सभी
ज्योतिष मित्रो को मेरा निवेदन है..., आप मेरा
दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे..., मे किसी के लेखो की कोपी
नहि करता..., किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही
विद्या आगे बठाने की नही है..., कोपी करने से आप को ज्ञ्नान
नही मिल्ता भाई..., और आगे भी नही बढ़ता..., आप आपके महेनत से त्यार होने से बहुत आगे बठा जाता है...,
धन्यवाद......, जय द्वारकाधीश...,
वर्ल्ड कप मे स्टुअर्ट बिन्नी अच्छा देखाव करेगा या नही ?
शनि साढ़े साती का फल और माघ पूर्णिमा महत्व एवं मंगल दोष निवारण
वर्ल्डकप 2015 क्रिकेट प्रेमिओं
में उतेजना बठ रही है और क्रिकेट मेच, खेलाडीवीरो
और हरेक देश की टीम के बलाबल की चर्चा निष्णातो में हो रही है और जातजातकी अग्वनो
भी हो रही है, ज्योतिष शात्र की द्रष्टि से भारत का स्टुअर्ट
बिन्नी कुंडली के ग्रह्मान से अग्वनो कर शकाता है,
स्टुअर्ट बिन्नी
भारत का एक अच्छा ओल्रराउंडर खेलाडी है और बोलीग में भी ज्यादा प्रभावशाली देखाव
कर चूका है, स्टुअर्ट बिन्नी की सिह
लग्न की कुंडली है सिंह लग्न की व्यक्ति मजबूत मनोबल, उंच्च
ध्येयवान, महत्वाकाक्षी, ज्यादा
लक्ष्यवेध और मन के एन्छा अनुशार करनार दिखाई देता है और वाही देखते बिन्नी उसका
बोटिंग और बोलिंग में मन के अनुशार परिणाम लेने के लिए बहुत महेनत करता रहेगा,
उदहारण
कुंडली
स्टुअर्ट बिन्नी :
जन्म दिनाक : 03 / जून / 1984 जन्म समय :
12 : 00 : 00 जन्म स्थान : बेंगलोर
लग्न सूर्य चन्द्र
मंगल बुध
गुरु शुक्र
शनि राहू
केतु
05 02 04 07 01 09 02 07 02 08
और उसकी कुंडली में
पराक्रम स्थान में शनि - मंगल की युति ज्यादा
श्रेष्ठ है और शनि साक्षस मंगल पराक्रमकी शक्ति आपनार है,
और दोनों ग्रहोंकी शक्ति मिलने से ज्यादा अनोखी, अन्धारी और अणिके समय में उत्तम पराक्रमी साबित होता है ऐसा है,
भाग्यकारक, पंचमेश
गुरु महाराज पांचमे रह कर लाभ स्थान को
देखता है वो भाग्य की मदद मिलता है, मंगल भाग्येश और
चतुर्थेश हो कर पराक्रम स्थाने है, इस लिए बलवान और
राजयोगकारक ( सफलता के लाभ देनार ) है, और भाग्य स्थाने मंगल
उसका घर पर द्रष्टि कर रहा है ते भी उत्तम है, कर्म स्थान
में शुक्र स्वग्रही है, और पराक्रमेश है, इस लिए श्रेष्ठ कर्म फल मिल शकता है, सूर्य नीच मे
दशमे कर्म स्थाने है, वाही शुक्र स्वग्रही के साथ है,
इस लिए निचभंग बन जाता है, यशस्वी और सफल बना
देगे ऐसा योग रचा है,
लाभेश बुध भाग्य स्थाने है और भाग्य स्थान पर
भाग्येश मंगल और भाग्यकारक गुरु की शुभ द्रष्टि हो भाग्य बल में ते ज्यादा सफलता
और लाभ के साथ मन के अनुशार परिणाम ले शकते है ऐसा कही शकाता है,
बारमै चन्द्र देखे
तो वो, व्ययकारक है इस लिए अस्थिरता, अन्धारेल
नुकशान, निराशा या प्रतिकूलता भी सुचवता है, और दशमे स्थान में राहू तुला राशि में सूर्य के साथ है इस लिए उसकी महेनत,
प्रयत्नों और ज्यादा आशाओं पर अन्धारी निष्फलता, निराशा या पीछेहठ भी करा शकता है इस लिए ज्यादा पड़ता आत्मविश्वास और उतावल
के कारणे नुकशान हो शकता है ऐसा योग रहा है,
वर्ल्डकप के समय में बिन्नी की कुंडली पर गोचर
