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Wednesday, December 28, 2011

पूर्व जन्म और ज्योतिष

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश.

पूर्व जन्म और ज्योतिष

पूर्व जन्म और ज्योतिष



        क्या जन्मकुंडलीसे  पूर्व  जनम की जानकारीया मिल सकती हें ? 

        क्या जन्मकुंडलीसे पूर्व जन्म का देश, गॉव, की जानकारीया मिल सकती हें ?

        क्या जन्मकुंडलीसे पूर्व जन्म का बिजनेश, की जानकारीया मिल सकती हें ?

        क्या जन्मकुंडलीसे  पूर्व  जन्म का कौटुम्बिक इतिहास ( माता - पिता, भाई- बहेन, पति - पत्नि, शत्रु, मित्र,) की जानकारीया मिल सकती हें ?

        क्या जन्मकुंडलीसे पूर्व  जन्म का धर्म-पाप की जानकारीया मिलसकती हें ?

        क्या गत जन्म के धर्म- पाप से इस जन्म में क्या लाभा लाभा मिलता हें 

       ज्योतिष में पूर्व जन्म का विषय .. एक विप्र आदमी के घेर बालक का जन्म हवा . इसने आप के गुरु महाराज के - पास उसके नाम दिखने गया तो गुरु महाराज ने कहा के वो बालक आप के शाथ पूर्वजन्म के बाकि लेने आये हें

         आप पूर्व जन्म में नगर सेठ थे और ये बालक आप के गोर था और आप इसके पास पूजन कराये था और उसकी दान और दसिना बाकि थी

       आप उसके दे दो तो तुरत ज जला जायेगा आदमीने बालक के पास तुलसीजी के पते पर दान और दसिना राखी तो बालक बोला में चलता हू ,

       बाद थोडा समय के बाद फिर दूसरा बालक का जन्म हवा और फिर नाम रासी दिखने गया फिर बोला गुरु महाराज बोला ये बालक भी आप के पास मागते हें

        आप पूर्व जन्म में नगर सेठ था और ये आप का मजूर था उसकी मजुरि की हिसाब बाकि हें वो आप तुरतज लोटा दो फिर बालक के हाथ पर तुलसी के पते पर पैसा रखा तो फिर बालक बोला में सेठ चलता हू फिर थोडा समय के बाद तीसरा बालक का जन्म हवा फिर नाम रासी दिखने गया 

       फिर बोला गुरु महाराज बोला ये बालक भी आप के पास मागते हें ये बालक पूर्व जन्म में वटेमारगु था वो आप नगर सेठ था इस लिए वो 

      उसकी महेनत की कमाय आप के पास रख कर यात्रा करने गया और यात्रा करके आया और उसकी थापन आप के पास थी वो उसने मागी आप ने देनेका इंकार कर दिया और वो घर जा कर मर गया वो थापन 

       उसको तुर्त्ज लोटा दो बाद चला जायेगा फिर समय के बाद चोथा बालक का जन्म हवा फिर नाम रासी दिखने गया फिर बोला गुरु महाराज बोला ये बालक आप बलक के पास मागते हो पूर्व जन्म में आप खेदुत था और ये आप का वेपारी था 

    आप इस आप की खेती की उपज देकर अया था और आप के कुछ हिसाब बाकि था वो देने के लिया आया हें वो 

     आप का हिसाब भरपे कर देगा बाद तुरत ज चला जायेगा इस आदमी ने बालक को कुछ भी पठाया भी नही और घर के बहार भी जाने की रजा नही और बालक बड़ा हवा और बालक की उम्र १९ / २० तक पहुची थी वो 

          विप्र घर पर नही था पड़ोसमे किसी घर के भूमि पूजन के कम के लिए बुलाने आया था तो विप्र की ने पहेले बताया था वो गुरु महाराज वाली बात भुल्गाई और बालक के भूमि पूजा के लिए भेजा तो बालक तो बोला में कुछ पठालिखा नही हू 

        में क्या जणू तो गम वालो बो ला आप हमारे भार्मिन के बेटे हो और सूरज के साखे भार्मिन के वचान आप जे कहोगे वोही होगा तो बालक बोला

