सभी ज्योतिष मित्रो
को मेरा निवेदन है..., आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे..., मे किसी के लेखो
की कोपी नहि करता..., किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे
बठाने की नही है..., कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्ता भाई..., और आगे भी नही बढ़ता..., आप आपके
महेनत से त्यार होने से बहुत आगे बठा जाता है...,
धन्यवाद......
जय द्वारकाधीश...,
क्या दिनाक : २३/१२/२०१२ के समय से पृथ्वी पर शनि – राहू का शापित योग.......?
बृहस्पति के ज्ञान को मन लगाकर समझने से मिल जाता है गुरु - चंद्र का गजकेसरी योग का फल कर्मों से भी बनता है राजयोग कुंडली में नहीं....!
क्या दिनाक : २३/१२/२०१२ के समय से पृथ्वी पर शनि – राहू का शापित योग.......?
आगमी विक्रम सवंत २०६९ मागशर सूद ११ दिनाक : २३/१२/२०१२ राहू का तुला
राशि मे कलाक २९ / १९ मिनिट को प्रवेश करेगा, शनि तुला राशि मे पहेले से ( गत
दिनाक : ०५/०८/२०१२ ) बिराजमान है,
ऐसे ये वायु तत्व मे तुला राशि मे शनि – राहू
दोठ साल तक दोनों क्रूर ग्रह जुडे रहेगे, ज्योतिष शास्त्र मे शनि - राहू एक ही
राशि मे बैठा है तो उसको सामान्य रीते शापित योग से प्रचलित है, ये शापित योग देश
और दुनिया के लिए शुभ माना जाता नही है,
न्या साल मे शनि – राहू पूरा वर्ष के लिए राहू का नक्षत्र स्वाति
नक्षत्र मे ही रहेगा, ये रीते वायु तत्व का ग्रह शनि और आकाश के ग्रह राहू का योग
होने से देश विदेश मे बड़ा विमानी अक्स्मातो और रेल्वे अक्स्मातो ज्यादा होगी,
और २०१३ की साल का वर्ष अग्नात रोगों का है महामारी रोग से दक्षिण और नैरुत्य दिशा का देश –
प्रदेशो मे मृत्यु का प्रमाण ज्यादा होगे, इग्लेंड, सिलोन, नेपाल, चीन, जापान,
तिबेट, पश्चिम भारत, आसाम, तामिलनाडू, और मद्रास ये देशो और प्रदेशो पर कुदरती
बुराई ज्तरेगी,
स्वाति नक्षत्र आकाश मे गुजरात पर होने से गुजरात मे कच्छ – सौराष्ट्र
पर भी मुश्केलिया की ज्यादा असर पड़ेगी, इस मुस्केलिया के सामना परमात्मा भगवान
“श्री द्वारकाधीश” रक्षण करे ऐसी मेरी
प्राथर्ना है,
इस वर्ष मे महा मास मे प्रयागराज मे कुंभमेला भी होगा, इस मे आपत्ति,
दुर्घटनाऔ और आंतकवादी उपद्रवो सावचेत रहेना होगा,
वैशाख – जेठ या मे – जून मे पूरी दुनिया मुस्केलिया के संकट मे धकेल
जाने का योग बनता है, पश्चिम दिशा मे कुदरती मुस्केलिया का सामना करना पड़ेगा,
इस वर्ष मे अग्नि उपद्रव, आंतकवादी का उपद्रव, बोम्ब विस्फोटो बनी
शकता है, और देश – दुनिया के लिए कुदरती प्रकोपों, धरतीकंपो, महाविस्फोटो,
आंतकवादीऔ के द्रारा जानमाल की हानि और भूमंडल पर भय का वातावर्ण खड़ा होगा,
देश – दुनिया मे महाअनिष्ट योगो है, इस मे भारत, अमेरिका, मोरेक्को,
ब्राझिल, जापान, जर्मनी, आयलेर्न्ड, ईरान, ओस्ट्रेलिया, पोलेन्ड, रशिया,
पाकिस्तान, बर्मा, तिबेट, चीन, का उल्लेख खगोल के नक्शा पर से मिलता है,
