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Wednesday, January 29, 2025
जानिए ग्रहों की दशा से भी परे सबसे महत्वपूर्ण चीज क्या है? / नाराज हो जाते हैं पितर :
Tuesday, January 28, 2025
श्री वैदिक ज्योतिष शास्त्र अनुसार मौनी अमावस्या महात्म ।
श्री वैदिक ज्योतिष शास्त्र अनुसार मौनी अमावस्या महात्म ।
|| मौनी अमावस्या व्रत कथा ||
मौनी अमावस्या की कथा को लेकर जो प्रचलित कथा है उसके अनुसार, प्राचीन काल में एक ब्राह्मण परिवार कांचीपुरी में रहता था।
पति पत्नी दोनों ही धर्मात्मा थे और धर्म पूर्वक अपनी गृहस्थी चलाते थे।
इनका नाम देवस्वामी था और इनकी पत्नी का नाम धनवती था।
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इन के सात सात पुत्र और एकमात्र पुत्री थी जिसका नाम गुणवती था।
जब गणुवती सयानी हुई और तो देवस्वामी से धनवती ने कहा कि पुत्री के विवाह के लिए अब वर देखना चाहिए।
ब्रह्मण ने अपने छोटे पुत्र को बहन गुणवती की कुंडली दी और कहा कि ज्योतिषी से इनकी कुंडली दिखवा लाओ जिससे गुणवती के विवाह की बात आगे चले।
ज्योतिषी को कन्या की कुण्डली दिखाई, उसने बताया कि विवाह होते ही कन्या विधवा हो जाएगी।
ज्योतिषी की यह बात जब ब्राह्मण परिवार को मालूम हुआ तो वह बहुत दुखी हो गया और इसका उपाय पूछा।
ज्योतिषी ने बताया कि, हे ब्राह्मण सिंहल द्वीप में एक पतिव्रता महिला रहती है जिसका नाम सोमा धोबिन है, यदि कन्या की शादी से पहले सोमा आपके घर आकर पूजन करे और अपना आशीर्वाद दे तो यह दोष दूर हो जाएगा।
ब्राह्मण ने अपनी पुत्री गुणवती को अपने सबसे छोटे पुत्र के साथ सिंहलद्वीप भेज दिया।
दोनों भाई बहन सागर किनारे पहुंचकर उसे पार करने के बारे में विचार करने लगे।
जब समुद्र को पार करने का कोई रास्ता नहीं मिला तो दोनों भूखे प्यासे एक पीपल वृक्ष के नीचे आराम करने लगे।
पेड़ पर घोसले में एक गिद्ध का परिवार रहता था।
उस समय घोसले में सिर्फ गिद्ध के बच्चे थे, वे सुबह से भाई बहन की बातों और क्रियाकलापों को देख रहे थे।
शाम के समय जब गिद्ध की माता बच्चों के लिए भोजन लेकर घोसले में आई तो बच्चों ने पेड़ के नीचे लेटे भाई बहन की कहानी माता को बताई।
उनकी बातें सुनकर गिद्ध की माता को दोनों भाई बहनों दया आई और बच्चों के कहने से उसने कहा कि तुम लोग अब चिंता मत करो मैं इन्हें सागर पार करवा दूंगी।
बच्चों ने माता की बातों को सुनकर खुशी खुशी भोजन ग्रहण किया।
गिद्ध की माता बच्चों को भोजन करवाकर दोनों भाई बहनों के पास आई और बोली कि मैंने आपकी समस्याओं को जान लिया है।
आप चिंता मत कीजिए आपकी समस्या का निदान मैं कर दूंगी और आपको सोमा धोबन के पास पहुंचा दूंगी।
गिद्ध की बातों को सुनकर दोनों भाई बहनों का मन आनंदित हो गया और उन्होने वन में मौजूद कंद मूल को खाकर रात काट ली।
सुबह होते ही गिद्ध ने दोनों भाई बहनों को समुद्र पार करवा दिया और सिंहलद्वीप में सोमा धोबिन के घर के पास पहुंचा दिया।
गुणवती सोमा धोबन के घर के पास छुपकर रहने लगी।
हर दिन सुबह होने से पहले गुणवती सोमा का घर लीप दिया करती थी।
एक दिन सोमा ने अपनी बहुओं से पूछा कि प्रतिदिन सुबह हमारा घर कौन लीपता है।
बहुओं ने प्रशंसा के लोभ से कहा कि हमारे अलावा यह काम और कौन करेगा।
लेकिन सोमा को बहुओं की बातों पर भरोसा नहीं हुआ और वह यह जानने के लिए पूरी रात जागती रही कि कौन है जो हर दिन सूर्योदय से पहले घर लीप जाता है।
सोमा ने देखा कि, एक कन्या उसके आंगन में आई और आंगन लीपने लगी।
सोमा गुणवती के पास आई और उससे पूछने लगी कि तुम कौन हो और क्यों हर सुबह मेरे आंगन को लीपकर चली जाती हो।
गुणवती ने तब अपना सारा हाल सोमा से कह डाला।
गुणवती के बातों को सुनकर सोमा ने कहा कि, तुम्हारे सुहाग के लिए मैं तुम्हारे साथ चलूंगी।
सोमा ने ब्राह्मण के घर आकर पूजा किया, लेकिन विधि का विधान कौन टाल सकता है।
गुणवती का विवाह होते ही उसके पति की मृत्यु हो गई। तब सोमा ने अपने सभी पुण्य गुणवती को दान कर दिया।
सोमा के पुण्य से गुणवती का पति जीवित हो गया।
लेकिन पुण्यों की कमी से सोमा के पति और बेटे की मृत्यु हो गई।
लेकिन सोमा ने अपना घर छोड़ने से पहले बहुओं से कह दिया था कि मेरे लौटने से पहले अगर मेरे पति और बेटों को कुछ होता है तो उनके शरीर को संभलकर रखना।
बहुओं ने सास की आज्ञा को मानकर सभी के शरीर को संभलकर रखा।
उधर सोमा ने सिंहलद्वीप लौटते हुए रास्ते में पीपल के वृक्ष की छाया में विष्णुजी की पूजा कर 108 बार पीपल की परिक्रमा की।
इसके पुण्य के प्रभाव से सोमा के घर लौटते ही उसके पति और बेटे फिर से जीवित हो गए।
इस लिए मौनी अमावस्या के व्रत करने वाले व्रतियों को यह कथा सुनकर पीपल की 108 बार परिक्रमा करनी चाहिए।
और भगवान विष्णु सहित शिवजी की पूजा भी करनी चाहिए।
मौनी अमावस्या व्रत के लाभ :
माघ मास में तिल, ऊनी वस्त्र, घी का दिन बहुत ही पुण्यदायी होता है।
इस लिए मौनी अमावस्या पर इन वस्तुओं का दान जरूर करना चाहिए।
यह जरूरी नहीं कि आप बहुत दान करें लेकिन अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार थोड़ा दान भी आप कर सकते हैं।
इस से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति मृत्यु पश्चात उत्तम लोक में स्थान पाता है।
व्यक्ति मुनि पद को प्राप्त करता है।
एक मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन मनुष्यों के धरती पर लाने वाले प्रथम मनुष्य मनु ऋषि का जन्म हुआ था।
मनु ऋषि के नाम से भी इस व्रत का नाम मौनी अमावस्या है।
|| महर्षि मनु सतरूपाजी की जय हो ||
चंद्रमा का विभिन्न भावों में फल, दोष और निवारण :
चन्द्र का पहले भाव में फल :
सामान्य तौर पर कुण्डली का पहला घर मंगल और सूर्य के प्रभाव के अंतर्गत आता है....!