        पूर्व में हिरा मोती, दाक्सिंण में सोना चांदी पश्चीम में पैसेका भंडार, और उतर में कोयला

        वो बोल कर उसकी भूमि पूजा करवा दी बाद में गाव वाली यजमान पत्नि बोला आप आप के घर जावो मोसम में आप के घर आप की दसिना मिल जायेगी और दूसरे दिन उसने पाए खोदना सुरु किया और जो बालक बोला था 

        वोही सच्चा पडा और गाव की यजमान पत्नि पोटली बाधा कर भार्मिन के घर गई और बोली गोरानी माँ आप का बेटा जो बोला वोही सचा हवा ये लो 

        आप का दसिना तो सामने से विप्र आ रहा था तो भी गोरानी ने पोटली पकड ली तो इस वक्त बालक बोला में चला फिर मिलेगे और बालक मूर्छित हो गया
PANDIT PRABHULAL P. VORIYA RAJPUT JADEJA KULL GURU :-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
SHREE SARSWATI JYOTISH KARYALAY
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Shri Albai Nivas ", Near Mahaprabhuji bethak,
Opp. S.t. bus steson , Bethak Road,
Jamkhambhaliya - 361305 Gujarat – India 
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरी जीविका हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश..

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Tuesday, December 27, 2011

ब्रह्मचार्य ओर जन्मकुंडली ? / बालक और बालिका के जन्म का कष्ट योग के बारे मे

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ब्रह्मचार्य ओर जन्मकुंडली ? / बालक और बालिका के जन्म का कष्ट योग के बारे मे


ब्रह्मचार्य ओर जन्मकुंडली ?....


ब्रह्मचार्य का यौगिक अर्थ है ब्रह्म की प्राप्तिके लिये वेदोंका अध्ययन करना । 




        प्राचीन काल मे छात्रगण ब्रह्मकी प्राप्ति के लिये गुरु के पास रहकर सावधानी के साथ वीर्य की रक्षा करते हुवे वेदाध्ययन करते थे ।


        इस लिये धीरे - धीरे ' ब्रह्मचार्य ' शब्द वीर्यरक्षाके अर्थमे रूढ़ हो गया । 


        आज हमे इस वीर्यरक्षाके सबंध में कुछ विचार करना है । 


        वीर्यरक्षा ही जीवन है और वीर्य का नाश ही मृत्यु है । 


        वीर्यरक्षाके प्रभाव से ही प्राचीनकाल के लोग दीर्धजीवी, निरोगी , हष्ट - पुष्ट , बलवान, बुद्धिमान, तेजस्वी, शूरवीर, ओर दृढ़संकल्प होते थे ।


        वीर्यरक्षाके कारण ही वे शीत , आतप, वर्षा आदिको सहकर नाना प्रकार के तप करने में समर्थ होते थे । 


        ब्रह्मचार्य के बल से ही प्राणवायु को रोककर शरीर और मन की शुद्धि के द्वारा नाना प्रकार के योग साधनों में सफलता प्राप्त करते थे ।


        ब्रह्मचार्य के बल से ही नाना प्रकार की विधाओं शिखकर अपने ज्ञानं को अपना ओर जगत का लौकिक एवं पारमार्थिक दोनो प्रकार का कल्याण कर लेते है । 


::: दाखला तरीके :::


स्वामी विवेकानंद 


जन्म तारीख : 12/01/1863

जन्म समय : 06/30 सुबह

जन्म स्थान कोलकत्ता

लग्न : 10

सूर्य ; 09

चन्द्र : 06 

मंगल : 01

बुध : 10

गुरु : 07

शुक्र :10

शनि 06

राहु :08

केतु :02


        इस जन्मकुंडली के आधारित स्वामी विवेकानंद पूर्ण तरह से ब्रह्मचार्य जीवन गर्म उग्र स्वभाव के साथ विदेशों की यात्रा करने के बाद भी जन्म भूमि जन्म देश के देश तरह ज्यादा आकर्षण धार्मिक आध्यात्मिक  ब्रह्मचार्य जीवन ही गुजार रहा था ।



