 प्रकार की योनियो की जानकारी : -

पहली सात : -

अश्व योनि - अश्विनी, शतभिष; 

गज योनि - भरणी, रेवती; 

मेष योनि - पुष्य, कृतिका; 

सर्प योनि - रोहिणी, मृ्गशिरा; 

श्वान योनि - मूल, आर्द्रा; 

मार्जार योनि - आश्लेषा, पुनर्वसु; 

मूषक योनि - मघा, पूर्वाफाल्गुनी।

शेष सात : -

गौ योनि - उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराभाद्रपद; 

महिष योनि - स्वाती, हस्त; 

व्याघ्र योनि - विशाखा, चित्रा; 

मृग योनि - ज्येष्ठा, अनुराधा; 

वानर योनि - पूर्वाषाढ़ा, श्रवण; 

नकुल योनि - उत्तराषाढ़ा, अभिजीत; 

सिंह योनि - पूर्वाभाद्रपद, धनिष्ठा।

योनियों का संबंध क्या फल प्रदान करता है : -

कुंडली शास्त्र के अनुसार योनियों का परस्पर संबंध पांच प्रकार से होता है। 

ये संबंध ही अपने मुताबिक वर-वधु के रिश्ते पर प्रभाव डालते हैं।

स्वभाव योनि : -

पहला है स्वभाव योनि, जिसका अर्थ है वर तथा कन्या की योनि एक है। 

यदि दोनों की योनि एक ही है तब विवाह को शुभ माना गया है।

मित्र योनि : -

वर-वधु की कुंडली को मिलाकर यदि मित्र योनि बने, तो ऐसा विवाह मधुर बनता है। 

ऐसे शादीशुदा जोड़े में आपसी समझ की अधिकता एवं प्यार काफी ज्यादा होता है।

उदासीन अथवा सम योनि : -

यदि लड़के तथा लड़की की कुण्डली में दोनों की योनियां परस्पर उदासीन स्वभाव की हैं तब वैवाहिक संबंध औसत ही रहते हैं। 

ऐसे विवाह में कोई ना कोई छोटी - मोटी परेशानी चलती ही रहती है जो रिश्ते पर सवाल खड़े कर देती है।

शत्रु योनि : -

यदि वर तथा कन्या की परस्पर योनियां मिलाने पर ये शत्रु स्वभाव की बनें, तो ऐसा विवाह नहीं करना चाहिए। 

यह विवाह कुंडली शास्त्र के अनुसार अशुभ माना जाता है, अंतत: इसे टालने में ही सबकी भलाई है।

महाशत्रु योनि : -

शत्रु योनि से भी बढ़कर महाशत्रु योनि है ।

यदि वर तथा कन्या कि योनियों में महाशत्रुता हो तो यह बेहद अशुभ विवाह बनता है। 

ना केवल इससे दाम्पत्य जीवन में वियोग तथा कष्टों का सामना करना पड़ सकता है ।

साथ ही वर - वधु से जुड़े दो परिवार भी इस विवाह के अशुभ संकटों में फंसते चले जाते हैं।

वर - वधु की कुंडली का मिलान करते समय ज्योतिषी कई तरह की गलतियां कर जाते हैं। 

कई बार तो वे उन अहम बिंदुओं को परखना ही भूल जाते हैं जो भविष्य में वर - वधु के शादीशुदा जीवन की नींव बनने वाले हैं। 

या फिर यदि परखते भी हैं तो उस गहराई से नहीं, जितनी कि आवश्यकता होती है। 

इन्हीं कभी भी नजरअंदाज ना करने वाली चीजों में से एक है कुंडली का “योनि मिलान”। 

वर एवं वधु किस योनि से हैं एवं उन दोनों की योनि एक - दूसरे के लिए अनुकूल है या नहीं । 

इस बात को जान लेना बेहद महत्वपूर्ण है।  


योनियों के अनुसार जातको के स्वभाव : -

अश्व योनि  : -

अश्व योनि स्वेच्छाचारी, साहसी, प्रभावशाली, ओजस्वी, दमदार आवाज इत्यादि

गज योनि  : -

गज योनि बलवान, शक्तिशाली, उत्साही एवं सम्मानित लोगों से प्रतिष्ठित

गौ योनि : -

गौ योनि सदा उत्साहित और आशावादी, मेहनती, परिश्रम से पीछे न हटने वाले, बात करने में निपुण, स्त्रियों को विशेष रूप से प्रिय, कम आयु

सर्प योनी : -

सर्प योनि अत्यंत क्रोधी स्वभाव, अनियंत्रित क्रोध, रूखा स्वभाव, दया और ममता की कमी, मन अस्थिर और चंचल, गम्भीरता से नहीं सोच पाना, खाने और व्यंजन के शौकीन, नुगरे

श्वान योनि : -

श्वान योनि बहादुर और साहसी, उत्साही और जोश से परिपूर्ण, मेहनती और परिश्रमी, माता-पिता के सेवक, दूसरों के सहायक, भाई बंधुओं से छोटी-छोटी बात पर लड़ जाने वाले

मार्जार योनि : -

मार्जार योनि अत्यंत निडर, बहादुर और हिम्मत वाले, दूसरों के प्रति दुष्ट भाव रखना, समस्त कार्य करने में कुशल, मीठे के शौकिन

मेष योनि : -

मेष योनि पराक्रमी और महान योद्धा, मेहनती, धन-दौलत से परिपूर्ण ऐश्वर्यशाली, भोगी तथा दूसरों पर उपकार करने वाले

मूषक योनि  : -

मूषक योनि काफी बुद्धिमान और चतुर, अपने काम में तत्पर और सजग, काफी सोच विचार कर और समझदारी से आगे बढने वाले, सदैव सचेत एवं आसानी से किसी पर विश्वास नहीं करने वाले, काफि धनी

सिंह योनि  : -

सिंह योनि धर्मात्मा, स्वाभिमानी, नेक और सरल आचरण व व्यवहार, इरादों के पक्के, अत्यंत साहस और हिम्मत, कुटुम्ब का ख्याल रखने वाले

महिष योनि  : -

महिष योनि कम बुद्धि वाले, युद्ध में इन्हें सफलता, काम के प्रति बहुत अधिक उत्साही, कई संताने, वात रोगी

व्याघ्र योनि  :-

व्याध योनि सभी प्रकार के काम में कुशल, स्वतंत्र रूप से काम करने वाले, अपनी प्रशंसा स्वयं करने वाले

मृग योनि  : -

मृग योनि कोमल हृदय, नम्र और प्रेमपूर्ण व्यवहार, शान्त मन, सत विचार एवं सत्य वाचक, आस्थावान, स्वतंत्र विचारों के, लड़ाई-झगड़े दूर रहने वाले, भाई बंधुओं से प्रेम करने वाले

वानर योनि  : -

वानर योनि चंचल स्वभाव, युद्ध के लिये सदा तत्पर, काफी बहादुर और हिम्मत वाले, कामो उत्तेजक, धन व्यस्नी, संतान से सुखी

नकुल योनि : -

नकुल योनि के जातक हर काम में पारंगत एवं कुशलता पूर्वक करने में सक्षम, अत्यंत परोपकारी, विद्या के धनी, माता पिता के भक्त होते है।
                     
         !!!!! शुभमस्तु !!!

🙏हर हर महादेव हर...!!
जय माँ अंबे ...!!!🙏🙏

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होली बाद इन राशियों का शुरू होगा गोल्डन टाइम, :

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