जब चंद्रमा यहां स्थित हो तो यह भाव मंगल, सूर्य और चंद्रमा के संयुक्त प्रभाव में होगा...!
ये तीनों आपस में मित्र हैं और तीनो यहां की स्थिति के अनुसार परिणाम देंगे...!
सूर्य और मंगल इस घर में स्थित चंद्रमा को पूर्ण सहयोग देंगे...!
ऐसा जातक रहमदिल होगा और उसके भीतर उसकी मां के सभी लक्षण और गुण मौजूद होंगे...!
वह या तो भाइयों में बडा होगा या फिर उसके साथ ऐसा बर्ताव किया जाता होगा...!
जातक पर उसकी मां का आशिर्वाद हमेशा रहता है साथ ही वह अपनी मां को प्रसन्न रखता है ऐसा करने से वह उन्नति करता है और उसे हर प्रकार से समृद्धि मिलती है....!
बुध से सम्बंधित चीजें और रिश्तेदार जैसे साली और हरा रंग आदि जो चंद्रमा के लिए हानिकार है...!
जातक के लिए भी प्रतिकूल प्रभाव साबित होगें इस लिए बेहतर है उन लोगों से दूर रहें...!
दूध से खोया बनाना या लाभ के लिए दूध बेचना आदि कृत्य पहले भाव में स्थित चंद्रमा को कमजोर करते हैं...!
इस का मतलब यदि जातक स्वयं भी इस प्रकार के कामों सें संलग्न होता है तो जातक का जीवन और सम्पत्ति नष्ट होने लगती है....!
ऐसे में जातक को दूध और पानी मुफ्त में बांटना चाहिए इससे आयु बढती और चारो ओर से समृद्धि आती है...!
ऐसा करने से जातक को 90 साल की दीर्घायु मिलती है और उसे सरकार से सम्मान और प्रसिद्धि मिलती है...!
चन्द्र का दूसरे भाव में फल :
दूसरे भाव चंद्रमा स्थित होने पर वह भाव बृहस्पति, शुक्र और चंद्रमा के प्रभाव में होगा....!
क्योंकि दूसरा घर बृहस्पति का पक्का घर होता है और दूसरी राशि बृषभ का स्वामी शुक्र होता है...!
यहां स्थित चंद्रमा बहुत अच्छे परिणाम देता है. चंद्रमा इस घर में बहुत मजबूत हो जाता है क्योंकि...!
उसे शुक्र के खिलाफ बृहस्पति का अनुकूल समर्थन मिल जाता है इस कारण यहां का चंद्रमा अच्छे परिणाम देता है...!
ऐसे में जातक के बहनें नहीं होतीं लेकिन निश्चित रूप से भाइयों की प्राप्ति होती है...!
लेकिन यदि ऐसा नहीं होता तो जातक की पत्नी के भाई अवश्य होते हैं...!
जातक को पैतृक सम्पत्ति में हिस्सा जरूर मिलता है...!
ग्रहों की स्थिति जो भी हो लेकिन यहां स्थित चंद्रमा जातक के वंश को जरूर बढाता है...!
जातक अच्छी शिक्षा प्राप्त करता है जिससे उसके भाग्योदय में सहयोग मिलता है...!
चंद्रमा की चीजों से जुड़े व्यवसाय लाभप्रद साबित होंगे...!
जातक एक प्रतिष्ठित शिक्षक भी हो सकता है...!
बारहवें भाव में स्थित केतू यहां के चंद्रमा को ग्रहण लगाने वाला रहेगा जो जातक को अच्छी शिक्षा या पुत्र से वंचित कर सकता है...!
चन्द्र का तीसरे भाव में फल :
तीसरे भाव में स्थित चंद्रमा पर मंगल और बुध का भी प्रभाव होता है।
यहां स्थित चंद्रमा लंबा जीवन और अत्यधिक धन देने वाला होता है।
तीसरे भाव में स्थित चंद्रमा के कारण यदि नवमें और ग्यारहवें घर में कोई ग्रह न हों तो मंगल और शुक्र अच्छे परिणाम देंगें...!
जातक शिक्षा और सीखने की प्रगति के साथ, जातक के पिता की अर्थिक स्थिति खराब होगी लेकिन इससे जातक की शिक्षा और सीखने की प्रगति पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पडेगा...!
यदि केतु कुण्डली में किसी शुभ जगह पर है और चंद्रमा पर कोई दुश्प्रभाव नहीं डाल रहा है तो जातक की शिक्षा अच्छे परिणाम देने वाली और हर तरीके में फायदेमंद साबित होगी...!
यदि चंद्रमा हानिकर है...!
तो यह बडी धनहानि और खर्चे का कारण हो सकता है यह घटना नवमें भाव में बैठे ग्रह की दशा या उम्र में हो सकती है...!
चन्द्र का चौथे भाव में फल :
चौथे भाव में स्थित चंद्रमा पर केवल चंद्रमा का ही पूर्णरूपेण प्रभाव होता है क्योंकि वह चौथे भाव और चौथी राशि दोनो का स्वामी होता है...!
यहां चन्द्रमा हर प्रकार से बहुत मजबूत और शक्तिशाली हो जाता है...!
चंद्रमा से संबन्धित वस्तुएं जातक के लिए बहुत फायदेमंद साबित होती हैं...!
मेहमानों को पानी की के स्थान पर दूध भेंट करें. मां या मां के जैसी स्त्रियों का पांव छूकर आशिर्वाद लें. चौथा भाव आमदनी की नदी है जो व्यय बढानें के लिए जारी रहेगी...!