श्री नरेन्द्र मोदी ( भारत के प्रधानमंत्री )


जन्म तारीख : 17/09/1950

जन्म समय : 10/ 15 सुबह

जन्म स्थान : वड़नगर ( गुजरात )


लग्न : 07

सूर्य : 06

चन्द्र : 08

मंगल : 08

बुध : 06

गुरु : 11

शुक्र : 05

शनि : 05

राहु : 12

केतु : 06


        इस कुंडली मे उग्र स्वभाव ब्रह्मचार्य जीवन जिस बात का जिद पकड़ ले वही बात को पूर्ण करके ही रहे । 


        सामने वालो को झुकाव में लाने की पूर्ण टक्कर देने की ताकत भी रख शकता है।


        गीता में कहा गया है कि मनुष्य अपने पूर्वजन्म के कर्मों से वर्तमान जीवन को पाता है और अलग - अलग क्षेत्रों से जुड़कर सफलता प्राप्त करता है।


       कुछ लोग आध्यात्मिक जगत से जुड़कर भी महान और प्रसिद्ध हो जाते हैं ।


        रामकृष्ण परमहंस, श्री श्री रविशंकर भी ऐसे ही लोगों में से हैं। 


        दरअसल इन सब के पीछे उनकी जन्मपत्री में मौजूद ग्रहों की खास स्थिति होती है ।


        जो ब्रह्मचार्य  संन्यास योग बनाकर मनुष्य को आध्यात्मिक जगत में महान और सफल बना देता है । 


        अगर आपकी जन्मपत्री में भी ऐसे योग हैं ।


        तो समझ लीजिए आप भी भौतिक जगत से अलग आध्यात्म की दुनिया में अपनी पहचान बनाने में सफल होंगे ।


        चन्द्रमा यदि शनि या मंगल के द्रेष्काण में होकर मात्र शनि से दृष्ट हो तो भी जातक संन्यासी हो सकता है। 


        यदि चन्द्रमा शनि या मंगल के नवांश में हो कर शनि से दृष्ट हो तब भी संन्यास योग बनता है।


        यह योग स्वामी रामकृष्ण परमहंस की कुंडली में बन रहा था।


        स्वामी प्रभुपाद जी की कुंडली थी ऐसी ही है ।


        सूर्य और गुरु की युति धार्मिक स्थानों में सेवा करने या पूजा स्थलों के निर्माण का एक अति महत्वपूर्ण ज्योतिषीय योग है। 


        यह योग मकर लग्न की स्वामी प्रभुपाद जी की कुंडली में था जिन्होंने पिछली सदी में अनेक राधा - कृष्ण मंदिरों का विश्वभर में निर्माण करवाया ।


        धर्म त्रिकोण ले जाता है ब्रह्मचार्य  आधात्मिक उन्नति की ओर 


        कुंडली में धर्म त्रिकोण ( लग्न , पंचम और नवम ) तथा मोक्ष त्रिकोण ( चतुर्थ , अष्टम और द्वादश ) की स्वामियों का सम्बन्ध जातक को जीवन में आधात्मिक उन्नति की ओर ले कर जाता है। 


        यह योग जन्म लग्न और चंद्र लग्न दोनों से देखा जाना चाहिए।


        शरीर मे सार वस्तु ही वीर्य ही है । 


        इसके नास से आज हमारा देश रसतलको पहुच गया है ब्रह्मचार्य नाश के ही कारण आज भी हम लोग छोटी - छोटी बीमारियों का शिकार बन गए है । 


        जीवन की थोडीक ही अवस्था काल के गले मे जा रहे है । 


        इसके कारण आज हमलोग अपने बल, तेज , वीरता ओर आत्मसन्मान को खो कर पराधीनता की बेड़ियों में जकड़ चुके है । 


        ओर जो हमारा देश किसिब्सम्य विश्व का सिरमौर ओर सभ्यताका उद्गमस्थान बना हुआ था ।


        वही आज हम दुशरो के द्वारा लांछित ओर परदलित हो रहा है । 


        आज हम विद्या - बुद्धि - बल - वीर्य , कला - कौशल - सब मे हम पिछड़े हुए है ।


        इसी के कारण ही आज हम चरित्र में भी गिर गए है । 


सारांश यह है कि ! 