ग्रह भ्रमण की असर भी होगी और ते भी बदलती रहेगी और एकसाथ अच्छा देखाव न करी शके,
क्युकी गुरु बार्मे चलता होने से ज्यादा भाग्यतक गुमा देगा, शनि चतुर्थेश चलता हो तो विलंब भी करा शके, सूर्य -
मंगल बहुत स्लो रहेगा इस लिए ज्यादा कालजी और धीरज चाहिए,
गोचरका ग्रहों का परिभ्रमण देखे तो वर्ल्डकप में
महेनत उत्तम है, लेकिन संजोगोकी मदद,
ग्रहों की मदद कम दिखाई देगे और फ़क्त गुरु है जो उसकी जन्म राशि
कर्क पर भ्रमण करेगे ते मदद रूप बनता है इस लिए एक अकेला गुरु पर आधार रखना पड़ेगा, और अन्यथा गोचर
ग्रह्मान सत्त्त बदलता ख़ास कर के सूर्य, मंगल, चन्द्र, बुध और शुक्र का स्थान स्थिति बदलता उसको 50
% टका सानुकूल और 50 % प्रतिकूल असर करेगा,
वो मैच के समय का ग्रह की स्थिति अनुशार मिलना देखे देगा,
★★
।। श्री यजुर्वेद और ऋग्वेद के अनुसार शनिदेव की साढ़ेसाती के फल ।।
हमारे वेदों के आधारित में ही बताया गया है कि शुभदा साढ़ेसाती भी लाते हैं शनिदेव, चहुंओर सफलता के बनते हैं योग :
सूर्यदेव और शनिदेव का सबंध भी पिता पुत्र का भी बन रहा है तो भी कभी कभी किसी को भी शनिदेव की सामान्य साढ़े साती से सभी भयभीत रहते हैं ।
इसका प्रभाव न्याय देने वाला होता है ।
इसमें कर्म के अनुसार फल मिलता है ।
इससे लोग कर्मदण्ड समझ कर शनिदेव की साढ़ेसाती के प्रभाव को कष्टकारी ही मान बैठते हैं ।
उक्त साढ़ेसाती जैसे ही शनिदेव की कृपा से शुभदा साढ़ेसाती का निर्माण होता है ।
इसमें शनिदेव जातक की राशि से नौं, दसवें और ग्यारवें भाव
अर्थात् भाग्य, कर्म और लाभ भाव में संचरण करते हैं ।
बड़े महत्व के कार्याें को गति मिलती है ।
इसमें कर्म से ज्यादा भाग्य का प्रभाव देखने को मिलता है।
इसके बाद जब शनि आगे बढ़ते हैं और बारहवें, पहले और दूसरे भाव में संचरण करते हैं तो यह प्रचलित साढ़ेसाती कहलाती है ।
इसमें पूर्व में अति उत्साह या अहंकार में किए गए गलत कार्याें के लिए शनिदेव उचित न्याय करते हैं।
इस प्रकार यदि शुभदा साढ़ेसाती में व्यक्ति शुभकार्य करता रहता है ।
तो उसे प्रचलित साढ़ेसाती में न्याय स्वरूप शुभफल ही अधिक प्राप्त होता है।
ज्योतिषाचार्य पं. प्रभु राज्यगुरु ने बताया कि इन तीन भावों में ढाई - ढाई वर्ष लगातार भ्रमण करने से शुभदा साढ़ेसाती बनती है ।
इसमें व्यक्ति भाग्य और लाभ से उम्मीद से ज्यादा लाभान्वित होता है ।
साधारण प्रयासों से अच्छी सफलता के राह प्रशस्त हो जाती है ।
महत्वपूर्ण लोगों से भेंट वार्ताएं होती हैं ।
बड़े महत्व के कार्याें को गति मिलती है ।
इसमें कर्म से ज्यादा भाग्य का प्रभाव देखने को मिलता है।
इसके बाद जब शनि आगे बढ़ते हैं और बारहवें, पहले और दूसरे भाव में संचरण करते हैं तो यह प्रचलित साढ़ेसाती कहलाती है ।
इसमें पूर्व में अति उत्साह या अहंकार में किए गए गलत कार्याें के लिए शनिदेव उचित न्याय करते हैं।
इस प्रकार यदि शुभदा साढ़ेसाती में व्यक्ति शुभकार्य करता रहता है ।
तो उसे प्रचलित साढ़ेसाती में न्याय स्वरूप शुभफल ही अधिक प्राप्त होता है।
★★
श्री ऋग्वेद और श्री विष्णुपुराण के अनुसार माघ पूर्णिमा
हमारे वेदों पुराणों के अनुसार 27 फरवरी शनिवार के दिन है माघ पूर्णिमा, जानें शुभ मुहूर्त ओर पूजा विधि*