दूसरे शब्दों में खर्चे आमदनी को बढाएंगे. जातक प्रतिष्ठित और सम्मानित व्यक्ति होने के साथ - साथ नरम दिल और सभी प्रकार से धनी होगा...!
जातक को अपनी माँ के सभी लक्षण और गुण विरासत में मिलेंगे और वह जीवन की समस्याओं का सामना किसी शेर की तरह साहसपूर्वक करेगा...!
जातक सरकार से सहयोग और सम्मान प्राप्त करेगा साथ में वह दूसरों को शांति और आश्रय प्रदान करेगा...!
जातक निश्चित तौर पर अच्छी शिक्षा प्राप्त करेगा...!
यदि बृहस्पति 6 भाव में हो और चंद्रमा चौथे भाव में तो जातक को पैतृक व्यवसाय फायदा देगा....!
यदि जातक के पास कोई अपना कीमती सामान गिरवी रख जाएगा तो वह उसे मांगने के लिए कभी नहीं आएगा...!
यदि चंद्रमा चौथे भाव में चार ग्रहों के साथ हो तो जातक आर्थिक रूप से बहुत मजबूत और अमीर होगा...!
पुरुष ग्रह जातक की मदद पुत्र की तरह करेंगे और स्त्री ग्रह पुत्रियों की तरह...!
चन्द्र का पांचवें भाव में फल :
पांचवें भाव में स्थित चंद्रमा के परिणाम में सूर्य, केतू और चंद्रमा का प्रभाव रहेगा...!
जातक हमेशा सही तरीके से पैसा कमाने की कोशिश करेगा, वह कभी भी गलत तरीके नहीं अपनाएगा...!
वह व्यापार में तो अच्छा नहीं कर पाएगा लेकिन निश्चित रूप से सरकार की ओर से सम्मान और सहयोग प्राप्त करेगा...!
उसके द्वारा समर्थित कोई भी जीत जाएगा...!
यदि केतू सही स्थान पर बैठा है और फायदेमंद है तो जातक के पांच पुत्र होंगें चाहे चंद्रमा किसी अशुभ ग्रह के प्रभाव में ही क्यों न हो....!
अपनी शिक्षा और सीख के कारण जातक दूसरों के कल्याण के लिए अनेक उपाय करेगा लेकिन दूसरे उसके लिए अच्छा नहीं करेंगे...!
अगर जातक लालची और स्वार्थी हो जाता है तो वह नष्ट हो जाएगा. यदि जातक अपनी योजनाओं को एक गुप्त रखने में विफल रहता है...!
उसके अपने ही लोग उसे नुकसान पहुंचाएंगे...!
चन्द्र का छठें भाव में फल :
यह भाव बुध और केतु से प्रभावित होता है।
इस घर में स्थित चंद्रमा दूसरे, आठवे, बारहवें और चौथे घरों में बैठे ग्रहों से प्रभावित होता है...!
ऐसा जातक बाधाओं के साथ शिक्षा प्राप्त करता है और अपनी शैक्षिक उपलब्धियों का लाभ उठाने के लिए उसे बहुत संघर्ष करना पडता है...!
यदि चंद्रमा छठवें, दूसरे, चौथे, आठवें और बारहवें घर में होता है तो यह शुभ भी होता है ऐसा जातक किसी मरते हुए के मुंह में पानी की कुछ बूंदें डालकर उसे जीवित करने का काम करता है...!
यदि छठवें भाव में स्थित चंद्रमा अशुभ है और बुध दूसरे या बारहवें भाव में स्थित है तो जातक में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति पाई जाएगी...!
ठीक इसी तरह यदि चन्द्रमा अशुभ है और सूर्य बारहवें घर में है तो जातक या उसकी पत्नी या दोनो ही आंख के रोग या परेशानियों से ग्रस्त होंगे...!
चन्द्र का सातवें भाव में फल :
सातवां घर शुक्र और बुध से संबंधित होता है...!
जब चंद्रमा इस भाव में स्थित होता है तो परिणाम शुक्र, बुध और चंद्रमा से प्रभावित होता है...!
शुक्र और बुध मिलकर सूर्य का प्रभाव देते हैं...!
पहला भाव सातवें को देखता है नतीजन पहले घर से सूर्य की किरणे सातवें भाव में बैठे चंद्रमा को सकारात्म रूप से प्रभावित करती हैं जिसका मतलब है कि चंद्रमा से संबंधित चीजों और रिश्तेदारों लाभकारी और अच्छे परिणाम मिलेंगे...!
शैक्षिक उपलब्धियां पैसा या धन कमाने के लिए उपयोगी साबित होंगी...!
उसके पास जमीन जायदाद हो या न हो लेकिन उसके पास नकद निश्चित रूप से हमेशा रहेगा...!
उसके पास कवि या ज्योतिषी बनने की अच्छी योग्यता होगी....!
अथवा वह चरित्रहीन हो सकता है और रहस्यवाद और अध्यात्मवाद को बहुत चाहता होगा...!
सातवें भाव में स्थित चंद्रमा जातक की पत्नी और मां के बीच अर्थ संघर्ष देता है जो दूध के व्यवसाय में प्रतिकूल प्रभावी होता है...!
ऐसे में जातक अगर मां का कहना नहीं मानता तो उसे तनाव और परेशानियों का सामना करना पडता है...!
चन्द्र का आठवें भाव में फल :
यह भाव मंगल और शनि के अंतर्गत आता है...!
यहां पर स्थित चंद्रमा जातक की शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है...!
लेकिन यदि शिक्षा अच्छी है तो जातक की मां का जीवन छोटा होता है...!
लेकिन अक्सर यही देखने को मिलता है कि जातक शिक्षा और मां को खो देता है...!
हालांकि, यदि बृहस्पति और शनि दूसरे भाव में हों तो सातवें घर में बैठे चंद्रमा का बुरा कम हो जाएगा...!
इस भाव में स्थित चन्द्रमा जातक को पैतृद सम्पत्ति से वंचित करता है...!
यदि जातक की पैतृक सम्पत्ति के पास कोई कुंआ या तालाब होता है तो जातक के जीवन में चंद्रमा के प्रतिकूल परिणाम देखने को मिलते हैं...!
चन्द्र का नौवें भाव में फल :
नौवां घर बृहस्पति, से सम्बंधित होता है जो चंद्रमा का परममित्र है...!
इस लिए जातक इन दोनों ग्रहों के लक्षण और सुविधाओं को आत्मसात करता है...!