        किसी भी बात को लेकर आज हम संसार के सामने अपना मस्तक ऊंचा नही कर शकते । 


        वीर्य का नाश ही हमारी इस गिरी हुई दशा का प्रधान मुख्य कारण  ही मालूम होता है । 


        आज के समय का चलचित्रों भी वीर्यरक्षाके के लिये बनाया ही नही जाता कैसे वीर्य का नाश हो सब लोग का बुद्धि नास हो । 


        भाई - भाई के बीच, मा बेटियों के बीच , बहु सासुओं के बीच  लड़ाई झगड़े होता रहे । 


        किसी का भी स्त्री मा बहन बेटियों का ज्यादा अपमानित ओर आबरू से लांछित  किया जाय ।


        इस में कैसे प्रसकर्मी बने कैसे किसी का अपमानित किया जाय वही चलचित्रों आज के समय मे ज्यादा फैसन बन चुका है ।     


  ( आगे का लेख भाग 2 पर  )



बालक और बालिका के जन्म का कष्ट योग के बारे मे 


        मास शुक्ल पक्ष की या कृष्ण पक्ष तिथि एकम मूल नक्षत्र तिथि पचम भरनी नक्षत्र आठंम कृतिका नक्षत्र तिथि नोम रोहिणी नक्षत्र तिथि दशम आश्लेषा नक्षत्र में 

        जातक के जन्म इस तिथि और नक्षत्र में होते हे 

        तो कौटुम्बिक परिवार में किसी वियक्ति पर जयादा भार रूप होते हे 

     इस की अशर क्या होती हे और जातक को की उम्ररा तक तकलीप कारक होती हे  जय द्वारकाधीश ....., जय श्रीकृष्णा.... , हर हर महादेव ..........,  
पंडित प्रभुलाल पी. वोरिया राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
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केन्सर एक भयानक भीषणता ग्रहों और नक्षत्रो से दिखे...!

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश.

केन्सर एक भयानक भीषणता ग्रहों और नक्षत्रो से दिखे...!


केन्सर एक भयानक भीषणता ग्रहों और नक्षत्रो से दिखे 




केन्सर रोगों की बीमारी निविर्वाद भयानक और भीषण हे , इस लिए केन्सर वही केन्सर होता हे इस में एक एसी भी मान्यता हे केन्सर ( Cancer ) का अर्थ करचलो करकोटो होता हे, जिशमे उसका पंजा ( tentecles )  आया हवा किसी प्राणी को ते छोड़ता भी नही हे, इसे केन्सर मनुष्य को छोड़ता भी नही हे, उधाय जेसे रोग मनुष्य को अंदर से ही कोतर कर खता हे, और मनुष्य को बहुत खोखलो कर देता हे शरीर के अंग अंग में कहोवाट ( decay ) फेलाते हे,

केन्सर अर्वाचीन समय के देणगी हे, इस में ये रोग प्राचीन समय में नही था ऐसा मेरा कहेने का अर्थ नही हे , प्राचीन ज्योतिषाचार्यो और ऋशि मुनियो माशपेशियोकी अन्यमित विकृति के लक्षणों बहुत पूरी तरह से जनता था, इस लिए वही गांठ के रूप में दिखाय देते थे, इस रोग को अर्बुद या रकताबुर्द के नाम से ही दिखे देते हे, ये गाँठ बहुत झेरी होती हे, जब जन्म कुंडली में चन्द्र शनि को विष योग कहा जाता हे वाही युति होति हे तो जातक को केन्सर होने का कारण भुत माना जाता हे,