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है।
कहा जाता है ।
कि इस दिन पवित्र तीर्थों में स्नान करने, दान और ध्यान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है ज्योतिषाचार्य पं. प्रभु राज्यगुरु ने बताया कि वैसे तो साल में 12 पूर्णिमा तिथियां होती हैं, जिसमें पूर्ण चंद्रोदय होता है ।
लेकिन माघ महीने की पूर्णिमा का अपना अलग महत्व है ।
माघ महीने की पूर्णिमा को माघ पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है ।
इस दिन लोग पवित्र तीर्थों और मुख्य रूप से गंगा, नर्मदा, छिप्रा, यमुना जी में स्नान करते हैं।
साथ ही इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
मंत्र का जप करना चाहिए।
माघ पूर्णिमा
ज्योतिषाचार्य पं. प्रभु राज्यगुरु ने बताया कि हिन्दू मान्यतानुसार पूर्णिमा तिथि को बेहद शुभ माना जाता है।
हर पूर्णिमा माह के अनुसार शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा तिथि मान्यता देते है माह के अनुसार कृष्ण पक्ष की अंतिम अमवसिया तिथि होती है।
और उसी तिथि से नए माह नया साल की शुरुआत होती है।
जब कार्तिक माह देव वर्त और श्री ऋग्वेद के अनुसार सुख प्रकाश मय दिनों का समाप्त होना और दुख मय अंधकार दिनों का उदय हो जाता है ।
श्री ऋगवेद और विष्णुपुराण के अनुशार कभी - कभी किसी भी जातक का जीवन मे पहले सुख दिन आ जाते है बाद दुख के दिन अंधकार के दिनों का आगमन शुरू हो जाते है ।
इस साल माघ मास की पूर्णिमा 27 फरवरी 2021 ( शनिवार ) को दपोहर तक ही है।
इस दिन सुबह के समय ही दान पुण्य और स्नान करने का विशेष महत्व होता है।
कहा जाता है ।
कि माघी पूर्णिमा या माघ पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ उदित होता है।
माघ पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
माघ पूर्णिमा के दिन शुभ मुहूर्त में पूजन और ईश्वर का ध्यान करना अति उत्तम ही माना जाता है ।
इस साल माघ पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है-
पूर्णिमा तिथि आरंभ-
ज्योतिष शास्त्र विधा के खगोड़ नक्षत्र गणना के आधारित ही जिस दिन जितना क्लॉक मिनिट सेकंड और धड़ी पल के आधारित ही पूरा रात के आधीन पर जिस तिथी रहती हो वही तिथि के दिन पर ही वर्त नियम अनुसार करना ही उचित रहता है ।
उदाहरण :
26 फरवरी 2021 ( शुक्रवार ) को दोपहर 03 बजकर 49 मिनट 15 से. चौदस समाप्त पूर्णिमा तिथि शुरुआत हो जाती है।
जब अश्लेषा नक्षत्र दोपहर 12 बजकर 34 मिनिट 07 से. पर ही समाप्त हो जाता माघ नक्षत्र का उदय हो जाता है ।
जब योग अतिंगड रात्री को 22 बजकर 33 मिनिट 40 से. पर ही समाप्त हो सुकर्मा योग उदय हो जाते है ।
जब करण वाणिज दपोहर 15 बजकर 49 मिनिट 15 से. पर ही समाप्त हो जाती है ।
जब वर्त के अनुसार भद्र का योग ही उचिन्त माना जाता है तो वही भद्रा वाणिज भद्रा मध्य रात्री 26 बजकर मतलब मध्य रात्री 2 बजकर 51 मिनिट 27 से. पर ही समाप्त हो जाती है ।
जब महा पूर्णिमा - 27 फरवरी 2021 ( शनिवार ) दोपहर 01 बजकर 50 मिनट तक रहेगी।
जब मघा नक्षत्र दपोहर 11 बजकर 17 मिनिट 10 से. तक ही रहता है ।