साथ ही अच्छे आचरण, कोमक हृदय, मन से धार्मिक, और धार्मिक कृत्यों तथा तीर्थयात्राओं से प्रेम करने वाला होता है....!
वह 75 वर्षों तक जीवित रहता है. पाचवें घर में स्थित शुभ ग्रह संतान सुख में वृद्धि और धार्मिक कामों में गहन रुचि विकसित करता है...!
तीसरे भाव में स्थित मित्र ग्रह पैसे और धन में काफी वृद्धि करता है.
चन्द्र का दसवें भाव में फल :
दसवां घर हर तरीके में शनि द्वारा शासित है. यह घर चौथे घर के द्वारा देखा जाता है, जो चंद्रमा द्वारा शासित होता है....!
इस लिए इस घर में स्थित चंद्रमा जातक को 90 साल की लंबी आयु सुनिश्चित करता है...!
चंद्रमा और शनि आपस में शत्रु हैं इस लिए, तरल रूप में दवाओं का सेवन जातक को हमेशा हानिकारक साबित होंगी...!
रात में दूध का सेवन जहर के समान कार्य करता है. यदि जातक चिकित्सक है तो उसके द्वारा रोगी को दी जाने वाली दवाएं यदि शुष्क हों तो मरीज पर इलाज का जादुई प्रभाव पड़ेगा. यदि जातक सर्जन है तो वह सर्जरी के माध्यम से वह महान धन और प्रसिद्धि अर्जित करेगा...!
यदि दूसरा और चौथा भाव खाली हो तो जातक पर पैसों की बरसात होगी. यदि शनि पहले भाव में स्थित हो तो विपरीत लिंगी के कारण जातक का विनाश हो जाता है....!
विशेषकर विधवा जातक के विनाश का कारण बनती है....!
शनि से संबंधित वस्तुएं और व्यवसाय जातक के लिए फायदेमंद साबित होगा.
चन्द्र का ग्यारहवें भाव में फल :
यह घर बृहस्पति और शनि से पूरी तरह प्रभावित होता है. इस घर में स्थित हर ग्रह अपने शत्रु ग्रहों और उनके साथ जुडी बातों को नष्ट कर देता है....!
इस प्रकार यहां स्थित चंद्रमा अपने शत्रु केतू की चीजों को नष्ट कर देता है जैसे जातक के बेटे आदि को. यहां चंद्रमा को अपने शत्रुओं शनि और केतू की संयुक्त शक्ति का सामना करना पडता है...!
जिससे चंद्रमा कमजोर होता है...!
ऐसे में यदि केतू चौथे भाव में स्थित है तो जातक की मां का जीवन खतरे में पडेगा...!
बुध से जुडे व्यापार भी हानिप्रद साबित होंगे....!
शनिवार के दिन से घर का निर्माण या घर की खरीदी चंद्रमा के शत्रु को बलवान बनाते हैं जो जातक के लिए विनाशकारी साबित होगा....!
आधी रात के बाद कन्यादान और शुक्रवार के दिन किसी भी शादी समारोह में शामिल होना जातक के भाग्य को नुकसान पहुंचाएगा.
चन्द्र का बारहवें भाव में फल :
यह घर चंद्रमा के मित्र बृहस्पति का है. यहां स्थित चंद्रमा मंगल और मंगल से संबंधित चीजों पर अच्छा प्रभाव डालता है....!
लेकिन यह अपने दुश्मन बुध और केतु तथा उनसे संबंधित चीजों को नुकसान पहुंचाएगा...!
इस लिए मंगल जिस भाव में बैठा है उससे जुडा व्यापार और चीजें जातक के लिए अत्यधिक लाभकारी रहेंगी...!
ठीक इसी तरह बुध और केतू जिस घर में बैठे हैं....!
उससे जुडा व्यापार और चीजें जातक के लिए अत्यधिक हानिकारक रहेंगी...!
बारहवें घर में स्थित चंद्रमा जातक के मन में अप्रत्याशित मुसीबतों और खतरों को लेकर एक साधारण सा डर पैदा करता है....!
जिससे जातक की नींद और मानसिक शांति भंग होती है...!
यदि चौथे भाव में स्थित केतू कमजोर और पीडित हो तो जातक के पुत्र और मां पर प्रतिकूल असर पडता है...!
शुभ चन्द्र व्यक्ति को धनवान और दयालु बनाता है।
सुख और शांति देता है।
भूमि और भवन के मालिक चन्द्रमा से चतुर्थ में शुभ ग्रह होने पर घर संबंधी शुभ फल मिलते हैं।क्या न करें :-
ज्योतिषशास्त्र में जो उपाय बताए गये हैं उसके अनुसार चन्द्रमा कमज़ोर अथवा पीड़ित होने पर व्यक्ति को रात्रि में दूध नहीं पीना चाहिए. सफ़ेद वस्त्र धारण नहीं करना चाहिए और चन्द्रमा से सम्बन्धित रत्न नहीं पहनना चाहिए।
जन्म कुंडली मे अरिष्ट चंद्र शांति हेतु विशिष्ट उपाय :
जन्म कुंडली मे यदि चंद्रमा अशुभ भावो 2, 6, 8, या 12 में नीच राशिस्थ हो अथवा शत्रु राशि ग्रह से युत या दृष्ट हो तो चंद्रमा जातक/जातिका को धन, परिवार, माता आदि के संबंद में अशुभ फल प्रदान करता है।
इस स्थिति में जातको को बुध, शनि, राहु, केतु की महादशा/अंतर्दशा में मध्य अनिष्ट फल प्राप्त होते है।
नीचे दिए शास्त्रोक्त उपाय करने से चंद्र अरिष्ट की शांति कर शुभ फल प्रदान करता है।
चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, श्रावण, कार्तिक, मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष प्रथम सोमवार से आरम्भ कर 16 अथवा 54 सोमवार विधि पूर्वक व्रत कर शिव - पार्वती का पूजन कर समाप्ति के दिन पांच छोटी कन्याओं को भोजन कराने से अरिष्ट शांति होती है।
कुंडली मे चंद्र यदि कर्क या वृष राशि का हो तो भगवती गौरी का पूजन करना शुभ होता है।