परंतु सा प्रतकाल में जीवन जिने की अनैसग्रीक सैली और अनेक प्रकार के विरुद्ध आहार के सेवन, खान पान की विषमता, ( पान मसाला , जर्दा , सिगारेट , सुगन्धि सोपारी , और दारू , नशीला पदार्थो के सेवन ) और कुदरका नियम विरुद्ध वर्तन से केन्सर के प्रमोट करनेमे आगे पड़ता हिशा हे, इस लिए केन्सर प्राचीन काल जे ज्यादा अवार्चीन काल के समय जयादा दिखे देते हे

अभी के वैज्ञानिक युग में केन्सर के असान्ध्य रोग मानने में आता हे, समय सर योग्य उपचार से वाही नाबुत भी हो सकता हे, आज से लगभग ५० साल पहेले टी.बी. नाम का रोग को बहुत जिवलेने वाला कहेते हे, वाही भी इस समय में मिटा जाता हे, हाल में इस की जगा पर ये केन्सर आया हे,

केन्सर क्या हे ? 

केन्सर कैसे होता हे ?

जब पृथ्वी की उत्पति हूइ थी तब से भूपुष्ट पर पर पदार्थ सज्ञंक और जिव सज्ञंक प्राणी पदार्थो के असित्व हिशा था, जिस में जिवसज्ञको जिसमे जिव - चेतन था वाही प्राणी , वनस्पति , और मानव जाती में ( metabolism ) चयापचय की क्रिया होती हे, इस पचमहाभूत छोटा छोटा सुक्षमतीसुक्षम जीवत कोशो का बना हुवा हे, चयापचयकी क्रियामें कितना जिविंत कोशो के नाश भी होते हे तो उसकी जगा पर नया कोशो लेते हे, ये एक रेखाकित पक्रिया होती हे, लेकिन जिविंत कोशो की वर्धि रेखा में होने से वजा से अनियमित स्वरुपे एक दुशरे के उपरा उपरी होने से वह सोजा या गांठ के रूप में दिखे देते हे ये मॉसपेशी के जिवंत कोशो के असामान्य असमान और बेकाबू वर्धि की घटना से केन्सर का जन्म होता हे

वही गांठ शुरू शुरू में बहुत निरुपद्रवि होने से हर मनुष्य के ध्यान इस में नहीं जता बाद में आमुक समय के बाद गांठ में वर्धि होने से गाँठ बहुत झेरी और दुखद रूप में हो जाती हे, वह के बाद गांठ बहुत आगे के स्टेज पर पहुच चुकी होती हे, गांठ के बाहरी दर्शन में जो देखे तो इस रोग जयादा गरदन , छाती या स्तन पर सहेज ज्यादा दबाने से परख हो सकती हे , अन्न्नली, आतरडा, जठर या फेफ्सा में आंतरिक गांठ की प्रक्रिया तुर्ताज जल्दी परख नही हो सकती, इस में और गांठो रक्त स्त्राव वाली भी होती हे,

शारीर में होने वाली सब गांठो केन्सर की नही होती केन्सर के बायोलोजिकल मुलभुत कर्ण लोही की अशुधि एषा होता हे

केन्सर होने के ग्रहों के योग:-

केन्सर होने में किश ग्रहो, राशिओ, नक्षत्रो का जयादा भाग होते हे, वाही देखे तो जन्मलग्न या चन्द्रलग्न में होने वाली जल राशिओ  ( कर्क , वर्चिक , और मीन ) हे,

चन्द्र मगल का लोही के ऊपर प्रभुत्व होता हे , लोही के बिगाड के लिए चन्द्र मगल दूषित होता हे , जब शनि की युति या द्रष्टा में होते तब चन्द्र शनि के विषयोग बनता हे और मगल - शनि के बंधन योग बनता हे , जब चन्द्र शनि की युति हे तब गांठ उत्पन होती हे और जब शनि मगल की बंधन योग में गांठ में रक्ताबुर्द बनता हे जब चन्द्र राहू ग्रहण योग या मगल राहू  अगरक देवादार योग में गांठ में जहर फेलता हे वाही सदी गांठ में ही केन्सर के रूपांतर करता हे,