इस के बाद नोर्वो सीरिया, अल्जिरिया, महाराष्ट्र – मुंबई, पूना,
नागपुर, उत्तरप्रदेश – दिल्ही, मध्यप्रदेश, और चेन्नाई मे भी अशुभ ग्रह की असर
दिखाती है,
ओस्टेलिया, चीन, जापान, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, पाकिस्तान, और
काश्मीर, को तुला राशि का स्थानों को खगोल मंडल के नक्शा मे दर्शाया है, और स्वाति
नक्षत्र का स्थानों मे भारत का नैरूत्य खुणा मे से देखे तो सिलोन, तामिलनाडू,
आसाम, बर्मा, पर न्या वर्ष का ग्रह – नक्षत्र की अशुभ असर युक्त स्थानों कहा जाता
है,
ये दिनाक : २३/१२/२०१२ से शनि – राहू से जो शापितयोग बनता है, ते देश –
दुनिया पर उसकी शुभ और विनाशक असरो देगा एषा लगता है, ये दिनाक के बाद जो जातक का
जन्म होगा उसकी जन्म कुंडली मे शनि – राहू तुला राशि मे जुड़ा होगा, दुनिया के लिए
शापित कहा जाता योग व्यक्तिगत क्या अशर करता है, व्ही एक अभ्यास का विषय है,
ज्योतिष शास्त्र के अनुशार शनि – राहू से बननेवाला शापित योग जगत मे
महाधरतीकंप, सुनामी, दारुण दुष्काल, हिसचार और भीषण हवाई अक्स्मतो और आंतकवादी
हुमलाओ का आदेश ज्तावी देता है, ज्योतिष शास्त्र की द्रष्टि से ये शापितयोग की
असरो क्या हो शक्ति है ? व्ही एक सवाल सब के मन मे होता है, व्ही स्वभाविक है,
ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं प्रमाणे शनि – राहू दोनों एक ही राशि मे
साथमे बेठा है, या तिशरी, सातमी, या दशमी, से हो तो शापित योग कहा जाता है, एषा
योग जिसकी कुंडली मे हो तो व्ही जातक के कुटुंब मे व्यसन का शोख, आत्महत्या की
मनोवृति, अपमृत्यु के बनावो, कुटुंब मे किसी सभ्यों का अपरणित रहेना, कुटुंब मे किसी
सभ्यों घर छोड़ कर चला जाना, क्षय, केन्सर, जैसे रोगों दिखाई देना, जैसी कोई भी
बाबतो का इतिहास दिखा देता है, और भी कुटुंब की किसी व्यक्ति कभी कभी जितनी महेनत
या संघर्ष करे या कुटुंब का दुश्ररा लोगो के लिए किसी काम करे तो भी जश नही शिर्फ़
अपजश मिलता रहेता है, काम के लिए जितनी महेनत करते है तो भी महेनत से प्रमाण मे
पैसा नही मिलता, और मन की धारी सफलता नही मिलती,
मैने निचे इ.स. १९०० से अब २०१२ तक और २०१२ से २०२० तक कुल १२० वर्ष
मे नभोमंडल मे कब कब शापित योग बना था, वाही दर्शाया है, इस तारीखों का समय
दरमियान जन्म लेने वाली व्यक्ति के कुंडली मे शापित योग है ऐसा कहा जाता है,
1, दिनाक: 11/02/1902 से दिनाक: 16/08/1902
2, दिनाक: 05/11/1902 से दिनाक: 07/12/1902
3, दिनाक: 05/02/1905 से दिनाक: 12/01/1906
4, दिनाक: 17/02/1909 से दिनाक: 09/07/1909
5, दिनाक: 20/09/1909 से दिनाक: 19/03/1910
6, दिनाक: 06/09/1910 से दिनाक: 26/03/1912
7, दिनाक: 12/10/1913 से दिनाक: 21/06/1914
8, दिनाक: 02/08/1916 से दिनाक: 18/12/1916
9, दिनाक: 25/12/1919 से दिनाक:
17/11/1920
10, दिनाक: 23/02/1921 से दिनाक: 13/07/1921
11, दिनाक: 08/08/1921 से दिनाक: 30/01/1923