जब योग के अनुसार में सुकर्मा योग 19 बजकर मतलब सांयकाल साम 7 बजकर 35 मिनिट 52 से. तक ही रहता है ।
जब करण भाव दपोहर 13 बजकर 46 मिनिट 15 सेकंड तक ही रहता है वही योग के अनुसार करण बालव 24 बजकर मतलब मध्य रात्री 12 बजकर 34 मिनिट 47 सेकंड तक ही रहता है ।
शास्त्र के नियम अनुसार वर्त उपवास पूर्ण रात्री काल की तिथि के अनुशार ही किया जाता है ।
जब दान - पूण्य , धर्म , कर्म - फल स्नान उदया तिथि 27 फरवरी को दपोहर तक ही है।
इस लिए इस दिन मुख्य रूप से पूर्णिमा तिथि मनाई जाएगी और इसी दिन नदियों में स्नान से पुण्य की प्राप्ति होगी।
क्यों शुभ माना जाता है पवित्र नदियों में स्नान :
कहा जाता है कि इस दिन पवित्र नदी जैसे गंगा, नर्मदा, छिप्रा में स्नान करने से और दान पुण्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इसी वजह से माघ पूर्णिमा के दिन काशी, प्रयागराज और हरिद्वार जैसे तीर्थ स्थानों में स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है ।
हिन्दू मान्यता के अनुसार माघ पूर्णिमा पर स्नान करने वाले लोगों पर भगवान विष्णु जी मुख्य रूप से प्रसन्न होते हैं ।
और उन्हें सुख सौभाग्य और धन - संतान तथा मोक्ष प्रदान करते हैं।
★★★★
श्री सामवेद के अनुसार मंगल दोष का निवारण और ज्योतिष विधा शास्त्र के अनुसार फलकथन
हमारा सनातन वेदों के अनुसार मंगल दोष का निवारण ओर ज्योतिष विधा शास्त्र से फलकथन
१:- चतुर्थ और सप्तम भाव में मंगल मेष, कर्क, वृश्चिक अथवा मकर राशि में हो और उसपर क्रूर ग्रहों की दृष्टि नहीं हो तो मांगलिक दोष का समाधान होता है।
२:- मंगल राहु की युति होने से मंगल दोष का निवारण हो जाता है।
३:- लग्न स्थान में बुध व शुक्र की युति होने से इस दोष का परिहार हो जाता है!
४:- कर्क और सिंह लग्न में लगनस्थ मंगल अगर केन्द्र व त्रिकोण का स्वामी हो तो यह राजयोग बनाता है ।
जिससे मंगल का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है!
५:- वर की कुण्डली में मंगल जिस भाव में बैठकर मंगली दोष बनाता हो कन्या की कुण्डली में उसी भाव में सूर्य, शनि अथवा राहु होते है ।
तो मंगल दोष का शमन हो जाता है!
६:- जन्म कुंडली के 1, 4, 7, 8, 12, वें भाव में स्थित मंगल यदि स्व, उच्च मित्र आदि राशि नवांश का, वर्गोत्तम, षड्बली होते है।
तो मांगलिक दोष नहीं होगा.!!
!!!!! शुभमस्तु !!!
आपका अपना पंडित प्रभुलाल पी. वोरिया, क्षत्रिय
राजपूत जडेजा कुल गुरु का " जय द्वारकाधीश"
पंडित
प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जडेजा कुल गुरु :-
प्रोफेशनल ज्योतिष एक्सपर्ट :-
-: 1987 वर्ष से ऊपर ज्योतिष का अनुभव :-
श्री
सरस्वती ज्योतिष कार्यालय
(2
गोल्ड मेडलिस्ट ज्योतिष और वास्तु साईंन्स )
"
श्री आलबाई निवास ",
महा प्रभुजी बैठक के पास ,
एस
टी. बस स्टेसन के सामने,
बैठक रोड ,
Jamkhambhaliya
- 361305 Gujarat – India
Mob.
Number :+91- 9427236337, + 91-9426633096,
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नोट
::: ये मेरा शोख नही हे मेरा आजीविका हे, कृप्या
आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय
द्वारकाधीश..