जब जन्मकुंडली , चन्द्रकुंडली , चालितकुंडली , नवमांसकुंडली और कसपकुंडली में देविशक्ति शुभ ग्रहों जेसे चन्द्र , बुध , गुरु , शुक्र के प्रबल शुभत्व वाली लाइफ गिविंग वितालिटी जयादा होने से सूर्य के शुभत्व केन्सर के सामना करने में रेसिस्ट ताकत पूरी पड़ता हे जब शुभ ग्रहो के प्रमाण कम होने से दूषित ग्रहों के बहुत ज्यादा प्रभाव होने से केन्सर होते हे, जब सूर्य पीड़ित कम बन जाता हे तब और शनि मगल राहू या बुध मगल राहू को केन्सर फेलाने में पूरी सवतंत्रता मिलती हे

शुभ ग्रहों और सूर्य के प्रभुत्व क्षीण होता हे और पाप ग्रहों के ग्रहों के वर्चस्व ज्यादा वधता हे

शनि राहू - मगल या बुध राहू मगल के ६ ,८ , १२ और लग्न के साथ सबंध

बुध रहू मगल के रोग और देह स्थान साथै सधान  इस में जयादा चन्द्र निर्बल होते हे तब गुरु भी बीगल जाता हे तब केन्सर होने की ज्यादा शक्यता रहेती हे,

जब चंडाल योग, कालसर्प योग, या ग्रहण योग और बंधन योग में अत्यत खराब होते हे तब झेरी गेस का भोग बहुत ज्यादा भाग भजते हे

किश अंग मे केन्सर दिखे देते हे :-

सामान्य रिते केन्सर होने का अन्य योग के साथ भाव ६ , ८ , १२ और लग्नेश , लग्नेश के चन्द्र चंद्रेश राशियो में जे राशि ग्रह या नक्षत्र अत्यत दूषित होता हे तब इस के अंग में केन्सर होताहे

नक्षत्र सूचित अंग :-

अश्विनी ठिचन , भरनी शिर , कृतिका नित्ब ,रोहिणी शांक्स , मृगशिश आँख , आद्रा खोपरी, मगज, किडनी, गर्भाशय ,.... विगेरे सब नक्षत्रो एक एक अंग पर बिराजमान होता हे,

दाखला नंबर १ :-
ल. ०४ / सु. ०१ / च. ०८ / म. १० / बू. १२ / गु. १२ / सु. १२ / श.०१ / रा. ०७ / के. ०१ 

लगने केन्सर परों जल राशि + कल सर्प योग ५ मु स्थान और सिह राशि गर्भाशय का घोतक पचमा स्थान में नीच का चन्द्र  शनि ना अनुराधा नक्षत्र में बिराजमान हे वाही चन्द्र शनि का सबंध विषयोग गांठ , शनि मगल की परस्पर द्रष्टि सबंध से जोडन होता हे इस लिए पचमेश मगल पर शनि की द्रष्टि राहू की शनि और निचका सूर्य पर द्रष्टि

इस लिए शनि द्रारा राहू + मगल के जोडन होते हे एषा इस में पचम स्थान और सिह राशि शनि +मगल + राहू से ही बहुत जयादा हानि देता हे लग्नेश चन्द्र दूषित षष्ठेश गुरु +व्ययेश बुध होता हे,

गुरु शनि का उतरा भाद्रपदा नक्षत्र में हे इस लिए षष्ठेश गुरु का राहू चन्द्र शनि  के साथ बहुत घटा सबंध, लग्नेश + षष्ठेश + शनि +मगल +राहू का सकलन केन्सर करता हे सिह और पचम स्थान दूषित होने से इस जातक को गर्भाशय का केन्सर हूवा था...........,  जय द्वारकाधीश ........., जय श्रीकृष्णा....... , हर हर महादेव ..........,  
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होली बाद इन राशियों का शुरू होगा गोल्डन टाइम, :

  होली बाद इन राशियों का शुरू होगा गोल्डन टाइम,  होली बाद इन राशियों का शुरू होगा गोल्डन टाइम, अर्धकेंद्र योग का निर्माण  होली बाद इन राशियो...