12, दिनाक: 18/08/1924 से दिनाक: 01/01/1926
13, दिनाक: 25/09/1927 से दिनाक: 25/12/1928
14, दिनाक: 11/04/1931 से दिनाक: 25/05/1931
15, दिनाक: 24/12/1931 से दिनाक:19/05/1932
16, दिनाक: 06/12/1933 से दिनाक: 15/03/1934
17, दिनाक: 14/09/1934 से दिनाक: 07/12/1934
18, दिनाक: 12/01/1937 से दिनाक: 25/02/1937
19, दिनाक: 27/04/1939 से दिनाक: 18/02/1940
20, दिनाक: 26/03/1943 से दिनाक: 05/08/1943
21, दिनाक: 17/12/1943 से दिनाक: 23/04/1944
22, दिनाक: 12/10/1944 से दिनाक: 22/09/1945
23, दिनाक: 22/12/1945 से दिनाक: 01/05/1946
24, दिनाक: 18/11/1947 से दिनाक: 26/07/1948
25, दिनाक: 20/09/1950 से दिनाक: 25/12/1950
26, दिनाक: 30/01/1954 से दिनाक: 19/08/1955
27, दिनाक: 12/11/1955 से दिनाक: 07/03/1957
28, दिनाक: 07/11/1958 से दिनाक: 12/04/1960
29, दिनाक: 01/11/1961 से दिनाक: 20/05/1963
30, दिनाक: 25/06/1966 से दिनाक: 12/01/1968
31, दिनाक: 12/01/1968 से दिनाक: 17/06/1968
32, दिनाक: 28/09/1968 से दिनाक: 07/03/1969
33, दिनाक: 11/06/1973 से दिनाक: 25/03/1974
34, दिनाक: 30/04/1977 से दिनाक: 07/09/1977
35, दिनाक: 17/11/1978 से दिनाक: 03/11/1979
36, दिनाक: 14/03/1980 से दिनाक: 06/06/1980
37, दिनाक: 23/12/1981 से दिनाक: 05/10/1982
38, दिनाक: 21/12/1984 से दिनाक: 29/01/1985
39, दिनाक: 31/05/1985 से दिनाक: 17/09/1989
40, दिनाक: 06/03/1988 से दिनाक: 23/09/1989
41, दिनाक: 14/12/1990 से दिनाक: 12/04/1991
42, दिनाक: 05/03/1993 से दिनाक: 18/05/1994
43, दिनाक: 16/02/1996 से दिनाक: 24/06/1997
44, दिनाक: 17/02/2002 से दिनाक: 23/07/2002
45, दिनाक: 08/01/2003 से दिनाक: 07/04/2003
46, दिनाक: 06/09/2004 से दिनाक: 13/01/2005
47, दिनाक: 25/03/2005 से दिनाक: 26/05/2005
48, दिनाक: 01/11/2006 से दिनाक: 10/01/2007
49, दिनाक: 16/07/2007 से दिनाक: 30/04/2008
50, दिनाक: 16/05/2012 से दिनाक: 04/08/2012
51, दिनाक: 23/12/2012 से दिनाक: 13/07/2014
52, दिनाक: 30/01/2016 से दिनाक: 26/01/2017
53, दिनाक: 21/06/2017 से दिनाक: 18/08/2017
54, दिनाक: 07/03/2019 से दिनाक: 21/01/2020
ऊपर लिखा समय के दरमियान मे नभो मंडल मे शनि राहू का शापित योग बना था
और बन्नेवाला है सब समय डेटा लिस्ट मैने त्यार किया है, इस समय दरमियान पृथ्वी पर
कैसी कैसी घटनाऔ बनी थी उसका एक अभ्यास कर शकते है,
इ.स. २००२ मे जब गुजरात मे कोमी हुल्ल्ड़ो बना था, तब वृषभ राशि मे शनि
राहू साथ मे था, तब शापित योग बना था, विश्व मे बड़ा बड़ा भूकंपो
शापितयोग के समय मे आया था, ऐसा मेरा परिवार मे मेरा दादा और पापा के पास से मैने
अनुभव लिया है, मेरा अनुभव के अनुमान से मे कहेता हु, वायु तत्व की तुला राशी मे
शनि – राहू जैसे ग्रहों चक्रतत्वों और वायरस से बनता रोगों को जन्म देता है, विश्व