स्वास्थ्य अथवा त्रिविध तापों की अरिष्ट शांति के लिए यथा सामर्थ्य महामृत्युंजय मंत्र का जाप एवं दशांश हवन और अमोघ शिवकवच का पाठ करना शुभ होता है।
यदि चंद्रमा केतु के साथ अथवा चंद्र शनि की युति हो तो श्री गणेश जी की पूजन व गणेश सहस्त्रनाम से उपासना करनी चाहिए।
चंद्रमा यदि बुध युक्त एवं स्त्री राशि मे हो तो श्री दुर्गा शप्तशती का पाठ कल्याणकारी रहता है।
विवाहादि कार्यो में चंद्र - राहु आदि ग्रहों का अशुभ प्रभाव हो तो शिव पार्वती पूजन एवं पूर्णिमा का व्रत करना चाहिए।
सोमवार और पूर्णिमा को प्रातः काल स्नानादि कर चांदी के बर्तन में कच्ची लस्सी दूध गंगाजल युक्त की धारा शिवलिंग पर मंत्र पूर्वक चढ़ाना चाहिए।
प्रत्येक सोमवार को बबूल वृक्ष को भी दूध से सींचना लाभदायक रहता है।
चंद्र यदि संतान संबंधित अरिष्ट कर रहा हो तो शिवजी की आराधना मंत्र जप हवन करना शुभ होता है।
पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय चांदी अथवा तांबे के बर्तन में मधुमिश्रित पकवान यदि चंद्र को अर्पित किए जाए तो इनकी तृप्ति होती है।
पूर्णमाशी के दिन चांदी का कड़ा चांदी की चैन प्रतिष्ठा के बाद धारण करनी लाभदायी रहती है।
स्त्रियों को मोती की माला सोमवार के दिन जब स्वाति नक्षत्र पड़े प्रतिष्ठा कर गले मे धारण करने से अरिष्ट फलो की शांति होती है।
बारह वर्ष तक कि आयु के बालको की स्वास्थ्य रक्षा के लिए चांदी के गोल सिक्के पर चंद्र बीज मंत्र "ॐ श्रां श्री°श्रौ° सः चन्द्रमसे नमः" लिखवाकर इसी मंत्र से अभिमंत्रित कर प्रतिष्ठा पूर्वक गले मे धारण करना शुभ रहता है।
मानसिक व शारीरिक व्याधियों की शान्ति के लिए शरद पूर्णिमा की रात बादाम मेवा युक्त खीर चाँद की रौशनी में रखे अगले दिन सुबह भगवान को भोग लाग कर तथा ब्राह्मण को खिलाने के बाद स्वयं सेवन करने से अनेक रोगों की शांति होती है।
चंद्र की महादशा में शुक्र अथवा सूर्य की अंतर्दशा में क्रमशः रूद्र्राभिषेक तथा शिव पूजन व श्वेत वस्त्र खीर आदि दान करने से लाभ होता है।
क्षीरणी ( खिरनी ) की जड़ सोमवार रोहिणी नक्षत्र में सफेद धागे में चंद्र मंत्र से अभिमंत्रित करके धारण करने से विशेष शांति होती है।
प्रतिदिन सफेद गौ को मीठी रोटी एवं हरा चारा खिलाये।
छोटे बच्चों को कुंडली मे चंद्र अशुभ होने पर उन्हें कैल्शियम का सेवन कराए शुभ रहेगा।
चंद्र अशुभ ग्रहों राहु - शनि आदि से आक्रांत होकर अशुभ स्थानों 6 , 8 , 12 वे में हो तो दूध, दही, खोया, पनीर एवं अन्य श्वेत वस्तुओं का व्यवसाय न करें।
स्वास्थ्य अथवा मानसिक परेशानी होने पर जातक/जातिका चांदी के पात्र में ही जल का सेवन करें।
यदि कुंडली मे चंद्र - केतु का अशुभ योग 6, 8, या 12 भाव मे हो तो जातको को हरा वस्त्र, केले, साबुत मूंग, हरा पेठा आदि का दान करना चाहिए।
चंद्र यदि व्यवसाय में हानि कर रहा हो तो जातक/जातिका को चंद्रग्रहण के समय आटा, चांवल, चीनी, गुड़, सूखा नारियल, सफेद तिल एवं सतनाजा आदि का दान करना चाहिए तथा ग्रहण काल मे चंद्र के बीज मंत्र का यथा सामर्थ्य जप करना लाभकारी होता है।
चंद्र यदि संतान सुख में बाधक हो तो रात्रि काल के समय दूध एवं पानी मे सोने की सलाई गर्म कर बुझाकर पति/पत्नी दोनों को पीना शुभ होगा।
पंडारामा प्रभु राज्यगुरू
( द्रविड़ ब्राह्मण )
Tuesday, January 21, 2025
25 મી થી 29 મીએ મૌની અમાસ, 30 મી થી ગુપ્ત નવરાત્રિ શરૂ થશે...! / જો સલાહ આપનારા લોકો યોગ્ય ન હોય તો....!
सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
25 મી થી 29 મીએ મૌની અમાસ, 30 મી થી ગુપ્ત નવરાત્રિ શરૂ થશે...! / જો સલાહ આપનારા લોકો યોગ્ય ન હોય તો....!
25મી જાન્યુઆરીએ ષટ્તિલા એકાદશી અને 29મીએ મૌની અમાસ, 30મીથી ગુપ્ત નવરાત્રિ શરૂ થશે...!
આ મહિનામાં હાલમાં પોષ મહિનો ચાલી રહ્યો છે અને ષટતિલા એકાદશી, મૌની અમાસ, ગુપ્ત નવરાત્રી, તિલકુંડ ચતુર્થી, જયા એકાદશી અને 12 ફેબ્રુઆરી એ મહા માસની પૂર્ણિમા જેવા તહેવારો આવશે.
કયું વ્રત અને તહેવાર કયા દિવસે આવશે અને તે દિવસે કયા કયા શુભ કાર્યો કરી શકાય છે…!
ષટતિલા એકાદશી 25 જાન્યુઆરી, શનિવારે છે.
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ષટતિલા એકાદશી પર તલથી શુભ કાર્યો કરવામાં આવે છે.
આ દિવસે તલનું સેવન, તલથી સ્નાન, તલનું દાન, તલથી હવન, તલનો ઉકાળો અને તલ વડે તર્પણ, આ છ કાર્યો કરવામાં આવે છે.
મૌની અમાસ 29 જાન્યુઆરી, બુધવારે છે.
આ દિવસે પ્રયાગરાજમાં કુંભમાં અમૃત સ્નાન કરવામાં આવશે.
આ દિવસે, પવિત્ર નદીઓમાં મૌન ધ્યાન, ધ્યાન અને સ્નાન કરવાની પરંપરા છે.
એવું માનવામાં આવે છે કે આ તિથિએ ગંગા, યમુના અને સરસ્વતીના સંગમમાં નર્મદા, શિપ્રા, ગોદાવરી જેવી પવિત્ર નદીઓમાં સ્નાન કરવાથી અખૂટ પુણ્ય મળે છે.