मे अराजकता, अंधाधुंधी, हिंसा फेला देता है, आंतकवाद ज्यादा माझा मुकी देता है,
दुनिया मे आपसी लड़ाई – झगड़ा ज्यादा आगे बठेगे, ज्वर रोगों ज्यादा बड़ा आगे बठेगा,
उपरोक्त समयगालाऔ के दरमियान जन्म लेने वाला जातक की कुंडली मे शापित
योग होता है, जातक उसकी जन्म दिनाक देख कर चेक कर शकते है, क्या उसकी कुंडली मे
शापितयोग है, या नही है, जातक के जीवन पर उसकी क्या असरो हो शक्ति है, जो के देखे
तो सब शापितयोग वाला जातक को दुखी नही होता, क्योंकी कुंडली मे अकेला शापितयोग
देखना जरुरी नही है, जातक की पूरा कुंडली का भी विचार करना जरुरी है, ऐसा मैने
मेरा परिवार के पास अनुभव लिया है,
दिनाक : २३/१२/२०१२ से दिनाक : १३/०७/२०१४ के समय दरमियान मे जे शापित
योग बनता है, उसकी असरो के लिए मतमंतातर भी बन शकता है, लेकिन देश – दुनिया पर
अमुक स्थानों मे ज्यादा असर अमुक स्थानों मे कम असर का प्रभाव होगा, वाही बात सो
टका सचोट है,
बृहस्पति के ज्ञान को मन लगाकर समझने से मिल जाता है गुरु - चंद्र का गजकेसरी योग का फल कर्मों से भी बनता है राजयोग कुंडली में नहीं...!
कुंडली में गुरु और चंद्रमा एकसाथ होते हैं तो गजकेसरी नाम का राजयोग बनता है, लेकिन जिन लोगों की कुंडली में ऐसा नहीं है, वो भी अच्छे कर्मों से ये राजयोग बना सकते हैं।
इस बड़े योग के प्रभाव से बड़ा पद और लोगों के बीच सम्मान मिलता है।
बृहस्पति, सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। ये ग्रह विद्या, ज्ञान और गुरु का कारक है।
वहीं, चंद्रमा का प्रभाव मन और विचार पर पड़ता है।
बृहस्पति के प्रभाव से स्टूडेंट्स को ज्ञान मिलता है।
चंद्रमा के प्रभाव से ज्ञान मन लगाकर समझना होता है।
ऐसा करने से उच्चस्तर की विद्या मिल जाती है।
किसी भी क्षेत्र की विद्या का संपूर्ण ज्ञान होने पर उसे अपने जीवन में उतार लें तो सफलता के शिखर पर पहुंच सकते हैं।
ये ही सफलता गजकेसरी नाम का राजयोग देता है।
बृहस्पति ग्रह छल - कपट,धोखा और बेईमानी से दूर रहकर जीवन जीने की शिक्षा देते हैं।
विद्यावान होना, धनवान होने से भी बड़ा माना जाता है, क्योंकि धन खर्च करने से घटता है लेकिन विद्या खर्च करने से बढ़ती है।
धन की चोरी हो सकती है लेकिन विद्या को कोई नहीं चुरा सकता, इसलिए विद्यावान होना ही शुभ गजकेसरी राजयोग होता है। आपका अपना पंडित प्रभुलाल पी. वोरिया, क्षत्रिय राजपूत जडेजा कुल गुरु का
" जय द्वारकाधीश"
PANDIT PRABHULAL P.
VORIYA RAJPUT JADEJA KULL GURU :-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
SHREE SARSWATI JYOTISH KARYALAY
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Shri Albai Nivas ", Near Mahaprabhuji bethak,
Opp. S.t. bus steson , Bethak Road,
Jamkhambhaliya - 361305 Gujarat – India
Vist us at: www.sarswatijyotish.com
Mob. Number :+91- 9427236337, + 91-9426633096
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