તેને "મૌની" કહેવામાં આવે છે કારણ કે આ દિવસે મૌન રહેવાની અને પૂજા, દાન, જપ, ધ્યાન જેવી ધાર્મિક પ્રવૃત્તિઓ કરવાની પરંપરા છે.
મહા મહિનાની ગુપ્ત નવરાત્રિ 30 જાન્યુઆરી, ગુરુવારથી શરૂ થઈ રહી છે.
આ ગુપ્ત નવરાત્રિમાં દેવી સતી, કાલી, તારા, ભુવનેશ્વરી, ષોડશી, છિન્નમસ્તા, ત્રિપુરાભૈરવી, ધૂમાવતી, બગલામુખી, માતંગી અને કમલાની દસ મહાવિદ્યાઓની પૂજા કરવામાં આવે છે.
આ નવ દિવસો દરમિયાન ભક્તો તંત્ર-મંત્ર દ્વારા દેવીને પ્રસન્ન કરવા આધ્યાત્મિક સાધના કરે છે.
1લી ફેબ્રુઆરી શનિવારના રોજ તિલકુંડ ચતુર્થી છે.
આ દિવસે ભગવાન ગણેશની ઉપવાસ અને પૂજા કરવામાં આવે છે.
આ વ્રત દરમિયાન પણ તલ સંબંધિત શુભ કાર્ય કરવાની પરંપરા છે. તલના લાડુ ખાસ કરીને ભગવાનને ચઢાવવામાં આવે છે. આ દિવસે તલનું પણ દાન કરવું જોઈએ.
જયા ( અજા ) એકાદશી વ્રત 8 ફેબ્રુઆરી શનિવારના રોજ રાખવામાં આવશે.
આ વ્રત મહા માસના સુદ પક્ષની એકાદશી પર કરવામાં આવે છે.
આ દિવસે ભગવાન વિષ્ણુ અને મહાલક્ષ્મીનો વિશેષ અભિષેક કરવો જોઈએ.
એવું માનવામાં આવે છે કે આ વ્રત કરવાથી ભક્તોની તમામ મનોકામનાઓ પૂર્ણ થાય છે અને જાણ્યે - અજાણ્યે કરેલા પાપોનું પરિણામ દૂર થાય છે.
આ વ્રત રાખનારા લોકો આખો દિવસ ભોજન છોડી દે છે.
જેઓ ભૂખ્યા નથી રહી શકતા તેઓ ફળ ખાય છે.
12 ફેબ્રુઆરી, બુધવારે મહા સુદ પૂનમ છે.
ધર્મની દૃષ્ટિએ આ તિથિનું મહત્વ ઘણું વધારે છે.
આ દિવસે પ્રયાગરાજના કુંભમાં ઉત્સવ સ્નાન કરવામાં આવશે.
આ દિવસે ગંગા, યમુના, સરસ્વતી, નર્મદા, ક્ષિપ્રા જેવી પવિત્ર નદીઓમાં સ્નાન કરવાની પરંપરા છે.
સ્નાન પછી દાન અને સૂર્ય ભગવાન અને ભગવાન વિષ્ણુની પૂજા કરવામાં આવે છે.
એવું માનવામાં આવે છે કે આ દિવસે તમામ દેવતાઓ પૃથ્વી પર આવે છે અને પ્રયાગરાજની સંગમ નદીમાં સ્નાન કરે છે.
આ દિવસે અન્ન, વસ્ત્ર અને ધનનું દાન કરવું જોઈએ.
જો સલાહ આપનારા લોકો યોગ્ય ન હોય તો....!
કૈકેયીએ મંથરાની સલાહનું પાલન કર્યું અને રામને વનવાસ જવું પડ્યું, જો સુખ અને શાંતિ જોઈતી હોય તો ખોટા લોકોથી દૂર રહો...!
જેમની પાસે સારા સલાહકારો હોય છે. જો સલાહ આપનારા લોકો યોગ્ય ન હોય તો કરેલું કામ બગડે છે અને નિષ્ફળતાનો સામનો કરવો પડે છે...!.
શાસ્ત્રોની વાર્તાઓ પરથી સમજો કે જીવનમાં સફળતા એવા લોકો જ પ્રાપ્ત કરે છે અને સલાહ લેતી વખતે કઈ બાબતોનું ધ્યાન રાખવું જોઈએ...!
આપણો સલાહકાર દરેક શબ્દનું પાલન કરતા અને વિદ્વાન જ હોવો જોઈએ....!
આપણો સલાહકાર દરેક શબ્દનું પાલન કરતા અને વિદ્વાન જ હોવો જોઈએ....!
આપણને સફળતા મળશે કે નહીં, તે આપણા સલાહકાર પર પણ આધાર રાખે છે.
મહાભારતમાં, પાંડવોએ શ્રી કૃષ્ણને પોતાના સલાહકાર બનાવ્યા હતા અને તેઓ શ્રી કૃષ્ણના દરેક શબ્દનું પાલન કરતા હતા.
આ કારણોસર પાંડવોએ વિશાળ કૌરવ સેનાને પણ હરાવી દીધી. આપણે એવી વ્યક્તિને આપણા સલાહકાર તરીકે બનાવવી જોઈએ.
જે વિદ્વાન હોય અને જે આપણું કલ્યાણ ઇચ્છતો હોય. સાચી સલાહ આપણને સફળ બનાવે છે.
જે ત્રણ મિનિટ માં પહેલું ચેટીગ કે કિલિંગ ફ્રી ના નામ ઉપર સીધા પૂજન કરાવી લેવાની હોડ માં ખોટી રીતે બાટલી માં ઉતારી લેનાર તો ના જ હોવો જોઈએ.
જે પોતાના કમિશન અને સ્વાર્થ માટે ગમે તે હદ સુધી જઈ શકતો હોય છે.
તેમના બે પૈસા ના કમિશન કે આવક માટે બીજા ના જીવન ઉપર કેટલું બધું વધારે પડતું નુકશાન કરાવી નાખે તેમની પાસે ક્યારેય પણ સલાહ લેવા ન જ જવી જોઈએ.
સાચો સલાહકાર જે હોય તે સાફ શબ્દો માં જરૂર કહેશે અને તેમની વાત પહેલા તો બહુ બુરી જરૂર લાગી જશે .
પરંતુ અંતે જ્યારે તેમની વાત સાચી ઉભી રહેશે ત્યારે તેમના એક એક અક્ષર યાદ જરૂર આવશે કે જે જિંદગી ભર ક્યારે પણ ભૂલી નહિ શકાય.
જ્યારે આજ ના સમય માં ફ્રી કિલિંગ ફ્રી ચેટીંગ ના નામ ઉપર જે પોતાના સ્વાર્થ માટે બીજા ની જીંદગી સામે છેડછાડ થઈ રહી છે.
જે તે જાતક ને તેમજ તેમના પૂરા પરિવાર ના જીવન માં મૃત્યુ ના મુખ સુધી લઈ જાય છે જે એક પ્રકાર ના વિશ્ર્વાસ ઘાત જ ગણાય છે.
યોગ્ય સમય ઉપર યોગ્ય અને સાચી મળેલી સલાહ જ માનવી જોઈએ :
રામાયણમાં, શ્રી રામ આખી વાનર સેના સાથે લંકા પહોંચ્યા હતા.
તે સમયે વિભીષણે રાવણને સીતાને સુરક્ષિત રીતે પરત કરવા અને રામ સાથે સંધિ કરવાની સલાહ આપી હતી. રાવણ ઘમંડી હતો,
તેણે વિભીષણની સલાહને અવગણી અને વિભીષણનું અપમાન કર્યું.
વિભીષણે રાવણને યોગ્ય સમયે યોગ્ય સલાહ આપી હતી,
પરંતુ રાવણે પોતાના અહંકારને કારણે વિભીષણની સલાહનું પાલન ન કર્યું. પરિણામ એ આવ્યું કે રાવણનો આખો વંશ નાશ પામ્યો.
જો આપણને યોગ્ય સમયે યોગ્ય સલાહ મળી રહી હોય,
તો આપણે તરત જ તેના પર કાર્ય કરવું જોઈએ;
નહીં તો, પહેલાથી કરેલું કાર્ય બગડી જશે અને જીવનમાં સમસ્યાઓ વધશે.
રામાયણમાં, શ્રી રામ આખી વાનર સેના સાથે લંકા પહોંચ્યા હતા.
તે સમયે વિભીષણે રાવણને સીતાને સુરક્ષિત રીતે પરત કરવા અને રામ સાથે સંધિ કરવાની સલાહ આપી હતી. રાવણ ઘમંડી હતો,
તેણે વિભીષણની સલાહને અવગણી અને વિભીષણનું અપમાન કર્યું.
વિભીષણે રાવણને યોગ્ય સમયે યોગ્ય સલાહ આપી હતી,
પરંતુ રાવણે પોતાના અહંકારને કારણે વિભીષણની સલાહનું પાલન ન કર્યું. પરિણામ એ આવ્યું કે રાવણનો આખો વંશ નાશ પામ્યો.
જો આપણને યોગ્ય સમયે યોગ્ય સલાહ મળી રહી હોય,
તો આપણે તરત જ તેના પર કાર્ય કરવું જોઈએ;
નહીં તો, પહેલાથી કરેલું કાર્ય બગડી જશે અને જીવનમાં સમસ્યાઓ વધશે.
સાચી સલાહ કડવી જરૂર હોય જ છે જેની વાત પસંદ પણ ના આવે :
જે સાચી વાત કરતા હશે તે જે તેમને દેખાતું હશે તેમની ગણિત વિદ્યા ઉપર તે જ ચોખ્ખા શબ્દો માં કહેશે તે તમને સીધા પૂજન ના નામ ઉપર ગોળ ગોળ વાત કરી ને ખોટા ગારીયા ક્યારેય પણ નહિ કરે.
મહાભારતમાં ધૃતરાષ્ટ્રે વિદુરને પોતાના સલાહકાર બનાવ્યા હતા.
વિદુરે ધૃતરાષ્ટ્રને ઘણી વાર સાચા અને ખોટા વિશે કહ્યું હતું.
વિદુરે ધૃતરાષ્ટ્રને દુર્યોધનના ખોટા કાર્યો રોકવાની સલાહ પણ આપી હતી,
પરંતુ ધૃતરાષ્ટ્રે દર વખતે વિદુરની સલાહને અવગણી અને દુર્યોધનનો પક્ષ લીધો.
પરિણામ એ આવ્યું કે પાંડવોના હાથે સમગ્ર કૌરવ વંશનો નાશ થયો.
જે લોકો જાણે છે કે શું સાચું છે અને શું ખોટું છે,
જેમના ઈરાદા સારા છે અને જેઓ હંમેશા સાચી સલાહ આપે છે, તેમના શબ્દોને અવગણવા જોઈએ નહીં. નહિંતર જીવનમાં ગંભીર પરિણામો ભોગવવા પડી શકે છે.
આજ ના સમય ની જેમ ત્રણ મિનિટ ફ્રી કોલ ફ્રી ચેટીંગ ની જેમ મંથરા ની ખોટી સલાહ બીજા ના જીવન ની છેડછાડ ના કારણે જ રામ ને વનવાસ વેઠવો પડ્યો :
ત્રણ મિનિટ નો સમય હોય અને તેમાં જાતક ના પાંચ થી સાત સવાલ હોય
તો સલાહકાર કેટલા સવાલો ના જવાબ આપી શકે
જાતક તો અલગ અલગ મોબાઈલ નંબર નો ઉપયોગ કર્યા કરે
પરંતુ તેમની ડિટેલસ અને સવાલ એક જ હોય તો તે તો ફ્રી માં લાભ ઉઠાવતા હોય છે
પરંતુ પેલા લોકો ગોળ ગોળ વાત ફેરવી ને બીજા પાસે થી મળનાર પોતાના કમિશન ના સ્વાર્થ સામે જ નજર રાખતા હોય છે
તો તેમાં જાતક ને તો કાઈ લાભ મળવાનો ક્યાં રહ્યો
તે તો ઉલ્ટા ફ્રી ના ચક્કર માં ખોટા ખર્ચ માં ઉત્તરી ગયેલ જ અને કામ તો તેમનું કાઈ થવાનું ના હતું અને ખર્ચો કરેલ તે તો ફોગટ નો ગયો.
રામાયણમાં મંથરા કૈકેયીની દાસી હતી.
મંથરાનો સ્વભાવ એવો હતો કે તે સારા કામને પણ બગાડી નાખતી.
તે હંમેશા કૈકેયીને રામ વિરુદ્ધ ઉશ્કેરતી હતી.
જ્યારે રામના રાજ્યાભિષેકની જાહેરાત થઈ ત્યારે તેણે કૈકેયીને એટલી બધી ઉશ્કેરી કે તે રામ વિરુદ્ધ થઈ ગઈ.
મંથરાની સલાહ પર જ કૈકેયીએ ભારત માટે રાજ્ય અને રામ માટે વનવાસ માંગ્યો હતો.
પાછળથી, કૈકેયીને આખી જિંદગી આ વાતનો પસ્તાવો થયો,
પરંતુ તે સમયે, મંથરાની ખોટી સલાહ અને કૈકેયીની જીદને કારણે,
રામને વનવાસ જવું પડ્યું,
રાજા દશરથ તેમના પુત્ર, ભરત, લક્ષ્મણ, પરિવારથી અલગ થવાના શોકમાં મૃત્યુ પામ્યા.
સભ્યો અને અયોધ્યાના લોકોને મુશ્કેલીઓનો સામનો કરવો પડ્યો.
કોઈની સલાહ માનતી વખતે,
આપણે તે વ્યક્તિના સ્વભાવને પણ ધ્યાનમાં રાખવું જોઈએ.
બીજાઓનું ભલું કરવાનો ઈરાદો ધરાવતા લોકોની સલાહ હંમેશા માનો.
કોઈની જન્મ પત્રિકા ની ડીટેલ હોય કોઈ કહે કે શું મારા જીવન માં પ્રેમ લગ્ન છે કે નહિ ?
અને જૉ જેમની જન્મ કુંડળી ની અંદર પ્રેમ લગ્ન યોગ જ ના મળતો હોય
તો સાફ શબ્દો માં કહી જ દીધેલું હોય કે તમારા કુંડળી ની અનુસાર
તમારા જીવન માં લવ , બવ, પ્રેમ , બ્રેમ પ્યાર વ્યાર, બ્યાર જેવું કાઈ જ નથી
તમે તમારા જીવન નું તમારા પરિવાર ના જીવન નું ધ્યાન રાખો ખોટા ચક્કર માં પડી ને તમે તમારું જીવન અને તમારા પરિવાર નું જીવન બરબાદ ના કરી નાખો.
તે તમને એવડો મોટો વિશ્વાસધાત કરશે કે તમે સહન જ નહિ કરી શકો
તો તેમાં કોઈ ખોટી વાત તો થઈ નહિ જે હતું તે સાફ શબ્દો માં કહી દીધું.
પરંતુ મંથરા જેવા લોકો ને વધુ કમાણી કરવાની લાલચ વાળા લોકો કહે કે....!
તમે જૉ કોઈને પૂજન કે ગ્રહ ના નંગ નું ના કહો તો અમે તમને શું આપીશું....!
તમે અહી કસ્ટમર ને ખોટી રીતે કે ગમે તે રીતે પૂજન યા ગ્રહો ના નંગ નું કહેશો...!
અને તે અમારા એપ માં ખરીદી કે પૂજન કરાવશે તો તમને તેમાંથી કમિશન મળશે
પરંતુ તે સામે ના જીવન ઉપર કેટલો બધો વિશ્વાસઘાત કરી રહેલ છે.
તે માંથરા જેવા લોકો તો સાફ શબ્દો માં એક જ વાત કરતા હોય છે કે સામે ના વ્યક્તિ ને તેમનો કોઈ જવાબ દેવાની જરૂર નથી
તેમને તો પૂજન અથવા ગ્રહ ના સ્ટોન ની જ વાત કરવા ની છે.
બસ તો તમે તેમની વાત ના માની શકો તો તમને કહેશે કે....!
તમે અમારા ગ્રાહકો તમારી હિન્દી ભાષા સરખી સમજી જ નથી શકતા એમ નથી....!
તે કહેતા કે અમે તમને આટલા દિવસો થી આટલા કસ્ટમર આપ્યા છે....!
તમે કોઈ ને પૂજન કે સ્ટોન લેવા બાબત નથી કહેતા.....!
ત્રણ મિનિટ ના સમય માં જાતક ના પાંચ થી સાત સવાલ હોય....!
તેમાં તેમની પાસે ક્યાં સવાલ નો જવાબ દેવો અને તેમનો જવાબ દેવો કે નહિ...?
તો તેમને કહેલ કે કોઈ જવાબ દીધા વગર સીધા આમને પૂજન કે સ્ટોન પકડાવી દેવું શું તે એક જાત નું પાપ નું પોટલું ગણાય....!
જ્યારે પેલા માણસ ને ખબર જ્યારે પડે કે મેં આટલા રૂપિયા પૂજન કે સ્ટોન માં નાખ્યાં મારું કાઈ કામ જ ના થયું તો તેમની તેમજ તેમના પરિવાર ની હાય અને આંતરડી કેટલી દુભાતી હોય છે....!
કેમકે મે આટલો એક મહિના જેટલા સમય કામ કરેલ કોઈને ખોટી રીતે ના પૂજન નું કહેલ કે ના ગ્રહ ના નંગ લોકેટ પહેરવાનું કહેલ ....!
જે તેમની કુંડળી જે હતું તે જ કહેલ એટલે તે મંથરા જેવા લોકો ને મારી સાથે કામ કરવામાં રસ ના પડ્યો
જ્યારે તે મને કહે કે તમારી હિન્દી ભાષા અમારા કસ્ટમર ને સમજ માં નથી આવતી
તો મે કહેલ કે હું એક મહિના થી તમારી સાથે કામ કરું છું અને 470 જેટલા તમારા કસ્ટમર નું કામ તો મે આખો મહિનો કર્યું છે...!
ત્યારે આખો મહિનો તમને તેમજ તમારા કસ્ટમર ને મારી ભાષા સમજ માં નહતી આવતી અને મે જ્યારે તમારી પાસે જ્યારે મે મારા એક મહિના નો મારો હિસાબ તમારી પાસે માંગ્યો....!
એટલે તમે કહો છો કે તમારી ભાષા મને કે મારા કસ્ટમર ને સમજ નથી આવતી તમે સાફ શબ્દો માં કેમ નથી કહેતા કે તમે અમને કોઈની પૂજન આપ્યું નથી અને અમે કોઇને કાઈ દેતા જ નથી....!
અમે તો ફક્ત ફ્રી સર્વિસ ના નામ ઉપર અને બીજા પાસે પૂજન ના નામ ઉપર લૂંટ ચલાવવા જ બેઠા છીએ
!!!!! शुभमस्तु !!!
🙏हर हर महादेव हर...!!
जय माँ अंबे ...!!!🙏🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Satvara vidhyarthi bhuvn,
" Shri Aalbai Niwas "
Shri Maha Prabhuji bethak Road,
JAM KHAMBHALIYA - 361305
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नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏
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